सिद्धू के मंत्री रहते टीवी शो करने के खिलाफ याचिका, हाई कोर्ट ने दी नैतिकता की नसीहत
नवजोत सिद्धू के टीवी शो में काम करने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका देकर उन्हें मंत्री पद से हटाने की मांग की गई है। इस पर सुनवाई में हाइकोर्ट ने सिद्धू को नैतिकता की नसीहत दी।
जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू का टीवी शाे में काम करने का मामला अब हाई कोर्ट पहुंच गया है। मंत्री बनने के बाद भी उनके टीवी कॉमेडी शो में काम करने के खिलाफ पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दी गई है। याचिका में सिद्धू को मंत्री पद से हटाने की मांग की गई है। हाईकोर्ट ने शुक्रवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए सिद्धू को नैतिकता की नसीहत दी। हाईकोर्ट ने कहा कि कानून ही सब कुछ नहीं होता, इसके संग नैतिकता भी अहम है। अब इस मामले पर अगली सुनवाई 11 मई को होगी।
यह याचिका हाईकोर्ट के वकील एचसी अरोड़ा ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि नवजोत सिंह सिद्धू का कॉमेडी शो में काम करते हुए मंत्री पद पर रहना गलत है। संवैधानिक पद पर रहते हुए टीवी शो में काम करना नैतिकता और कानूनी दोनों रूप से गलत है। याचिका में हाई कोर्ट से आग्रह किया गया है कि वह पंजाब सरकार को नवजोत सिंह सिद्धू को पद से हटाने का निर्देश दिया जाए। याचिका में कहा गया है कि किसी लोकसेवक को प्राइवेट बिजनेस करने की इजाजत नहीं होनी चाहिए।
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याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि कानून ही सब कुछ नहीं हाेता। यदि हर चीज को कानून के हिसाब से ही देखेंगे तो नैतिकता और शुचिता की बात बेमानी हो जाएगी। हाई कोर्ट ने सिद्धू से कहा कि अगर आप कानून का पालन नहीं करेंगे तो कौन करेगा? हाई कोर्ट ने कहा कि मंत्री पद पर बैठे व्यक्ति के लिए टीवी शो करना अच्छा नहीं लगता अौर सिद्धू को इस पर खुद गौर करना चाहिए। हाई कोर्ट ने कहा कि इस बारे में सिद्धू को सोचना चाहिए, लेकिन हम इसे कानूनी रूप से देखेंगे।
टीवी शो में कॉमेडियन कपिल शर्मा के साथ नवजाेत सिंह सिद्धू।
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गौरतलब है कि नवजोत सिंह सिद्धू मंत्री बनने के बाद भी एक निजी चैनल पर चल रहे कामेडियन कपिल शर्मा के कॉमिडी शो में काम कर रहे हैं। मंत्री पद पर होने के बावजूद टीवी शो में काम करने को लेकर उठे सवालों पर सिद्धू ने कहा था कि वह रात को क्या करते हैं, इससे किसी को मतलब नहीं होना चाहिए।
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उन्होंने कहा था कि दिन भर वह मंत्री पद की जिम्मेदारियां निभाएंगे लेकिन रात को टीवी शो में काम करेंगे। इसमें कुछ भी गलत नहीं है आैर इससे मंत्री के रूप में उनका काम किसी तरह से प्रभावित नहीं होगा। टीवी शाे की शुटिंग के लिए सप्ताह में बस दो दिन कुछ घंटे की जरूरत होगी।
सिद्धू का कहना था कि टीवी शो उनकी आजीविका का एकमात्र साधन है और इससे उनके परिवार का गुजर-बसर होता है। हर व्यक्ति को अपनी राेजी-रोटी का हक है। वह वैसे किक्रेट कामेंट्री सहित अन्य टीवी शो छोड़ चुके हैं और बस कपिल शर्मा का टीवी शो कर रहे हैं। सिद्धू का कहना था कि राजनीति उनका व्यवसाय नहीं है और वह भ्रष्टाचार नहीं कर सकते। यह जनता के साथ धोखा होगा।
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इस मामले पर पंजाब में राजनीति काफी गर्मा गई थी। विपक्ष के साथ-साथ कई कांग्रेस नेताओं का भी कहना था कि मंत्री बनने के बाद सिद्धू को टीवी शो में काम नहीं करना चाहिए। पूरे मामले में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को भी सामने आकर बयान देना पड़ा था। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस मामले में कानूनी राय मांगी थी। इसके बद पंजाब के एडवोकेट जनरल ने बताया था कि इसमें न तो संविधानऔर न ही जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 का उल्लंघन हुआ है।
खंडपीठ ने कहा, मुद्दा सैद्धांतिक तौर पर सही लेकिन कानून की अवहेलना की स्थिति देखनी होगी
जस्टिस एसएस सारों एवं जस्टिस दर्शन सिंह की खंडपीठ ने कहा कि याचिका में उठाया गया मुद्दा सैद्धांतिक तौर पर सही है, लेकिन इसके लिए किस कानूनी प्रावधान की अवेहलना की गई है, उस पर स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है। सुनवाई के दौरान पंजाब के एडवोकेट जनरल अतुल नंदा भी अदालत में ही मौजूद थे।
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खंडपीठ ने अतुल नंदा से पूछा कि क्या सिद्धू का मंत्री पद पर होते हुए कॉमेडी शो में शामिल होना उचित है या नहीं। इस पर नंदा ने कहा की वह यहां कानूनी मुद्दे पर राज्य सरकार के बचाव के लिए हैं। उचित अनुचित की बजाय वह कानूनी प्रावधानों के तहत ही अपना पक्ष रखेंगे। नंदा ने खंडपीठ से आग्रह किया कि फिलहाल इस याचिका पर नोटिस जारी न किया जाए। वह अगली सुनवाई पर कानूनी प्रावधानों के तहत अदालत में अपना पक्ष रखेंगे। हाईकोर्ट ने नंदा के आग्रह पर सुनवाई 11 मई के लिए स्थगित कर दी।
याचिका में यह कहा गया है
एचसी अरोड़ा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि सिद्धू स्थानीय निकाय व सांस्कृति मंत्री हैं। उनका मंत्री रहते हुए कपिल शर्मा के कॉमेडी शो में शामिल होना सही नहीं है। यह हितों के टकराव का मामला है। लिहाजा सिद्धू के कॉमेडी शो में शामिल होने पर रोक लगाई जाए या मंत्री पद से हटाने का आदेश दिया गया।
अरोड़ा ने दलील दी है कि सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 1979 में करुणानिधि बनाम केंद्र सरकार के मामले में यह तय किया है कि मंत्री एक सरकारी कार्यालय का अधिकारी होता है। आइपीसी की धारा-21/12 और सीआरपीसी की धारा-199 (2 ) के तहत वो मंत्री या सरकारी अधिकारी होने के नाते किसी भी व्यक्तिगत रोजगार या व्यवसाय के साथ नहीं जुड़ सकता। सिद्धू के कॉमेडी शो करने से इस प्रावधान का उल्लंघन होता है। अरोड़ा ने सुप्रीम कोर्ट के कुछ अन्य केसों का भी हवाला दिया।
प्रावधान के आधार पर ही सुनवाई
खंडपीठ ने इस प्रावधान पर कहा की आइपीसी और सीआरपीसी का यह प्रावधान प्रॉसिक्यूशन के लिए है, लेकिन इसमें ऐसा कहीं वर्णित नहीं है की ऐसा नहीं किया जा सकता। याचिकाकर्ता ने जो मुद्दा उठाया है, वह सैद्धांतिक व नैतिक तौर पर सही है, लेकिन अदालत कानूनी प्रावधान के आधार पर ही सुनवाई कर सकती है।
खंडपीठ ने कहा कि सिद्धू के कॉमेडी शो में शामिल होने से किस प्रावधान का उल्लंघन हुआ है, उसकी जानकारी सामने लाना जरूरी है। हितों के टकराव पर अरोड़ा ने कहा की अगर ऐसा है तो अन्य सरकारी कर्मियों को भी निजी व्यवसाय करने का अधिकार है, जबकि सरकारी कर्मी अगर निजी व्यवसाय करता है, तो उस पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाती है।