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    Iceberg से टकराने से पहले Titanic को मिली थी 6 बार चेतावनी, आखिरी समय में म्यूजिशियन क्यों बजा रहे थे म्यूजिक

    By Nidhi AvinashEdited By: Nidhi Avinash
    Updated: Mon, 10 Apr 2023 04:23 PM (IST)

    Titanic Ship 14 अप्रैल की रात करीब 11 बजकर 40 मिनट पर जहाज के प्रहरियों ने एक आईसबर्ग को देखा था। प्रहरियों के चेतावनी देने के बावजूद जहाज पूरे रफ्तार से आगे बढ़ रहा था। आइसबर्ग से जहाज के टकराने से पहले जहाज को छह बार चेतावनियां मिली थीं।

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    Titanic First and Last Journey 10 April 1912 Complete History

    नई दिल्ली,ऑनलाइन डेस्क। Titanic Ship: वो जहाज जिसने कभी न डूबने का किया था दावा। रॉयल मेल शिप (RMS) टाइटैनिक (Royal Mail Ship (RMS) Titanic) इस जहाज को कभी भी भूला नहीं जा सकता है, क्योंकि यह अपने समय में सबसे बड़ा समुद्री जहाज हुआ करता था।

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    इस जहाज का निर्माण 31 मार्च, 1909 से शुरू हुआ था और 26 महीनों के भीतर यानी 31 मई, 1911 को पूरा तैयार किया गया था। बता दें कि जब यह जहाज बनकर तैयार हो गया था,तो इसे देखने के लिए लगभग एक लाख से ज्यादा लोग आए थे। जहाज के अंदरूनी पार्ट का काम खत्म होने के बाद,वर्ष 1912 को यह अपनी पहली और आखिरी यात्रा के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी।

    टाइटैनिक जहाज की पहली यात्रा

    10 अप्रैल, 1912

    टाइटैनिक जहाज कब डूबा?

    14 अप्रैल, 1912

    कितने की हुई मौत

    1500

    कब मिला जहाज का मलबा

    1985

    10 अप्रैल को शुरू हुई टाइटैनिक की पहली और आखिरी यात्रा

    टाइटैनिक 10 अप्रैल, 1912 को इंगलैंड के साउथम्पटन से न्यूयॉर्क के लिए रवाना हुई, लेकिन ठीक इसके चार दिन बाद जो हुआ वो आज भी इतिहास के पन्नों में दर्ज है। 14-15 अप्रैल, 1912 को टाइटैनिक जहाज में चैन की निंद सो रहे लोगों की रात काल में तब्दील हो गई।

    टाइटैनिक जहाज की बर्फ की ऊंची चोटी आईसबर्ग (Iceberg) से जोरदार टक्कर हुई और धीरे-धीरे जहाज के निचले हिस्से में पानी भरने लगा। यह आईसबर्ग 100 फीट ऊंचा था और यह जहाज उत्तरी अटलांटिक सागर में डूबी थी।

    समुद्र की गोद में समा रहा था टाइटैनिक

    एक तरफ जहाज समुद्र की गोद में धीरे-धीरे समा रहा था, तो वहीं सभी यात्रियों के अंदर डर का माहौल पैदा हो गया। मौत सामने थी,लेकिन कुछ लोगों ने समझदारी दिखाई और जहाज से लोगों को बचाने का काम शुरू किया। महिलाओं और बच्चों को पहली प्राथमिकता दी गई और जहाज में मौजूद लाइफबोट से सभी को उतारा जाने लगा। केवल 2 घंटे बचे थे जहाज को डूबने में और हर एक सेकंड लोगों के लिए कीमती होता जा रहा था।

    जहाज पर सवार थे तीन हजार से भी अधिक लोग

    जहाज पर लगभग 3 हजार से अधिक लोग सवार थे, जिनमें से 2 हजार से अधिक यात्री थे और बाकी क्रू मेंबर्स। इनमें से लगभग 1500 लोगों की मौत हो गई थी। सबकी जान बच सकती थी, लेकिन जहाज पर केवल 20 ही लाइफबोट थे। इस दुर्घटना के बाद सुमद्र पर लगभग 300 से अधिक लोगों की लाशे तैर रही थी। बाकी लाशें कहां गई कुछ भी नहीं पता चला।

    टाइटैनिक का मलबा ढूंढने में लगे 75 साल

    टाईटैनिक जिस पानी में डूबा, उसका तापमान इतना कम था कि महज 15 मिनट के भीतर ही इंसान की हड्डी गला सकती है। माना जाता है कि,जहाज में मौजूद म्यूजिशियन इसके डूबने तक म्यूजिक बजाते रहे, जिससे मरने जा रहे लोग अपने आखिरी समय को खुशी से बीता सके।

    आपको बता दें कि जहाज का मलबा ढूंढने में 75 साल लगे और 1 सितंबर, 1985 को टाइटैनिक का मलबा समुद्र में खोज लिया गया। यह जहाज दो टुकड़ों में मिला था।

    टाइटैनिक में सफर नहीं करने वाले थे कई लोग

    आपको जानकर हैरानी होगी, लेकिन बहुत से लोग टाइटैनिक में सफर नहीं करने वाले थे। टाइटैनिक के मालिक व्हाइट स्टार लाइन ने अपनी दो समुद्री जहाजों की यात्रा कोयले की कमी के कारण रद्द कर दी थी। इन दो जहाजों के सभी यात्रियों को टाइटैनिक जहाज में शिफ्ट किया गया।

    आज से करीब 100 साल पहले टाइटैनिक में सफर करना बहुत मंहगा था। आज के समय में अगर इस जहाज में यात्रा करना होता तो लगभग 50 लाख से ज्यादा की रकम चुकानी पड़ती। इस जहाज में महिलाओं से ज्यादा पुरुषों की संख्या अधिक थी। खाने-पीने से लेकर एक्सरसाइज करने की भी पूरी सुविधा थी।

    आइसबर्ग की दी गई थी 6 बार चेतावनी

    • 14 अप्रैल की रात करीब 11 बजकर 40 मिनट पर जहाज के प्रहरियों ने एक आईसबर्ग को देखा था। प्रहरियों के चेतावनी देने के बावजूद जहाज पूरे रफ्तार से आगे बढ़ रहा था। यह हादसा रूक सकता था, अगर इस जहाज को सही समय पर रोक दिया जाता तो। बता दें कि आइसबर्ग से जहाज के टकराने से पहले जहाज को छह बार चेतावनियां मिली थीं।
    • समुद्र में आगे की हालत को देखने के लिए इस्तेमाल किया जाना वाला बाइनोक्यूलर्स बंद करके रख दिया जाता था। इसके कारण समुद्र में आगे के हालत नहीं पता चल पाया और दुर्घटना हो गई।
    • लाइफबोट की संख्या महज 20 थी, अगर इसकी संख्या ज्यादा होती तो, ज्यादा से ज्यादा लोगों को बचाया जा सकता था।
    • जो यात्री लाइफ जैकेट्स पहनकर पानी में उतरे थे, उनमें से ज्यादातर की ठंड की वजह से मौत हो गई।
    • बड़े आपादा से निपटने के लिए टाइटैनिक बिल्कुल भी तैयार नहीं था।