बिहार में जाति आधारित जनगणना के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई
याचिका में बिहार सरकार के जाति आधारित जनगणना कराए जाने की अधिसूचना को गैर कानूनी और मनमानी कार्यवाही बताते हुए रद करने की मांग की गई है। याचिका बिहार के नालंदा में रहने वाले अखिलेश कुमार ने दाखिल की है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। बिहार में जाति आधारित जनगणना को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट जल्द सुनवाई को राजी हो गया है। कोर्ट ने मामले पर 20 जनवरी को सुनवाई पर लगाने की मंजूरी दी है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में बिहार में हो रही जाति आधारित जनगणना को चुनौती देते हुए कहा गया है कि जनगणना कराने का अधिकार केंद्र सरकार को है, राज्य सरकार को जनगणना कराने का अधिकार नहीं है।
नालंदा में रहने वाले अखिलेश कुमार ने दाखिल की याचिका
याचिका में बिहार सरकार के जाति आधारित जनगणना कराए जाने की अधिसूचना को गैर कानूनी और मनमानी कार्यवाही बताते हुए रद करने की मांग की गई है। याचिका बिहार के नालंदा में रहने वाले अखिलेश कुमार ने दाखिल की है। बुधवार को याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील बरुन कुमार सिन्हा ने प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्ररचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष याचिका का जिक्र करते हुए मामले पर शीघ्र सुनवाई की मांग की।
कोर्ट ने जनहित याचिका को 20 जनवरी को सुनवाई पर लगाने को दी मंजूरी
कोर्ट ने आग्रह स्वीकार करते हुए मामले को अगले शुक्रवार 20 जनवरी को सुनवाई पर लगाने की मंजूरी दी। अखिलेश कुमार ने जनहित याचिका में बिहार सरकार के जाति आधारित जनगणना कराने की छह जून 2022 की अधिसचूना रद करने की मांग करते हुए कहा है कि अधिसूचना गैर कानूनी है और कानूनन बिहार सरकार को जाति आधारित जनगणना कराने का अधिकार नहीं है। कहा गया है कि इसमें कानूनी प्रश्न विचार का है कि क्या राज्य विधानसभा से इस बारे में कानून पारित किये बगैर जाति आधिरत जनगणना कराने की अधिसूचना राज्य सरकार जारी कर सकती है।
याचिकाकर्या का कहना है कि जनगणना केंद्रीय सूची में प्रविष्टि 69 का विषय है इसलिए जनगणना के विषय में केंद्र सरकार और संसद कोअधिकार है। मांग की गई है कि बिहार सरकार की जाति आधारित जनगणना कराने की अधिसूचना रद की जाए और बिहार सरकार को जाति आधारित जनगणना करने से रोका जाए।
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