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    जानिये तीन मूर्ति भवन पर क्‍यों है विवाद और क्‍या है इसका ऐतिहासिक महत्‍व

    भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के आवास तीन मूर्ति भवन पर राजनीतिक विवाद छिड़ने के बाद अब यह तूल पकड़ता हुआ नजर आ रहा है।

    By Kamal VermaEdited By: Updated: Wed, 29 Aug 2018 12:07 PM (IST)
    जानिये तीन मूर्ति भवन पर क्‍यों है विवाद और क्‍या है इसका ऐतिहासिक महत्‍व

    नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के आवास तीन मूर्ति भवन पर राजनीतिक विवाद छिड़ने के बाद अब यह तूल पकड़ता हुआ नजर आ रहा है। दरअसल, केंद्र सरकार का विचार इस भवन को एक ऐसे संग्रहालय में बदलने का है जहां देश के सभी प्रधानमंत्रियों के बारे में विस्‍तार से जानकारी दी गई हो। लेकिन केंद्र की इसी संभावित कोशिश के मद्देनजर पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्‍टर मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर इस योजना पर नाराजगी व्‍यक्‍त की है। उनका कहना है कि यहां से पंडित नेहरू की यादें जुड़ी हैं और इसका एक ऐतिहासिक महत्‍व है, लिहाजा इससे कोई छेड़छाड़ न की जाए।

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    पूर्व पीएम की नाराजगी
    पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने लिखा है कि एक एजेंडे के तहत एनएमएमएल और तीन मूर्ति कॉम्प्लेक्स में बदलाव करने की कोशिश की जा रही है। पंडित नेहरू केवल कांग्रेस के ही नेता नहीं हैं, बल्कि उनका ताल्लुक पूरे देश से है। लिहाजा सरकार को उनसे जुड़ी स्मृतियों के साथ छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। इस पत्र में उन्‍होंने अटल बिहारी वाजपेयी का जिक्र करते हुए ये भी कहा है कि उन्‍होंने भी कभी इस भवन में छेड़छोड़ करने की कोशिश नहीं की।

    कभी फ्लैग स्‍टाफ हाउस था आज का तीन मूर्ति
    बहरहाल, इस भवन पर छिड़ी सियासी जंग के बीच हम आपको इस भवन का इतिहास भी जरा बता देते हैं। दरअसल, जिस भवन को हम आज तीन मूर्ति भवन के नाम से जानते हैं वह भवन कभी भारत में ब्रिटिश सेना के कमांडर-इन-चीफ का आवास हुआ करता था, जिसे फ्लैग स्‍टाफ हाउस कहते थे। पंडित नेहरू के प्रधानमंत्री बनने के बाद यह उनका आधिकारिक आवास बन गया था। उनके निधन के पश्‍चात इसको एक संग्रहालय में बदल दिया गया। यहां पर उनसे जुड़ी कई चीजों को सहेजकर रखा गया है। यूं भी यह कभी राजनीति का सबसे अहम केंद्र हुआ करता था। इस भवन से न केवल पंडित नेहरू की यादें जुड़ी हैं, बल्कि इं‍दिरा गांधी और राजीव गांधी की भी यादें इससे जुड़ी हैं।

    नेहरू तारामंडल की जगह था कभी टेनिस कोर्ट
    आपको बता दें कि जिस जगह पर नेहरू तारामंडल बना हुआ है, वहां पर कभी एक टेनिस कोर्ट हुआ करता था जहां पर बचपन में राजीव अपने भाई संजय के साथ टेनिस खेलते थे। यहां पर इन दोनों का बचपन बीता था। नेहरू और उनके परिवार से जुड़ी यादों के रूप में यहां पर कई निजी फोटो भी लगे हैं। इस भवन में मौजूद सीढ़ीनुमा गुलाब उद्यान से कभी पंडित नेहरू अपनी शेरवानी में लगाने के लिए गुलाब चुनते थे। यह उनकी पहचान भी थी। इस भवन में पंडित नेहरू के जीवन से जुड़ी चीजें संरक्षित रखी हैं। इतिहास के साक्षी बहुत से समाचार पत्र, जिनमें ऐतिहासिक समाचार छपे हैं, उनकी प्रतियां, या छायाचित्र भी यहां सुरक्षित हैं। इन सबके साथ ही पंडित नेहरू को मिला भारत रत्न भी प्रदर्शन के लिए रखा हुआ है।

    कैसे पड़ा नाम
    दरअसल जिस जगह यह भवन स्थित है वहां के गोल चक्‍कर पर बीचों बीच एक स्तंभ के किनारे तीन दिशाओं में मुंह किये हुए तीन सैनिकों की मूर्तियाँ लगी हुई हैं। ये द्वितीय विश्व युद्ध में काम आये सैनिकों का स्मारक है। इस स्मारक की वजह से ही भवन का नाम तीन मूर्ति भवन पड़ गया है। आपको बता दें कि ये मूल भवन ऑस्ट्योर क्लासिक शैली में निर्मित है। इस शैली का दूसरा भवन दिल्ली स्थित हैदराबाद हाउस है।

    नेहरू तारामंडल
    भवन परिसर में ही पश्चिमी ओर फ़ीरोज़ शाह तुगलक निर्मित कुशक महल संरक्षित स्मारक है। तीन मूर्ति भवन के परिसर में ही नेहरू तारामंडल बना है। यहां ब्रह्मांड, तारों, सितारों और खगोलीय घटनाओं को वैज्ञानिक तकनीक से एक अर्ध-गोलाकार छत रूपी पर्दे पर देखा जा सकता है। भारत के अन्य शहरों के तारामंडलों की अपेक्षा इस तारामंडल में बहुत ज्यादा सुविधाएं नहीं हैं तो भी वह लोगों को इस रहस्यमय दुनिया की झलक दिखाता है। नेहरू तारामंडल की कल्पना एवं योजना पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बनायी थी। वे चाहती थीं कि बच्चों में विज्ञान को बढ़ावा दिया जाए।

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