अलगाववादियों पर खर्च को लेकर सुनवाई से कोर्ट का इन्कार
कोर्ट ने कहा, जनहित याचिका में ऐसे लोगों के मामले उठाए जाते हैं जो न्याय के लिए खुद कोर्ट नहीं आ सकते। ...और पढ़ें

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को जम्मू कश्मीर में अलगाववादियों को सरकारी खर्च पर सुविधाएं देने के मामले में सुनवाई से इन्कार कर दिया। ऐसे खर्च तत्काल रोकने की मांग वाली याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि इन मसलों पर जनहित याचिका में सुनवाई नहीं हो सकती। राष्ट्रहित और सुरक्षा देखना केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है। जम्मू कश्मीर को सुरक्षा या अन्य चीजों के लिए धन और अनुदान देना केंद्र सरकार का विशिष्ट क्षेत्राधिकार है। कोर्ट ऐसे मामलों में दखल नहीं दे सकता।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और यूयू ललित की पीठ ने इन टिप्पणियों के साथ वकील मनोहर लाल शर्मा की याचिका खारिज कर दी। याचिका में कहा गया था कि पिछले पांच सालों में अलगाववादियों की सुरक्षा, यात्रा और होटल बिलों पर 356 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। कोर्ट ने कहा, जनहित याचिका में ऐसे लोगों के मामले उठाए जाते हैं जो न्याय के लिए खुद कोर्ट नहीं आ सकते।
इसके अलावा आजकल पर्यावरण, अतिक्रमण और भ्रष्टाचार के भी मामले इसमें सुने जाते हैं। लेकिन केंद्र सरकार फंड का इस्तेमाल कैसे करे यह मामला जनहित याचिका में उठाने का नहीं है। पीठ ने शर्मा की दलीलें नकारते हुए कहा, किसे सुरक्षा देनी है और किसे नहीं, यह तय करना केंद्र और राज्य (जम्मू-कश्मीर) का काम है। खतरे को देखते हुए सरकार किसी को सुरक्षा प्रदान कर सकती है भले ही उस व्यक्ति का आचरण किसी को पसंद आता हो या ना आता हो।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।