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    2016 के शुरू से चल रही थी बड़े नोट बंद करने की बात : उर्जित पटेल

    By Sanjeev TiwariEdited By:
    Updated: Thu, 19 Jan 2017 07:52 AM (IST)

    गवर्नर ने समिति को बताया कि 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट बंद किए जाने के संबंध में आरबीआई और सरकार 2016 के शुरू से ही विचार-विमर्श कर रहे थे।

    2016 के शुरू से चल रही थी बड़े नोट बंद करने की बात : उर्जित पटेल

    नई दिल्ली(ब्यूरो)। रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर उर्जित पटेल को संसदीय समिति की बैठक में तीखे सवालों से दो-चार होना पड़ा। हालांकि गवर्नर ने समिति को बताया कि 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट बंद किए जाने के संबंध में आरबीआई और सरकार 2016 के शुरू से ही विचार-विमर्श कर रहे थे।

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    आरबीआई पुराने नोट बंद करने सरकार के फैसले के लक्ष्य को लेकर सहमत था। जबकि इससे पहले लोक लेखा समिति को भेजे जवाब में रिजर्व बैंक ने कहा था कि केंद्र सरकार ने 8 नवंबर के एक दिन पहले नोटबंदी की सलाह दी थी, जिस पर अगले दिन सुबह बैठक में विचार किया गया और केंद्र को सिफारिश कर दी गई। मालूम हो, आरबीआई गवर्नर अब 20 जनवरी को संसद की लोक लेखा समिति के समक्ष भी उपस्थित होंगे।

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    मनमोहन सिंह बने ढाल
    समिति की बैठक के दौरान सांसदों के कड़े सवाल देख खुद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उनका बचाव किया। दिग्विजय सिंह जैसे कांग्रेसी सांसद नकदी निकासी की सीमा हटाने के संबंध में पटेल से स्पष्ट उत्तर चाहते थे और वे लगातार कड़े प्रश्न पूछ रहे थे तभी पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने उन्हें रोका।

    कई सवालों के संतोष जनक जवाब नहीं दे पाए उर्जित

    संसद की वित्त मामलों संबंधी समिति के सदस्यों ने जब उनसे पूछा कि नोटबंदी के फैसले के बाद हालात कब तक सामान्य हो जाएंगे, तो वह कोई संतोष जनक जवाब नहीं दे पाए और न ही यह बता पाए कि स्थिति सामान्य होने में कितना वक्त लगेगा। हालांकि इतना जरूर बताया कि अब तक 9.2 लाख करोड़ रुपए की मुद्रा सिस्टम में डाल दी है जो बंद किए गए नोट्स की लगभग 60 प्रतिशत है। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस नेता वीरप्पा मोईली की अध्यक्षता वाली वित्त मामलों संबंधी संसद की स्थायी समिति की बैठक में आरबीआई के डिप्टी गवर्नर आर गांधी और एसएस मुंद्रा भी उपस्थित थे। गवर्नर से जब पूछा गया कि बंद किए पुराने नोट में से कितने वापस आ चुके हैं, तो वह इसकी एक निश्चित संख्या नहीं दे पाए। बताया जाता है कि उन्होंने बस इतना कहा कि आरबीआई अब भी इसकी गणना कर रहा है।

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    बचाव की मुद्रा में दिखे आरबीआई अधिकारी

    सूत्रों ने कहा कि नोटबंदी के मुद्दे पर समिति के सभी सदस्य अपने सवाल पूरे नहीं कर सके, इसलिए आम बजट के बाद एक बार फिर गवर्नर और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों को बुलाने का फैसला किया है। बैठक के बाद एक सदस्य ने कहा कि आरबीआई के अधिकारी नोटबंदी के मुद्दे पर बचाव की मुद्रा में दिखे। खुद गवर्नर मुख्य सवालों के जवाब नहीं दे सके। सदस्य उनसे जानना चाहते थे कि बैंकों के पास कितना पैसा वापस आया है और बैंकिंग ऑपरेशन की स्थिति सामान्य होने में कितना वक्त लगेगा।

    ये सवाल पूछे गए

    बैठक में कुछ सदस्यों ने इस तरह के सवाल भी किए कि नोटबंदी का फैसला सरकार ने किया या आरबीआई ने। आरबीआई की स्वायत्ता के बारे में भी सवाल पूछे गए। यह भी पूछा गया कि नोटबंदी के बाद पहले कालेधन की चर्चा की गई, उसके बाद आतंकी फंडिंग, फिर जाली मुद्रा और बाद में डिजिटल पेमेंट्स को बढ़ावा देने की बात कही गई, ऐसा क्यों हुआ।

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