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दलितों के खिलाफ बढ़ रहे अपराधों की वजह जानकर चौंक जाएंगे आप

हाल के कुछ वर्षों में दलितों के खिलाफ होने वाले अपराधों में बढ़ोतरी हुई है। लेकिन इसके पीछे की वजह जानकर आप चौंक जाएंगे।

By Kamal VermaEdited By: Published: Mon, 04 Jul 2016 04:00 PM (IST)Updated: Mon, 04 Jul 2016 06:53 PM (IST)
दलितों के खिलाफ बढ़ रहे अपराधों की वजह जानकर चौंक जाएंगे आप

नई दिल्ली (आईएएनएस)। हाल के कुछ वर्षों में दलितों के साथ होने वाले अपराध में काफी तेजी देखने को मिली है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक दलितों (एससी/एसटी) के खिलाफ हुए अपराधों में करीब चालीस से 118 फीसद तक की तेजी देखने को मिली है। राज्यवर यदि देखें तो सबसे अधिक शिक्षित राज्य केरल में दलितों की स्थिति सबसे अधिक खराब है। यहां पर वर्ष 2014 में सबसे अधिक दलितों के खिलाफ अपराध दर्ज किए गए। इसके बाद उत्तर प्रदेश में करीब 8075 मामले, राजस्थान में 8028 मामले, बिहार में 7893 मामले, ओडिशा में 1259 मामले दलितों के खिलाफ दर्ज किए गए।

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यह हाल तब है जब देश में इन्हें रोकने के लिए कानूनों की कमी नहीं है। इंडियन पेनल कोड के अलावा दलितों के खिलाफ मामलों को रोकने के लिए प्रोटेक्शन सिविल राइट एक्ट 1955, एससी/एसटी एक्ट 1989 भी मौजूद है। इसके बाद भी दलितों के खिलाफ होने वालेे अपराध रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। वर्ष 2009 में जहां अनुसूचित जाति (एससी) के खिलाफ हुए अपराधों में 33412 मामले दर्ज हुए वहीं अनुसूचित जनजाति के खिलाफ हुए अपराधों में करीब 5250 मामले दर्ज हुए थे। वहीं वर्ष 2014 में यह बढ़कर 47064 और 11451 हो गए।

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एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2014 में अनुसूचित जाति (एससी) की महिलाओं के साथ रेप के 2233मामले, हत्या के 704 मामले दर्ज हुए। वहीं अनुसूचित जनजाति (एसटी) की महिलाओं के साथ रेप के 925 अौर हत्या के 157 मामले दर्ज किए गए। हैदराबाद की मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी में मौजूद सेंटर फॉर स्टडी ऑफ सोशल एक्सक्लूसन एंड इंक्लूसिव पॉलिसी के डायरेक्टर कांचा इल्लैया के मुताबिक मौजूदा समय में अगड़ी जाति के लोगों में उनके भविष्य को लेकर अनिश्चितता बढ़ गई है।

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वह लोग दलितों के मुकाबले अपने को असुरक्षित मानने लगे हैं। इसकी वजह दलितों का विकास आैर उनका तरक्की करना है। उनका कहना है कि अगड़ी जाति के लोगों ने दलितों को हमेशा ही हीन दृष्टि से देखा भी है और रखा भी है। यही वजह है कि अब उनसे उनका विकास और उनकी तरक्की देखी नहीं जा रही है। जिन लोगों को वह अपना गुुलाम बनाकर रखते थे वह अब उनसे आगे निकल गए हैं।

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दिल्ली समेत कई जगहों पर जाट आरक्षण की मांग के दौरान अगड़ी जाति के लोगों ने दलितों पर न सिर्फ हमलेे किए बल्कि उनकी हत्याएं तक कर दी थीं। उनके मुताबिक यह इसी अनिश्चितता के माहौल का नतीजा है। इंडिया स्पेंड के मुताबिक भारत में आॅर्गेनाइज इंडस्ट्री में वर्ष 2014 में करीब 5 लाख नौकरियां दी गईं। अगड़ी जातियां दलितों को हटाकर उन्हें मिलने वाली सुविधाएंं लेने को आतुर है। इल्लैया मानते हैं कि कानून बनाए रखने को जो पुलिस लगी है वह भी इसी हीन भावना का शिकार है। वह भी अपने यहां पर आने वाले को उसकी जाति से अधिक देखा करते हैं और भेदभाव करते हैं।

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