वाराणसी में एक ही पिता के नाम पर 50 वोटर, मतदाता सूची में गड़बड़ी या कुछ और है सच?
वाराणसी में मतदाता सूची में गड़बड़ी का मामला सामने आया है जिसमें मोहल्ले में एक पते पर 50 के करीब मतदाताओं के पिता का नाम रामकमल दास दर्ज है। अखिल भारतीय संत समिति ने कांग्रेस पर सनातन परंपरा को बदनाम करने का आरोप लगाया है। यह मामला भेलूपुर के वार्ड नंबर 51 की मतदाता सूची से जुड़ा है।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। देशभर में कांग्रेस द्वारा वोट चोरी के आरोपों का अभियान चलाया जा रहा है। इसी संदर्भ में वाराणसी के कश्मीरीगंज मोहल्ले में एक लिस्ट के कारण विवाद उत्पन्न हुआ है, जिसमें लगभग 50 मतदाताओं के पिता के नाम एक ही नाम दर्ज है। वाराणसी के भेलूपुर क्षेत्र में मतदाता सूची को लेकर यह विवाद गहरा गया है।
इंटरनेट मीडिया पर वायरल हुई एक लिस्ट में बी 24/19 कश्मीरीगंज पते पर लगभग 50 के करीब मतदाता पाए गए हैं। अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि वह सनातन परंपरा और हिंदू धर्माचार्यों को बदनाम करने की साजिश कर रही है।
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यह मामला नगर निकाय चुनाव के पहले चरण में दो वर्ष पूर्व भेलूपुर के वार्ड नंबर 51 की मतदाता सूची से जुड़ा हुआ है, जो पहले भी चर्चा का विषय बन चुका है। वार्ड नंबर 51 भेलूपुर के खोजवां-कश्मीरीगंज की मतदाता सूची में 48 मतदाताओं के पिता का नाम रामकमल दास दर्ज है। इन मतदाताओं की उम्र भिन्न-भिन्न है, लेकिन पता एक ही है- मकान नंबर बी, 24/19। यह जानकारी इंटरनेट मीडिया पर दो वर्ष पूर्व भी प्रसारित हो चुकी थी। यहां तक कि समाजवादी पार्टी ने जिला निर्वाचन अधिकारी से इस मामले का संज्ञान लेने की अपील भी की थी। हालांकि, जब सच्चाई सामने आई, तो सभी ने चुप्पी साध ली।
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इस पते पर स्वामी रामकमल दास वेदांती रामजानकी मठ खोजवां के महंत हैं। मठ प्रबंधक रामभरत शास्त्री ने बताया कि गुरु-शिष्य संत परंपरा में जुड़ने के बाद शिष्यों का नाम बदल दिया जाता है और पिता के नाम के स्थान पर गुरु का नाम लिखा जाता है। पहले इस पते पर 150 लोगों के पिता के तौर पर स्वामी जी का नाम दर्ज था, लेकिन निकाय चुनाव के समय यह संख्या घटकर 48 रह गई। इनमें से छह लोगों ने निकाय चुनाव के दौरान मतदान भी किया था।
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इस विवाद ने एक बार फिर से मतदाता सूची की पारदर्शिता और चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का यह सिलसिला चुनावी माहौल को और भी गरमाता जा रहा है। कांग्रेस के खिलाफ उठे इस मुद्दे ने न केवल स्थानीय राजनीति को प्रभावित किया है, बल्कि यह पूरे देश में चुनावी प्रक्रिया को लेकर बहस का भी विषय बनाया है।
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