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    यूपी सहायक शिक्षक मामलें में सुप्रीम कोर्ट ने बेसिक शिक्षा विभाग से मांगा भर्ती का ब्योरा

    By Dhyanendra SinghEdited By:
    Updated: Fri, 26 Jul 2019 10:37 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने सक्षम अधिकारी को चार सप्ताह में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। साथ ही कहा है कि हलफनामे की सॉफ्ट कापी अवमानना याचिकाकर्ताओं क ...और पढ़ें

    यूपी सहायक शिक्षक मामलें में सुप्रीम कोर्ट ने बेसिक शिक्षा विभाग से मांगा भर्ती का ब्योरा

    नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में 72825 सहायक शिक्षकों की भर्ती के मामले में राज्य सरकार से भर्तियों का विस्तृत ब्योरा मांगा है। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव सुश्री रेणुका कुमार को चार सप्ताह में हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है।

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    इसके साथ ही कोर्ट ने आदेश की अवहेलना का आरोप लगाने वाली उम्मीदवारों की अवमानना याचिका पर सभी पक्षों की बहस सुनकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। यह मामला प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों में वर्ष 2011 में निकाली गई 72825 सहायक शिक्षकों की भर्ती से जुड़ा है।

    न्यायमूर्ति यूयू ललित और एमआर शाह की पीठ ने अवमानना याचिका पर सुनवाई के बाद गत 22 जुलाई को यह आदेश दिये। बहुत से उम्मीदवारों ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल कर उत्तर प्रदेश सरकार पर कोर्ट के आदेश का पालन न करने का आरोप लगाया है। जबकि राज्य सरकार का कहना है कि आदेश का पालन किया गया।

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    प्रतिपक्षी दावों को देखते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार से तीन बिंदुओं पर हलफनामा दाखिल कर विस्तृत ब्योरा देने को कहा है। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि वह जिलावार ब्योरा देकर बताए कि अक्टूबर 2016 तक किन श्रेणियों में कुल कितने उम्मीदवारों की नियुक्ति की गई। इसके अलावा क्या अक्टूबर 2016 के बाद कोई नई नियुक्तियां प्रभावित हुईं।

    सरकार को यह भी बताना है कि कोर्ट के 27 जुलाई 2015 के आदेश और उसके बाद संशोधित किये गए आदेश में भर्ती के लिए तय मापदंड पूरे करने वाले लोगों के अलावा किसी अन्य व्यक्ति की भर्ती हुई। अगर हुई है तो उनका नाम, उम्र और कट ऑफ को देखते हुए उन उम्मीदवारों की ओर से अर्जित अंकों का ब्योरा मांगा है।

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    कोर्ट ने सक्षम अधिकारी को चार सप्ताह में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। साथ ही कहा है कि हलफनामे की सॉफ्ट कापी अवमानना याचिकाकर्ताओं के सभी वकीलों को भी दी जाएगी। इसके पहले कोर्ट ने मामले पर विस्तृत बहस सुनकर अवमानना याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

    याचिकाकर्ताओं का आरोप था कि प्रदेश सरकार की ओर से एक अक्टूबर 2016 को कोर्ट में दाखिल किये गए हलफनामे में दिए गए नियुक्ति के आंकड़े कोर्ट के दो नवंबर 2015 और सात दिसंबर 2015 के आदेश में दर्ज किये गए आंकड़ों से भिन्न हैं।

    उन्होंने कहा कि दो नवंबर 2015 के आदेश में दर्ज आंकड़े देखे जाएं तो उस दिन तक 58135 उम्मीदवारों की नियुक्ति हो चुकी थी या वे ट्रेनिंग कर रहे थे। बाकी बचे 14640 जिसमें से 12091 को हर दृष्टि से नियुक्ति के लिए योग्य माना गया। सरकार की मानें तो 12091 में से सिर्फ 391 की नियुक्ति हुई तो फिर राज्य सरकार उस हलफनामे में दिए गए आंकड़ों में यह कैसे कह सकती है कि 64257 लोगों की नियुक्ति हो चुकी है।

    जबकि इसके जवाब में प्रदेश सरकार की दलील थी एक अक्टूबर 2016 के हलफनामे में दिये गए आंकड़े पर याचिकाकर्ताओं ने कभी विवाद नहीं उठाया। यहां तक कि मामले में कोर्ट ने 2017 में फाइनल फैसला भी दे दिया उसके एक साल बाद ये याचिकाएं दाखिल कर आंकड़ों पर सवाल उठाए गए हैं। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सरकार से भर्ती का ब्योरा मांगते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया।

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