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एक बिम के सहारे ही टिका है सात छतों वाला यह महागिरजाघर, जानिए ये है खासियत

इस महागिरजाघर की वजह से कुनकुरी शहर का विकास हुआ। वर्तमान में कुनकुरी, जशपुर जिला का तहसील मुख्यालय है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Mon, 24 Dec 2018 05:01 PM (IST)Updated: Mon, 24 Dec 2018 06:43 PM (IST)
एक बिम के सहारे ही टिका है सात छतों वाला यह महागिरजाघर, जानिए ये है खासियत

जशपुरनगर, ब्यूरो छत्तीसगढ़। छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के कुनकुरी में स्थित महागिरजा घर वास्तुकला का अदभुत नमूना है। यह विशालकाय भवन केवल एक बींब में टिका हुआ है। इस भवन में 7 अंक का विशेष महत्व है। इसमें 7 छत और 7 दरवाजे मौजूद है। एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च कहलाने वाले इस चर्च में एक साथ 10 हजार श्रद्धालु प्रार्थना कर सकते है।

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इस महागिरजाघर की वजह से कुनकुरी शहर का विकास हुआ। वर्तमान में कुनकुरी, जशपुर जिला का तहसील मुख्यालय है। क्रिसमस में न केवल देश से ही बल्कि विदेशों से भी लोग यहां पंहुच कर प्रभु की प्रार्थना करते हैं। महागिरजाघर जीवन से होकर गुजरने वाले सात संस्कारों को अंगीकृत एवं उसे जीवन में आत्मसात कर पूर्णता व प्रेम का संदेश देता है।

1912 में हुई थी इस चर्च की स्थापना
कुनकुरी से 11 किलोमीटर दूर गिनाबहार में पारीस की स्थापना 1912 में हुई थी। इसके बाद जुलाई 1917 में गिनाबहार का चर्च बना। उस वक्त कुनकुरी एक छोटा सा गांव था। कुनकुरी महागिरजा बनने के बाद यहां लोयोला स्कूल और हॉलीक्रास अस्पताल की स्थापना हुई। जिसके बाद उस आसपास की आबादी बढ़ने लगी। लोग आकर बसने लगे। दुकानें खुलने लगीं। धीरे-धीरे महागिरजा के कारण ही कुनकुरी एक नगर के रूप में विकसित हो गया। वर्तमान में कुनकुरी नगर पंचायत है और यहां की आबादी करीब 15 हजार है। इसाई धर्मावलंबियों का प्रमुख त्योहार प्रभु यीशु का जन्म उत्सव है। जिसे क्रिसमस या स्थानीय लोगों द्वारा बड़ा दिन या बड़ा पर्व भी कहा जाता है। पर्व मनाने के लिए सभी चर्चों मे भव्य तैयारियां की गई हैं।

        

जिले में सबसे भव्य होता है यहां का क्रिसमस त्योहार
जिले में क्रिसमस की भव्यता अलग ही नजर आती है। कुनकुरी का महागिरजा घर अन्य गिरजाघरों से भव्य एवं अत्यंत सुंदर है। यह महा गिरजाघर एशिया महाद्वीप में दूसरे बड़े महागिरजाघर के रूप मे प्रसिद्ध है। प्रतिवर्ष इस चर्च को देखने के लिए देश-विदेश से लोग कुनकुरी आते हैं। इस चर्च की सुंदरता, सजावट, प्रार्थना भव्यता वास्तुकला की अनुपम एवं अद्भुत कृति की चर्चा देश भर में होती है। साल के अन्य महीनो की अपेक्षा दिसंबर, वह भी प्रभु यीशु के जन्म पर्व के विशेष अवसर के समय इसकी भव्यता चार गुनी हो जाती है। इस विशेष अवसर पर ईसाई धर्मावलंबी अपने प्रभु यीशु के जन्म अवसर की खुशी मे चर्च को सजाने खुशियां बांटने की तैयारी में जी जान से जुट जाते हैं। इस धर्म के मानने वाले लोगों की इस जिले में लगभग करीब 2 लाख से भी अधिक संख्या है। जशपुर धर्मप्रांत में 56 पारीस हैं।

                                   

वास्तुकला का अनूठा नमूना है यह चर्च 
कुनकुरी चर्च की आधारशिला 1962 मे रखी गई थी। इसकी नींव तैयार होने मे ही दो साल लग गए, जो 1964 मे पूर्ण किया गया। इस महागिरजा घर का निर्माण 1979 मे पूरा हुआ और 1982 मे इसका लोकार्पण हुआ। वास्तुकला की दृष्टि से यह अद्भुत और सौंदर्य से परिपूर्ण भवन है। 17 वर्ष मे पूरे हुए एशिया के दूसरे नंबर का यह भवन वास्तुकला का अनूठा नमूना है, जिसे यहां के आदिवासी मजदूरों के द्वारा बनाया गया है। इसकी शानदार बनावट को देखकर कोई यकीन करने को तैयार नहीं होता है। यह महागिरजाघर देश भर में अपनी सुंदरता के लिए भी प्रसिद्ध है।

              

एक साथ 10 हजार लोग कर सकते हैं प्रार्थना
कुनकुरी महागिरजाघर के भवन मे कुछ सांकेतिक अर्थ भी हैं, जिसे बाइबिल मे लिखे तथ्यों के आधार पर बनवाया गया है। इस चर्च मे 7 छत, 7 दरवाजे जो पूर्णता के प्रतीक हैं। चर्च मे सभी के स्वागत के लिए भी सांकेतिक आकृतियां बनी हुईं हैं। कहा जाता है, कि यह चर्च एशिया का दूसरे नंबर का सबसे बड़ा चर्च है, मनीला का चर्च भी काफी बड़ा है। मान्यता यह भी हेै कि इस चर्च मे आने से और प्रार्थना करने से मनोकामना पूरी हो जाती है। इस विशाल महा गिरजाघर मे एक बार मे आराम से करीब 10 हजार व्यक्ति प्रार्थना कर सकते हैं।


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