लालू अस्पताल से कर रहे राजनीति, SC में CBI ने दाखिल किया हलफनामा
Lalu Prasad Yadav. राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की जमानत पर जल्द सुनवाई के लिए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी है। 10 अप्रैल को लालू की जमानत पर फैसला होगा।
रांची, राज्य ब्यूरो। केंद्रीय जांच एजेंसी CBI ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका के मामले में जवाब दाखिल कर दिया है। सीबीआइ की ओर से दिए गए हलफनामे में कहा गया है कि चारा घोटाले के चार मामलों के सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव जेल-अस्पताल से रहकर राजनीति कर रहे हैं। एजेंसी की ओर से लालू को बेल नहीं देने की मांग की गई है।
सीबीआइ ने राजद प्रमुख की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि लालू बीमारी के आधार पर जमानत मांग रहे हैं ताकि उसकी आड़ में चुनाव में पार्टी की राजनीतिक गतिविधियां जारी रख सकें। मालूम हो कि करोड़ों रुपये के चारा घोटाला से संबंधित तीन मामलों में राजद सुप्रीमो ने जमानत के लिए शीर्ष कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ उनकी जमानत याचिका पर 10 अप्रैल को सुनवाई करेगी।
सीबीआइ ने लालू की जमानत अर्जी के विरोध मे दाखिल अपने हलफनामे में कहा कि लालू अति गंभीर बीमारी के इलाज के लिए रांची के रिम्स अस्पताल में हैं और अस्पताल से वे राजनीतिक गतिविधियां चला रहे हैं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने लालू प्रसाद की जमानत याचिका पर सीबीआइ से 9 अप्रैल तक जवाब मांगा था। राजद सुप्रीमो ने झारखंड हाई कोर्ट के 10 जनवरी के फैसले को चुनौती दी है। हाई कोर्ट ने मामलों में उन्हें जमानत देने इन्कार किया है। ये मामले 900 करोड़ रुपये से ज्यादा के चारा घोटाला से संबंधित हैं। 1990 के शुरू में कोषागार से जालसाजी कर पैसे की निकासी की गई थी। उस समय बिहार का बंटवारा नहीं हुआ था और राज्य की तत्कालीन राजद सरकार में लालू यादव मुख्यमंत्री थे।
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वर्ष 2017 से ही चारा घोटाले के चार मामलों में झारखंड की राजधानी रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय जेल में बंद यादव ने अपनी अधिक उम्र और खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए झारखंड हाई कोर्ट से जमानत की गुहार लगाई थी। 71 वर्षीय यादव ने अपनी याचिका में कहा है कि वह डायबिटीज, ब्लड प्रेशर एवं अन्य बीमारियों से जूझ रहे हैं। चारा घोटाला के एक मामले में वह जमानत ले चुके हैं। लालू प्रसाद यादव को देवघर, दुमका और चाइबासा के कोषागार से जालसाजी से पैसे निकाले के मामले में सजा दी गई है। चाइबासा कोषागार से संबंधित दो में से एक मामले में उन्हें जमानत मिल चुकी है। वर्तमान में डोरंडा कोषागार से निकासी से संबंधित पांचवें मामले का वह सामना कर रहे हैं।
लालू प्रसाद यादव की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने जमानत की पैरवी करते हुए जल्द सुनवाई की मांग की थी। बहरहाल रांची के रिम्स में अपनी बीमारियों का इलाज करा रहे राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव जेल में रहेंगे या फिर लोकसभा चुनाव 2019 में अपनी पार्टी राजद की चुनावी गतिविधियों में भाग लेंगे इस पर अब बुधवार को फैसला होगा। झारखंड हाई कोर्ट जनवरी 2019 में तमाम दलीलों को खारिज करते हुए गंभीर अपराध का हवाला देकर लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका खारिज कर चुका है।
इससे पहले झारखंड हाई कोर्ट से बिहार के पूर्व सीएम व राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को तब बड़ा झटका लगा। जब जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी। सीबीआइ कोर्ट ने लालू प्रसाद को देवघर, दुमका और चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी के मामले में सजा सुनाई है। उनकी ओर से हाई कोर्ट से उक्त तीनों मामलों में सजा को निलंबित करते हुए जमानत प्रदान करने का आग्रह किया गया था। लालू ने इन्हीं तीन मामलों में सुप्रीम कोर्ट से भी जमानत मांगी है।
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