सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्म मामले में अंडमान के पूर्व मुख्य सचिव से मांगा जवाब, SIT कर रही है जांच
कलकत्ता हाईकोर्ट के पोर्ट ब्लेयर सर्किट बेंच ने 20 फरवरी को नारायण को जमानत दी थी। महिला ने आरोप लगाया है कि नारायण और अन्य ने नौकरी का लोभ देकर तत्कालीन मुख्य सचिव आवास पर ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया था।

नई दिल्ली, पीटीआई। सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्म मामले में मिली जमानत को चुनौती देने वाली याचिका पर शुक्रवार को अंडमान के पूर्व मुख्य सचिव से जवाब मांगा है। जस्टिस कृष्ण मुरारी और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की खंडपीठ ने आरोपित जितेंद्र नारायण को पीड़िता की याचिका पर नोटिस भेजा है। हालांकि, शीर्ष अदालत ने कलकत्ता हाईकोर्ट के पोर्ट ब्लेयर सर्किट बेंच के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
बेंच ने 20 फरवरी को नारायण को जमानत दी थी। महिला ने आरोप लगाया है कि नारायण और अन्य ने नौकरी का लोभ देकर तत्कालीन मुख्य सचिव आवास पर ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया था। इस मामले में एक अक्टूबर, 2022 को केस दर्ज किया गया था। उस समय जितेंद्र नारायण दिल्ली वित्तीय निगम के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के पद पर तैनात थे। केंद्र ने 17 अक्टूबर को उन्हें निलंबित कर दिया था।
इससे पहले कलकत्ता हाईकोर्ट ने आरोपित को मामले की जांच कर रही एसआईटी के सामने पेश होने के निर्देश दिए थे। एसआईटी महिला के आरोपों की जांच कर रही है, जिसमें कहा गया था कि 14 अप्रैल, 2022 और एक मई, 2022 को नारायण और अन्य लोगों ने उससे दुष्कर्म किया था।
क्या है पूरा मामला ?
दुष्कर्म का मामला पिछले साल अप्रैल-मई माह का बताया जा रहा है। दरअसल, एक महिला ने पिछले साल पुलिस में अप्रैल और मई माह में कथिततौर पर हुए यौन हमले की शिकायत दर्ज कराई। इस दौरान महिला ने पुलिस को आपबीती सुनाई और पुलिस से अनुरोध किया था कि सबूत के तौर पर तत्कालीन मुख्य सचिव के आवास के सीसीटीवी फुटेज को संरक्षित किया जाए।
जांच के लिए SIT का हुआ था गठन
दुष्कर्म मामले की जांच के लिए अंडमान निकोबार पुलिस ने एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी की अध्यक्षता में एक एसआईटी का गठन किया था। जिसमें एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी और 5 अन्य सदस्य शामिल थे।

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