सोनभद्र में सांसद छोटेलाल खरवार के विवादास्पद बयान से इंटरनेट मीडिया पर हलचल
सोनभद्र में सांसद छोटेलाल खरवार द्वारा सपा के समर्थन में गाना गाने पर विवाद बढ़ गया है। भाजपा कार्यकर्ताओं ने उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया जिसके जवाब में उन्होंने ट्रोलर्स के लिए अभद्र भाषा का प्रयोग किया जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई। सांसद ने आलोचना करने वालों को ओमप्रकाश राजभर का भाषण सुनने की सलाह दी।

जागरण संवाददाता, सोनभद्र। इंटरनेट मीडिया पर सांसद छोटेलाल खरवार द्वारा सपा के पक्ष में गाए गए गाने को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। हाल ही में उन्होंने अपने फेसबुक अकाउंट पर एक गाना पोस्ट किया था, जिसमें उन्होंने चुनावी धांधली के खिलाफ अपनी आवाज उठाई थी। इस पोस्ट के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं ने उनके पूर्व में भाजपा के पक्ष में गाए गए गाने को रिपोस्ट कर उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया।
इस विवाद के बीच, सांसद का धैर्य जवाब दे गया और उन्होंने मंगलवार को फेसबुक पर उन ट्रोलर्स के लिए अभद्र भाषा का प्रयोग किया। उनके इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। सांसद ने अपने पोस्ट में उन लोगों को कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर का भाषण सुनने की सलाह दी, जो उनकी आलोचना कर रहे थे।
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सांसद छोटेलाल खरवार ने पांच दिन पहले अपने फेसबुक पर "वोट चोरवा चुनाव जीतैं वोट क चोरी कई के हो" टैगलाइन के साथ गाना पोस्ट किया था। इसके बाद से भाजपा कार्यकर्ताओं ने उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया। इस दौरान, सत्ता और विपक्ष के लोग इंटरनेट मीडिया पर अपने-अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।
सांसद के इस विवादास्पद बयान ने न केवल उनके समर्थकों बल्कि विपक्ष के नेताओं को भी प्रतिक्रिया देने के लिए मजबूर कर दिया है। कुछ लोगों ने उनके अभद्र भाषा के प्रयोग की निंदा की है, जबकि अन्य ने इसे उनकी राजनीतिक स्थिति के प्रति एक प्रतिक्रिया के रूप में देखा है।
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इस पूरे मामले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इंटरनेट मीडिया पर ट्रोलिंग और राजनीतिक बयानबाजी के बीच की रेखा कितनी बारीक होती जा रही है। सांसद के इस बयान ने यह भी दिखाया है कि कैसे राजनीतिक नेता अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए कभी-कभी अभद्र भाषा का सहारा लेते हैं।
इस विवाद के चलते, अब यह देखना होगा कि सांसद छोटेलाल खरवार अपने इस बयान के बाद किस प्रकार की प्रतिक्रिया का सामना करते हैं और क्या यह उनके राजनीतिक करियर पर कोई प्रभाव डालेगा।
इंटरनेट मीडिया पर ट्रोलिंग के इस मामले ने एक बार फिर से राजनीतिक संवाद के स्तर को लेकर सवाल उठाए हैं। क्या सांसदों को अपनी भाषा और व्यवहार पर ध्यान देना चाहिए? यह सवाल अब राजनीतिक विश्लेषकों के बीच चर्चा का विषय बन गया है।
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