CM BS yediyurappa: चौथी बार CM बने बीएस येद्दयुरप्पा, शपथ से पहले नाम की स्पेलिंग में Change
CM BS yediyurappa बीएस येद्दयुरप्पा एक ऐसा नाम जो कर्नाटक भाजपा की राज्य इकाई के सबसे कद्दावर नेताओं में से एक हैं। वे राज्य में चौथी बार मुख्यमंत्री बने हैं।
बेंगलुरू, जेएनएन। CM BS yediyurappa बीएस येद्दयुरप्पा कर्नाटक में चौथी बार मुख्यमंत्री बने हैं। वह कर्नाटक भाजपा के सबसे कद्दावर नेताओं में से एक हैं। येद्दयुरप्पा भाजपा के एक ऐसे नेता हैं, जिनके बूते पर पार्टी ने पहली बार दक्षिण भारत में ना सिर्फ जीत का स्वाद चखा, बल्कि सत्ता पर शासन भी किया।
उनका पहले का शासनकाल विवादों में रहा है। वह शुक्रवार शाम को सीएम पद की शपथ ली। शपथ से पहले बीएस येद्दयुरप्पा ने अपने नाम की अंग्रेजी स्पेलिंग में बदलाव किया है। कहा जा रहा है कि अंकशास्त्रियों से सलाह-मशविरे के बाद अब तक अपने नाम में yeddyurappa लिख रहे बीएस येद्दयुरप्पा ने अब इस स्पेलिंग में से 'डी' को हटाकर 'आई' जोड़ लिया है। अब वह अपने नाम में yediyurappa लिख रहे हैं।
ज्ञात हो कि 2007 से पहले बीएस येद्दयुरप्पा का नाम की स्पेलिंग यही थी, जो उन्होंने अब कर ली है। लेकिन, उस दौरान भी कुछ भी चीजों को ध्यान में रखते हुए बदलाव किया था। हाल में उनकी ओर से भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को लिखे गए एक पत्र में अपने नाम में नई स्पेलिंग्स का इस्तेमाल करते देखा गया।
राज्यपाल को सरकार बनाने का दावा करने को लिखे गए पत्र में भी उन्होंने अपने नाम में नई स्पेलिंग का इस्तेमाल किया है। विधानसभा में उनके नाम के बोर्ड में भी नाम की नई स्पेलिंग जोड़ी गई है। हालांकि सोशल मीडिया पर और जो उनकी आधिकारिक वेबसाइट है, उस पर वह अपना पुराना नाम ही इस्तेमाल कर रहे हैं।
ये रहा प्रारंभिक जीवन
येद्दयुरप्पा का जन्म कर्नाटक के मांड्या जिले के बुकानाकेरे में 27 फरवरी 1943 को लिंगायत परिवार में हुआ। कर्नाटक की राजनीति में लिंगायत वोट बैंक का खासा असर रहा है 1965 में सामाजिक कल्याण विभाग में प्रथम श्रेणी क्लर्क के रूप में नियुक्त बीएस येद्दयुरप्पा नौकरी छोड़कर शिकारीपुरा चले गए, जहां उन्होंने वीरभद्र शास्त्री की शंकर चावल मिल में एक क्लर्क के रूप में काम किया।
अपने कॉलेज के दिनों में वे RSS का हिस्सा रहे। 1970 में उन्होंने सार्वजनिक सेवाएं शुरू कीं, जिसके बाद उन्हें इसी सीट का कार्यवाहक नियुक्त किया गया। बूकानाकेरे सिद्धलिंगप्पा येद्दयुरप्पा को ज्यादातर हिन्दी भाषी बीएस येद्दयुरप्पा के नाम से जानते हैं। उनके दो पुत्र और तीन बेटियां हैं। जब वो चार साल के थे, तभी उनकी मां का देहांत हो गया।
राजनीतिक जीवन
साल 2007 में कर्नाटक में राजनीतिक उलटफेरों के बाद प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू हुआ, जिसके बाद जैसे-तैसे जेडीएस और भाजपा ने आपसी मतभेदों को दूर किया। यह मतभेद येद्दयुरप्पा के लिए काफी सहायक साबित हुए और 12 नवंबर 2007 को भाजपा राज्य की सत्तासीन पार्टी बनी।
येद्दयुरप्पा कर्नाटक भाजपा के एक ऐसे नेता हैं, जिनके बूते पर पार्टी ने पहली बार दक्षिण भारत में ना सिर्फ जीत दर्ज की बल्कि सत्ता पर शासन भी किया। हालांकि येद्दयुरप्पा का शासनकाल अपने काम से ज्यादा विवादों के कारण सुर्खियों में रहा। तीन साल बाद खनन घोटाले में फंसने के बाद येद्दयुरप्पा की सत्ता चली गई।
शिकारीपुरा सीट से वे 1983 से जीतते आ रहे हैं। सिर्फ एक बार ही 1999 में उन्हें कांग्रेस के महालिंगप्पा से हार का सामना करना पड़ा था। सीएम की कुर्सी जाने के बाद येदियुरप्पा भाजपा से अलग हो गए। हालांकि कुछ दिनों बाद ही भाजपा को लगा कि उनके बिना पार्टी का दक्षिण भारत में अस्तित्व नहीं रह जाएगा। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनने के बाद जनवरी 2013 में पार्टी में दोबारा उनकी वापसी हुई।
इतना ही नहीं, 2018 में भाजपा ने दोबारा येद्दयुरप्पा पर ही दांव खेला और उन्हें सीएम पद का उम्मीदवार बनाया। एक के बाद एक संकटों से उबरकर येद्दयुरप्पा ने खुद को पार्टी के अंदर राजनीतिक धुरंधर के रूप में साबित किया है। एक बार फिर बीएस येद्दयुरप्पा चौथी बार मुख्यमंत्री बने हैं।
बीएस येद्दयुरप्पा का अब तक राजनीतिक सफर
2007 में उन्होंने जेडीएस के समर्थन से सरकार बनाई थी जो कि 9 दिन ही चल सकी थी।
2008 में कर्नाटक में भाजपा ने शानदार जीत हासिल की थी। भाजपा अपने दम पर 224 सदस्यीय विधानसभा में 110 सीटें जीत सत्ता में आई थी। तब येद्दयुरप्पा 2011 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे थे।
2011 में मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए उन पर जमीन की धोखाधड़ी के संगीन आरोप लगे थे। इस मामले में उनकी गिरफ्तारी हुई थी और उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
2012 में उन्होंने भाजपा से अलग होकर कर्नाटक जनता पक्ष पार्टी का गठन किया।
2013 में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के आग्रह पर येद्दयुरप्पा को पार्टी में फिर से शामिल करने के लिए राजी कर लिया और 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने राज्य में 28 सीटों में से 17 सीटों पर जीत हासिल की।
2014 के लोकसभा चुनाव के बाद येद्दयुरप्पा को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। वहीं बीते कुछ सालों तक उनके खिलाफ कई भाजपा नेताओं में असंतोष था। इसके बावजूद भी उन्हें चुनौती देने वाला कोई नेता नहीं था। उनके पास अभी भी राज्य में राजनीतिक रूप से प्रमुख लिंगायत समुदाय का बड़ा समर्थन है।
2018 के विधानसभा चुनावों में येदियुरप्पा के नेतृत्व में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन तो किया लेकिन 224 सीटों में से 104 सीटें ही जीत सकी। जो कि बहुमत के आंकड़े से कम था। राज्यपाल वजुभाई वाला द्वारा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सरकार बनाने के लिए येदियुरप्पा को आमंत्रित किया गया था। लेकिन येद्दयुरप्पा इस बार भी तीन दिन ही सत्ता में रहे और 19 मई को उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। तब फ्लोर टेस्ट में कांग्रेस-जेडीएस ने विश्वासमत हासिल किया और राज्य में गठबंधन सरकार बनी।
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