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    मनरेगा का नाम बदलने पर अमृतसर में कांग्रेस का प्रदर्शन; बोले- महात्मा गांधी का नाम हटाने का प्रयास

    Updated: Sun, 21 Dec 2025 12:25 PM (IST)

    अमृतसर में कांग्रेस ने मनरेगा का नाम बदलने के विरोध में प्रदर्शन किया। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि मनरेगा ग्रामीण गरीबों की आजीविका है और सरकार का नाम ब ...और पढ़ें

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    अमृतसर के रामबाग में प्रदर्शन करते हुए कांग्रेस नेता व कार्यकर्ता।

    जागरण संवाददाता, अमृतसर। केंद्र सरकार द्वारा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का नाम बदलने और उसमें संशोधन की संभावनाओं के खिलाफ रविवार को इंडियन नेशनल कांग्रेस कमेटी के आहवान पर अमृतसर में प्रदर्शन किया गया। ये प्रदर्शन कंपनी बाग स्थित महात्मा गांधी स्मारक के समीप हुआ।

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    प्रदर्शन में कांग्रेस के जिला प्रधान मिट्‌ठू मदान, पूर्व मंत्री अनिल जोशी, पूर्व विधायक जुगल किशोर शर्मा, ममता दत्ता साहित कई सीनियर नेता पहुंचे। कांग्रेस नेताओं व वर्करों ने केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कहा कि मनरेगा केवल एक योजना नहीं, बल्कि ग्रामीण गरीबों की आजीविका से जुड़ी लाइफलाइन है, जिसे राजनीतिक कारणों से बदला नहीं जाना चाहिए।

    कांग्रेस प्रधान मिट्‌ठू मदान ने आरोप लगाया कि योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाने का प्रयास देश की ग्राम स्वराज की सोच और गांधीवादी दर्शन पर प्रहार है। उनका कहना था कि यह योजना ग्रामीण भारत में रोजगार की गारंटी और सामाजिक सुरक्षा का मजबूत आधार बनी हुई है। प्रदर्शन में पार्टी के नगर, जिला और प्रदेश स्तर के कई पदाधिकारी शामिल हुए।

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    2005 में शुरू की गई थी योजना

    नेताओं ने कहा कि यूपीए सरकार ने 2005 में इस योजना की शुरुआत ग्रामीण बेरोजगारी और पलायन को रोकने के उद्देश्य से की थी। मनरेगा के तहत प्रत्येक ग्रामीण परिवार को साल में कम से कम 100 दिन का रोजगार सुनिश्चित किया जाता है।

    इसके तहत मजदूरों को स्थानीय स्तर पर विकास कार्य जैसे सड़कों की मरम्मत, जल संरक्षण, नालों की सफाई और वृक्षारोपण में लगाया जाता है। इससे न केवल रोजगार के अवसर पैदा हुए बल्कि ग्रामीण बुनियादी ढांचे को भी मजबूती मिली।

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    वित्तीय ढांचे में संशोधन कर रही सरकार

    कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा योजना का नाम बदलने और इसके वित्तीय ढांचे में संशोधन का विचार सीधे तौर पर गरीब तबके के हितों पर चोट करेगा। उन्होंने मांग की कि सरकार किसी भी प्रकार के बदलाव से पहले संसद और ग्रामीण समाज से संवाद करे।

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