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    BJP Foundation Day: इन कद्दावर नेताओं की बदौलत भाजपा ने फर्श से अर्श तक का सफर किया तय

    By Anurag GuptaEdited By: Anurag Gupta
    Updated: Fri, 07 Apr 2023 01:20 AM (IST)

    छह अप्रैल 1980 में भाजपा की स्थापना हुई। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा 1951 में स्थापित भारतीय जनसंघ से इस नयी पार्टी का जन्म हुआ। 1977 में आपातकाल की घोषणा के बाद जनसंघ का कई अन्य दलों से विलय हुआ और जनता पार्टी का उदय हुआ।

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    BJP Foundation Day: इन कद्दावर नेताओं की बदौलत भाजपा ने फर्श से अर्श तक का सफर किया तय

    नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। भारतीय जनता पार्टी (BJP) का इतिहास भव्य और सुनहरे अक्षरों से अंकित करने वाला है। यूं तो आजाद भारत में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित जवाहरलाल नेहरू के बीच पनपे मतभेदों के बाद ही भाजपा की विचारधारा की स्थापना हो चुकी थी, लेकिन अंतिम मुहर लगने में थोड़ा समय लगा।

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    बता दें कि छह अप्रैल, 1980 में भाजपा की स्थापना हुई। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा 1951 में स्थापित भारतीय जनसंघ से इस नयी पार्टी का जन्म हुआ। 1977 में आपातकाल की घोषणा के बाद जनसंघ का कई अन्य दलों से विलय हुआ और जनता पार्टी का उदय हुआ। पार्टी ने 1977 के आम चुनाव में कांग्रेस से सत्ता छीन ली और 1980 में जनता पार्टी को भंग करके भाजपा की नींव रखी गई।

    फर्श से अर्श तक का सफर

    भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी जैसे नेताओं के उल्लेखनीय योगदान की बदौलत भाजपा ने संसद में 2 सीटों से लेकर बहुमत तक का आंकड़ा पार किया और स्वस्थ लोकतंत्र की अवधारणा को चरितार्थ किया। ऐसे में हम राजनीतिज्ञों के बारे में विस्तृत चर्चा करेंगे।

    डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी

    जम्मू-कश्मीर को भारतीय संविधान के दायरे में लाने और एक देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान के विरोध में सबसे पहले अपनी आवाज बुलंद करने वाले डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सपने को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पांच अगस्त, 2019 को साकार किया था। भारतीय राजनीतिज्ञ, बैरिस्टर और शिक्षाविद डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की मदद से भारतीय जनसंघ की स्थापना की थी, जो आगे चलकर जनता पार्टी के रास्ते भाजपा में बनी।

    पंडित दीनदयाल उपाध्याय

    साल 1916 में भगवान कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा में जन्में पंडित दीनदयाल उपाध्याय आरएसएस के पदाधिकारी और जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। पंडित दीनदयाल उपाध्याय आरएसएस के विचारक और भारतीय जनसंघ के पूर्व नेता, भाजपा के अग्रदूत थे। उन्होंने साल 1963 में जौनपुर की लोकसभा सीट से उपचुनाव लड़ा था, लेकिन चुनाव जीतने में वह कामयाब नहीं हो पाए थे। उस वक्त जनसंघ के सांसद ब्रम्ह जीत सिंह की मौत के बाद उन्होंने चुनाव लड़ा था। साल 1967 में वह जनसंघ के अध्यक्ष बने थे।

    भारतीय राजनीति में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के योगदान को देखते हुए केंद्र की मोदी सरकार ने उनकी जयंती को हर साल अंत्योदय दिवस के तौर पर मनाने का निर्णय लिया था।

    अटल बिहारी वायपेयी

    यूं तो राजनीतिक शख्सियतों को उनकी जयंती या फिर पुण्यतिथि के मौके पर याद किया जाता है, लेकिन भारतीय राजनीति के अजातशत्रु माने जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को हर दिन याद किया जाता है। विपक्षी नेताओं के साथ उनके रिश्तों की आज भी चर्चा होती है। 

    अटल बिहारी वाजपेयी को तीन बार प्रधानमंत्री बनने का सौभाग्य मिला था। पहली बार 13 दिन, दूसरी बार 13 महीने और फिर तीसरी बार पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाले अटल बिहारी वाजपेयी भाजपा के संस्थापक सदस्यों में से एक थे।

    लालकृष्ण आडवाणी

    कराची में सिंधी परिवार में जन्में लालकृष्ण आडवाणी भाजपा के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। साल 1951 में वह जनसंघ से जुड़े थे और 1973 में उन्हें जनसंघ का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। हालांकि, 1977 में उन्होंने अटल बिहारी वायपेयी के साथ मिलकर जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की, लेकिन 1980 में जनता पार्टी के भंग होने के बाद उन्होंने भाजपा की नींव रखी थी।

    1986 में लालकृष्ण आडवाणी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे और 1991 तक इस पद पर रहे थे। साल 1998 से 2004 तक एनडीए सरकार में गृह मंत्री का पदभार संभाला था। उन्हें पार्टी के उदय का श्रेय दिया जाता है। साल 1984 में 2 सीटों से लेकर भाजपा ने 1998 में 182 सीटों का सफर तय किया, जो बदस्तूर जारी है और पार्टी ने बहुमत का भी आंकड़ा पार कर लिया।

    मुरली मनोहर जोशी

    'भाजपा की तीन धरोहर- अटल, आडवाणी, मुरली मनोहर' यह नारा 90 के दशक में सुनाई देता था। हालांकि, मौजूदा समय में 'अबकी बार मोदी सरकार' नारा ही गूंजता है। मुरली मनोहर जोशी भाजपा के कद्दावर नेताओं में से  एक हैं। उन्होंने साल 1991 से लेकर 1993 के बीच में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पदभार संभाला था। प्रोफेसर से राजनेता बने मुरली मनोहर जोशी कई मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं।