मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू की चीन यात्रा पर होगी क्वाड की नजर, दोनों देशों के बीच होंगे कई महत्वपूर्ण समझौते
हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामक गतिविधियों की निगरानी और इस पर नियंत्रण के लिए दीर्घकालिक तैयारी करना अमेरिका भारत जापान और आस्ट्रेलिया के संगठन क्वाड का एक प्रमुख दायित्व है और इस दायित्व को पूरा करने में मालदीव की भूमिका महत्वपूर्ण होने वाली है। पीएम ली शियांग और नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की स्थाई समिति के अध्यक्ष झाओ लेजी उनसे अलग-अलग मुलाकात करेंगे।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू सोमवार 08 जनवरी, 2024 को चीन की पांच दिवसीय यात्रा पर बीजिंग पहुंच रहे हैं। यह पहली बार हो रहा है कि मालदीव में लोकतांत्रिक तरीके से चयनित कोई राष्ट्रपति सत्ता में आने के बाद भारत की यात्रा पर नहीं आया हो। चीन के पुराने समर्थक रहे मुइज्जू इस यात्रा के दौरान किस तरह के समझौतों पर हस्ताक्षर करते हैं इस पर सिर्फ भारत की ही नहीं बल्कि क्वाड संगठन भी नजर होगी।
हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामक गतिविधियों की निगरानी और इस पर नियंत्रण के लिए दीर्घकालिक तैयारी करना अमेरिका, भारत, जापान और आस्ट्रेलिया के संगठन क्वाड का एक प्रमुख दायित्व है और इस दायित्व को पूरा करने में मालदीव की भूमिका महत्वपूर्ण होने वाली है। एक दिन पहले शनिवार को अमेरिका के विदेश मंत्री एंथोनी ब्लिंकन ने मूसा जमीर से बात की है और इसे राष्ट्रपति मुइज्जू की चीन यात्रा से जोड़ कर देखा जा रहा है।
अमेरिका अभी तक नहीं खोल पाया है पूरा दूतावास
मालदीव में क्वाड की अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अक्टूबर, 2020 में अमेरिका के तत्कालीन विदेश मंत्री माइकल पोम्पियो ने वहां का दौरा किया था और रक्षा व आर्थिक सहयोग का समझौता किया था। अमेरिका ने इस छोटे से द्वीप देश में अपना पूर्णकालिक दूतावास खोलने का ऐलान किया था। अभी कोलंबो दूतावास से मालदीव को संचालित किया जाता है। अमेरिका अभी तक पूरा दूतावास नहीं खोल पाया है।
चीन को लेकर राष्ट्रपति मुइज्जू का प्रेम भारत को दे सकता है झटका
दूसरी तरफ भारत क्वाड के एक दूसरे देश जापान के साथ मिल कर मालदीव में कुछ ढांचागत क्षेत्र की परियोजनाओं को लगाने का अध्ययन कर रहा है। चीन को लेकर राष्ट्रपति मुइज्जू का प्रेम भारत व अमेरिका की तैयारियों को झटका मिल सकता है। वैसे मुइज्जू ने सत्ता संभालने के बाद यह स्पष्ट करने में कोई कोताही नहीं की भारत के साथ रिश्ते उनकी प्राथमिकता में नहीं है। पहले भारत से अपनी सैनिकों को वहां से हटाने की बात करना, भारत, मारीशस व श्रीलंका के साथ कोलंबो सुरक्षा बैठक से अपने आपको अलग करना और फिर भारत के साथ जल विज्ञान समझौते को रद्द करने जैसै कदम उनकी सरकार उठा चुकी है।
चीन की तरफ से मुइज्जू का भव्य स्वागत करने की तैयारी
यही वजह है कि भारत मुइज्जू की चीन यात्रा पर खास तौर पर नजर रखेगा। आधिकारिक तौर पर भारत ने सिर्फ यह कहा है कि, एक संप्रभु देश के तौर पर मालदीव के राष्ट्रपति जिस देश की चाहे वह यात्रा कर सकते हैं। उधर, चीन की तरफ से मुइज्जू का भव्य स्वागत करने की तैयारी है। चीन के विदेश मंत्रालय ने बताया है कि राष्ट्रपति शी चिनफिंग राष्ट्रपति मुइज्जू से द्विपक्षीय बैठक करेंगे और उनके सम्मान में भोज देंगे।
'मालदीव के साथ रिश्ता एक एतिहासिक ऊंचाई की शुरुआत'
पीएम ली शियांग और नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की स्थाई समिति के अध्यक्ष झाओ लेजी उनसे अलग-अलग मुलाकात करेंगे। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि, “मालदीव के साथ रिश्ता एक एतिहासिक ऊंचाई की शुरुआत में है और बेल्ट एंड रोड इनिसियटिव (बीआरआइ) के तहत सहयोग बढ़ाया जाएगा।'' इस बात की संभावना जताई जा रही है कि मुइज्जू चीन के साथ कुछ ऐसे समझौता करने की तैयारी में है जो मालदीव के आस-पास के समुद्री इलाके में चीन की गतिविधियों को बढ़ा सकता है। चीन काफी पहले से मालदीव के करीब अपना सैनिक अड्डा बनाने का सपना देखता रहा है। उसके इस प्रस्ताव को वर्ष 2015 में मालदीव की तत्कालीन सरकार ने खारिज कर दिया था। अब उसकी तरफ से फिर से यह कोशिश हो सकती है।