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    मणिपुर घटना पर सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान, CJI बोले- वीडियो 'परेशान करने वाला', सरकार तत्काल करे कार्रवाई

    By Jagran NewsEdited By: Shashank Mishra
    Updated: Thu, 20 Jul 2023 07:52 PM (IST)

    दो युवतियों की नग्न परेड के वीडियो पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत संज्ञान लिया है। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा वीडियो बेहद परेशान करने वाला है। CJI ने कहा कि यह संवैधानिक अधिकारों और मानवाधिकारों का घनघोर उल्लंघन है। कोर्ट ने कहा सरकार तत्काल कार्रवाई करे अन्यथा हम करेंगे कार्रवाई। SC ने मणिपुर की सरकार और केंद्र सरकार से मामले में की गई कार्रवाई की रिपोर्ट तलब की है।

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    कोर्ट ने कहा सरकार तत्काल कार्रवाई करे अन्यथा हम करेंगे कार्रवाई।

    नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। मणिपुर में हिंसा के दौरान दो युवतियों की नग्न परेड के वीडियो पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है। गुरुवार को कोर्ट ने मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए घटना को बेहद परेशान करने वाला और अस्वीकार्य करार दिया। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा वीडियो बेहद परेशान करने वाला है। उन्होंने कहा सांप्रदायिक संघर्ष के दौरान हिंसा को अंजाम देने के लिए महिलाओं का इस्तेमाल एक साधन के रूप में करना बहुत ही परेशान करने वाला है, संवैधानिक लोकतंत्र में यह अस्वीकार्य है।

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    सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा वीडियो

    प्रधान न्यायाधीश ने आगे कहा कि यह संवैधानिक अधिकारों और मानवाधिकारों का घनघोर उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर की सरकार और केंद्र सरकार से इस मामले में की गई कार्रवाई की रिपोर्ट तलब की है। मणिपुर में हिंसा के दौरान दो युवतियों को भीड़ द्वारा नग्न परेड कराए जाने का एक वीडियो कल यानी बुधवार शाम से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जिस पर कोर्ट ने संज्ञान लिया है।

    गुरुवार की सुबह साढ़े दस बजे जैसे ही प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ अति आवश्यक मामलों की मेंशनिंग सुनने के लिए बैठी जस्टिस चंद्रचूड़ ने मणिपुर के वीडियो का जिक्र किया। कोर्ट ने पहले से ही अटार्नी जनरल आर. वेंकटरमणी और सालिसिटर जनरल तुषार मेहता को कोर्ट में बुलाया हुआ था।

    दोषियों पर क्या कार्रवाई की गई: SC

    कोर्ट ने घटना पर रोष प्रकट करते हुए देश के दोनों विधि अधिकारियों से कहा कि उन्हें मालूम है कि घटना 4 मई की है लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। राज्य सरकार और केंद्र सरकार कोर्ट को बताए कि चार मई से अभी तक इस घटना के दोषियों पर क्या कार्रवाई की गई है और यह भी बताए कि भविष्य में ऐसी घटना दोबारा नहीं होगी इसे सुनिश्चित करने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है।

    कोर्ट ने कहा कि हो सकता है कि यह एक ही घटना हो, यह भी हो सकता है कि यह अकेली घटना न हो, कोई पैटर्न हो। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि इतिहास है, कि दुनिया भर में ऐसी स्थितियों में हिंसा को अंजाम देने के लिए महिलाओं का इस्तेमाल एक साधन के रूप में होता है, लेकिन संवैधानिक लोकतंत्र में ये अस्वीकार्य है। अब समय आ गया है कि सरकार जल्दी कार्रवाई करे क्योंकि जो हुआ वह अस्वीकार्य है।

    कोर्ट ने कहा कि वह सरकार को कार्रवाई के लिए थोड़ा समय दे रहे हैं और अगर जमीनी स्तर पर कुछ नहीं हुआ तो कोर्ट कार्रवाई करेगा। कोर्ट की चिंता साझा करते हुए सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी कहा ऐसी घटनाएं कतई अस्वीकार्य हैं।

    सरकार भी घटना को लेकर गंभीर हैं और वे कोर्ट को इस पर हुई कार्रवाई से अवगत कराएंगे। कोर्ट ने राज्य और केंद्र से कार्रवाई रिपोर्ट मांगते हुए मामले को 28 जुलाई को फिर सुनवाई पर लगाने का आदेश दिया है।