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    येद्दयुरप्पा बने कर्नाटक के सीएम, पद संभालते ही कुमारस्वामी सरकार के आदेशों पर लगाई रोक

    By TaniskEdited By:
    Updated: Sat, 27 Jul 2019 08:53 AM (IST)

    बीएस येद्दयुरप्पा शुक्रवार को कर्नाटके चौथी बार मुख्यमंत्री बनते ही उन्होंने आदेश जारी कर उनके पूर्ववर्ती कुमारस्वामी द्वारा जुलाई में जारी सभी आदेशों ...और पढ़ें

    येद्दयुरप्पा बने कर्नाटक के सीएम, पद संभालते ही कुमारस्वामी सरकार के आदेशों पर लगाई रोक

    नई दिल्ली, जेएनएन। कर्नाटक भाजपा अध्यक्ष बीएस येद्दयुरप्पा शुक्रवार को चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। मुख्यमंत्री का पद संभालते ही येद्दयुरप्पा ने आदेश जारी कर उनके पूर्ववर्ती कुमारस्वामी द्वारा जुलाई में जारी सभी आदेशों के कार्यान्वयन पर रोक लगा दी। येदियुरप्पा ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद कहा 'मैं राज्य के लोगों को धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने मुझे मुख्यमंत्री बनने का अवसर दिया। मेरा मुख्यमंत्री पद राज्य के लोगों का सम्मान है। मैंने कैबिनेट बैठक में दो प्रमुख फैसले लिए हैं। प्रधानमंत्री किसान योजना के अलावा मैं लाभार्थियों को 2000 रुपये की दो किस्त भी प्रदान करूंगा।' 

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    उन्होंने कहा  'सोमवार (29 जुलाई) को मैं सुबह 10 बजे बहुमत साबित करूंगा और इसके साथ ही वित्त विधेयक भी पास करूंगा। कैबिनेट की गठन पर उन्होंने कहा 'मैं अमित शाह जी और अन्य नेताओं के साथ चर्चा करूंगा। अगर जरूरत पड़ी तो मैं कल दिल्ली जाऊंगा, हम बाद में फैसला लेंगे।'

    गौरतलब है कि राज्य में लगभग एक महीने तक चली सियासी उठापठक के बाद मंगलवार को कुमारस्वामी सरकार गिर गई। हालांकि, यह उठापठक अभी अभी आगे जारी रहने के आसार हैं। मसलन भले ही भाजपा की सरकार बनगई हो, लेकिन उसके सामने अभी कई चुनौतियां हैं।  

    भाजपा की सबसे बड़ी चुनौती
    राज्य में सबकुछ पक्ष में होने के बाद भी भाजपा के लिए अभी चुनौती कम नहीं हुई है। येद्दयुरप्पा को 31 जुलाई को सदन में बहुमत साबित करना है। इससे पहले गौर करने वाली बात यह है कि कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर केआर रमेश कुमार ने अभी तक केवल तीन बागी विधायकों को ही अयोग्य ठहराया है। गौरतलब है कि उन्होंने गुरुवार को कांग्रेस के दो बागी विधायकों रमेश जर्किहोली व महेश कुमाताहल्ली और एक निर्दलीय विधायक आर. शंकर को तत्काल प्रभाव से अयोग्य करार दे दिया था। इन तीनों के अलावा 14 बागी विधायकों का भाग्य अभी भी अधर में लटका हुआ है। यही वजह है कि भाजपा ने सरकार बनाने में जल्दबाजी नहीं दिखाई और उन्होंने सरकार बनाने का दावा देरी से पेश किया।

    बहुमत से दूर भाजपा
    इसके नतीजतन सदन की ताकत अभी भी 222 सदस्य की है और भाजपा सरकार बनाने के लिए 112 विधायकों की जरूरत होगी। एक निर्दलीय सहित 106 विधायकों के साथ भाजपा अभी भी बहुमत से दूर है। अगर बागी विधायकों का इस्तीफा स्वीकार होता है या ये विधायक अयोग्य घोषित होते हैं, तो भाजपा फ्लोर टेस्ट पास कर जाएगी। हालांकि, इसके बाद उसके लिए सिरदर्द उपचुनाव होगा। उपचुनाव के बाद बहुमत हासिल करने के लिए उसे कम से कम आठ सीटों की आवश्यकता होगी। यानी भाजपा को उपचुनावों में अपने दम पर जीत हासिल करनी होगी। 

    फ्लोर टेस्ट से पहले दे दिया था इस्तीफा
    सीएम येद्दयुरप्पा सदन में 29 जुलाई को बहुमत साबित करेंगे। इससे पहले पिछले साल चुनाव के बाद भाजपा राज्य में सबसे अधिक सीट जीतकर भी बहुमत साबित करने से चूक गई थी। इस दौरान येद्दयुरप्पा ने शपथ सीएम के तौर पर शपथ ले ली थी, लेकिन फ्लोर टेस्ट से पहले बहुमत का आंकड़ा न होने पर उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। 

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