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    China Taiwan Conflict: ताइवान को लेकर चीन और अमेरिका के बीच क्यों मची है रार, क्या है टकराव की वजह?

    By Mahen KhannaEdited By: Mahen Khanna
    Updated: Sat, 08 Apr 2023 12:25 PM (IST)

    China Taiwan Conflict ताइवान की राष्ट्रपति के अमेरिका दौरे के बाद से चीन भड़का हुआ है और आज उसने ताइवान सीमा के पास सैन्य अभ्यास शुरू कर दिया। उधर अमेरिका भी ताइवान से नजदीकियां बढ़ा रहा है। आखिर ताइवान को लेकर चीन और अमेरिका में रार क्यों है आइए जानें।

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    China Taiwan Conflict ताइवान को लेकर क्यों बिगड़ रहे चीन-अमेरिका के रिश्ते।

    नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। China Taiwan Conflict ताइवान को लेकर चीन और अमेरिका के बीच आए दिन कोई न कोई टकराव की बात सामने आती रहती है। हाल ही में ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन के अमेरिका दौरे से भी चीन भड़का हुआ है और उसने अंजाम भुगतने की भी चेतावनी दी है। इस बीच चीन ने आज ताइवान के सीमा क्षेत्रों के पास सैन्य अभ्यास भी शुरू कर दिया है।

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    उधर, अमेरिका भी ताइवान से अपनी नजदीकियां बढ़ा रहा है। आखिर ताइवान को लेकर चीन और अमेरिका (China-US Relation) क्यों भिड़े रहते हैं और दोनों के लिए यह क्षेत्र इतना खास क्यों है, आइए जानें।

    नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद बढ़ा टकराव

    बीते साल अमेरिका की तत्कालीन हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी ने ताइवान यात्रा की थी, जिसके बाद से ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन में लगातार बढ़ा है। नैंसी की यात्रा से पहले ही चीन ने धमकियां देना शुरू कर दिया था, लेकिन फिर भी पूर्व अमेरिकी स्पीकर ने अपनी यात्रा पूरी कर ताइवान के साथ हर मौके पर खड़े रहने की बात कही। 

    दरअसल, नैंसी की यात्रा से अमेरिका ने ये दर्शाया है कि वो ताइवान को चीन से युद्ध छिड़ने पर हर मुमकिन सहायता देगा और हिंद प्रशांत क्षेत्र में वो चीन का वर्चस्व नहीं बनने देगा। 

    चीन और अमेरिका के लिए इसलिए जरूरी है ताइवान

    ताइवान को चीन अपना हिस्सा मानता है और इसको लेकर वो शंघाई घोषणापत्र भी जारी कर चुका है। वैसे तो 1972 में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने इस घोषणापत्र को मानते हुए वन चाइना पॉलिसी को बनाया, लेकिन अमेरिका आज भी अपने हित साधने से नहीं चूकता। इस पॉलिसी के तहत, अमेरिका ताइवान को चीन का हिस्सा मानता है, लेकिन वो ताइवान के साथ खड़े होकर ये भी दर्शाता है कि युद्ध होने पर वो सैन्य सहायता तक ताइपे को देगा।

    दरअसल, चीन की सीमा लगने के चलते अमेरिका ताइवान के साथ अपने संबंध बेहतर करने पर लगा है। चीन को हिंद प्रशांत क्षेत्र में हावी न होने देने और दुनिया में अपना दबदबा कायम रखने के लिए अमेरिका ये सब कर रहा है।

    चीन के लिए आसान नहीं युद्ध, यूक्रेन नहीं है ताइवान  

    चीन कई दफा ताइवान पर आक्रमण करने की गीदड़भभकी दे चुका है। इसके चलते वो ताइवान की सीमा लांघ कई बार सैन्य अभ्यास भी कर चुका है, लेकिन ताइवान से युद्ध चीन के लिए आसान नहीं है। दरअसल, ताइवान कोई यूक्रेन की तरह कम ताकतवर देश नहीं है।

    ताइवान तकनीक और आधुनिक हथियार के मामले में भी यूक्रेन से कई गुना संपन्न है। इसलिए, रूस ने जैसे यूक्रेन पर हमला किया, वैसा चीन द्वारा करना आसान नहीं है।