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स्कूल न खोलना भी उतना ही खतरनाक, जितना उन्हें खोलना, बिगड़ रहा है परिवार के भीतर का वातावरण

कोविड-19 महामारी से बचाव के लिए स्कूलों को न खोलना भी कमोबेश उतना ही खतरनाक है जितना कि उनको खोलना। स्कूलों के न खुलने से न केवल परिवार के भीतर का वातावरण बिगड़ रहा है बल्कि बच्चों की घरेलू कामकाज में भागीदारी भी बढ़ रही है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 08 Aug 2021 08:48 PM (IST)Updated: Sun, 08 Aug 2021 08:48 PM (IST)
कोविड-19 महामारी से बचाव के लिए स्कूलों को न खोलना भी खतरनाक है

 नई दिल्ली, प्रेट्र। कोविड-19 महामारी से बचाव के लिए स्कूलों को न खोलना भी कमोबेश उतना ही खतरनाक है जितना कि उनको खोलना। स्कूलों के न खुलने से न केवल परिवार के भीतर का वातावरण बिगड़ रहा है बल्कि बच्चों की घरेलू कामकाज में भागीदारी भी बढ़ रही है। इसके चलते वे पढ़ाई से दूर होते जा रहे हैं। यह बात विनय पी सहस्त्रबुद्धे की अध्यक्षता वाली शिक्षा, महिला, युवा, बच्चों और खेल पर गठित संसद की स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में कही है।

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बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर हो रहा नकारात्मक असर

रिपोर्ट में कहा गया है कि एक साल से ज्यादा समय से स्कूलों की बंदी ने बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डाला है। बड़े बच्चों का घर की चारदीवारी के भीतर लगातार रहना माता-पिता के साथ उनके रिश्तों पर असर डाल रहा है। माता-पिता और बच्चों के बीच के रिश्ते बिगड़ रहे हैं। इसका नतीजा यह हो रहा है कि खासकर लड़कियों की कम उम्र में शादी हो रही है या उन पर घर के कामकाज की जिम्मेदारी बढ़ रही है। इससे लड़कियों की पढ़ाई हमेशा के लिए छूट रही है या फिर वे पढ़ाई में कमजोर हो रही हैं। आमतौर पर ऐसा निम्न मध्यमवर्गीय और गरीबी रेखा के नीचे के परिवारों में देखने को मिल रहा है। इसलिए स्कूलों को खोलने के लिए होने वाली चर्चा में इन स्थितियों को भी ध्यान में रखा जाए।

स्‍कूल खोलने के लिए संतुलित दृष्टिकोण अपनाना होगा

विनय पी सहस्रबुद्धे के नेतृत्व में इस सप्ताह शिक्षा, महिला, बच्चे, युवा और खेल संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट संसद में पेश की कि स्कूल लॉकडाउन के कारण बच्‍चों में सीखने की कमी को दूर करने की योजना के साथ-साथ ऑनलाइन और ऑफलाइन निर्देशों और परीक्षाओं की समीक्षा और स्कूलों को फिर से खोलने की योजना बना रहे हैं। पैनल ने सिफारिशों में कहा कि मामले की गंभीरता को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए और स्कूलों को खोलने के लिए संतुलित तर्कपूर्ण दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए।

सभी छात्रों, शिक्षकों और संबद्ध कर्मचारियों के लिए वैक्सीन कार्यक्रमों को बढ़ावा देना होगा ताकि स्कूल जल्द से जल्द सामान्य रूप से काम करना शुरू किया जा सके। इस दौरान शारीरिक दूरी का पालन करने और हर समय फेस मास्क पहनने, बार-बार हाथ साफ करने आदि के साथ-साथ छात्रों में संपर्क को कम करने के लिए वैकल्पिक दिनों या दो पालियों में कक्षाएं आयोजित करना, उपस्थिति के समय नियमित तौर पर थर्मल स्क्रीनिंग और किसी भी संक्रमित छात्र, शिक्षक या कर्मचारियों को तुरंत पहचानने और अलग करने के साथ रैंडम तौर पर आरटी-पीसीआर टेस्‍ट करना शामिल है।

स्‍कूलों में कोविड प्रोटोकाल का कड़ाई से पालन करना होगा 

पैनल की सिफारिशों में प्रत्येक स्कूल में किसी भी घटना से निपटने के लिए प्रशिक्षित कर्मियों के साथ कम से कम दो ऑक्सीजन कन्‍सट्रेटर होना चाहिए और प्राथमिक चिकित्सा के अलावा बाहरी चिकित्सा सहायता की उपलब्धता प्रदान करनी होगी। पैनल ने कहा कि स्वच्छता और कोविड ​​प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने के लिए स्वास्थ्य निरीक्षकों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा स्कूलों का बार-बार औचक निरीक्षण किया जा सकता है। स्कूल खोलने के लिए विभिन्न देशों में अपनाई जा रही सर्वोत्तम प्रथाओं की एक सूची बनाई जा सकती है और फैसले लेते समय उनको ध्यान में रखा जा सकता है।


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