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Coal Shortage: कोयले की कमी से कई राज्यों में गहराया बिजली संकट, आठ से दस घंटे तक की हो रही कटौती

ऊर्जा विकास निगम के मुताबिक राज्यों को डिमांड के मुकाबले काफी कम बिजली सेंट्रल पूल से मिल रही है। नेशनल पावर एक्सचेंज में भी बिजली का टोटा है। पूरे देश में लगभग 10 हजार मेगावाट बिजली की कमी बताई जा रही है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Fri, 08 Oct 2021 10:32 PM (IST)Updated: Fri, 08 Oct 2021 10:43 PM (IST)
सेंट्रल पूल से कम आपूर्ति, राज्य के पावर प्लांट से चल रहा काम

जागरण टीम, नई दिल्ली। विद्युत उत्पादक संयंत्रों में कोयले की घोर किल्लत के चलते देश के कई राज्यों में बिजली की किल्लत बढ़ती जा रही है। झारखंड में आपूर्ति में कमी के कारण 285 मेगावाट से लेकर 430 मेगावाट तक की लोड शेडिंग करनी पड़ी। इसके चलते दिन में गांवों में आठ से दस घंटे तक की कटौती हुई। वहीं, बिहार में पांच गुना अधिक कीमत पर भी पूरी बिजली नहीं मिल पा रही है।

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ऊर्जा विकास निगम के मुताबिक राज्यों को डिमांड के मुकाबले काफी कम बिजली सेंट्रल पूल से मिल रही है। नेशनल पावर एक्सचेंज में भी बिजली का टोटा है। पूरे देश में लगभग 10 हजार मेगावाट बिजली की कमी बताई जा रही है। इसकी वजह से नेशनल पावर एक्सचेंज में बिजली की प्रति यूनिट दर में चौतरफा वृद्धि हो गई है। सामान्य तौर पर पांच रुपये प्रति यूनिट में मिलने वाली बिजली दर प्रति यूनिट 20 रुपये हो गई है।

बिजली संकट की बड़ी वजह विद्युत उत्पादक संयंत्रों को कोयले की घोर किल्लत है। झारखंड के बिजली उत्पादक संयंत्रों के पास भी सीमित कोयले का भंडार है। राज्य सरकार ने बढ़ी दर पर नेशनल पावर एक्सचेंज से बिजली खरीदने की पहल की है, लेकिन इसकी उपलब्धता नहीं है। त्योहार के कारण आने वाले दिनों में यह संकट और बढ़ सकता है।

मांग के मुकाबले कम बिजली उपलब्ध

झारखंड में बिजली की मांग लगभग 2200 मेगावाट है। राज्य के विद्युत उत्पादक संयंत्रों से अधिकतम 500 मेगावाट तक बिजली उपलब्ध होती है। बाकी की डिमांड सेंट्रल पूल के जरिये उपलब्ध कराई जाने वाली बिजली से होती है। इसमें डीवीसी और एनटीपीसी की इकाइयों के जरिये बिजली आती है। इसका एक बड़ा हिस्सा रेलवे को भी जाता है।

पांच गुना अधिक कीमत पर भी बिहार को नहीं मिल पा रही पूरी बिजली

कोयला संकट के कारण बिजली उत्पादन में आई कमी ने बिहार को एक बड़ी परेशानी में डाल दिया है। दस दिन पहले तक बिहार चार रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली की खरीद कर रहा था। यह दर अब बढ़कर 20 रुपये प्रति यूनिट तक पहुंच गई है, फिर भी आपूर्ति पूरी नहीं हो रही। बाजार से न्यूनतम चार सौ मेगावाट बिजली बिहार को खरीदनी है। ऐसे में बिजली कंपनी को बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा। एनटीपीसी से भी अभी तीन से साढ़े तीन हजार मेगावाट बिजली ही मिल रही, जबकि बिहार की वर्तमान खपत प्रतिदिन 5600 मेगावाट तक है।

हर 15 मिनट पर बदल जा रही बिजली की दर

अभी त्योहारी सीजन में बिजली की मांग और बढ़ने की संभावना है। बिजली कंपनी के अधिकारी ने बताया कि सामान्य दिनों में बिहार न्यूनतम चार सौ मेगावाट बिजली की बाजार से खरीद करता है। चार रुपये प्रति यूनिट की दर से मिलने वाली बिजली के लिए अभी 20 रुपये चुकाने पड़ रहे। बाजार में उपलब्ध बिजली की दर हर 15 मिनट पर बदल जा रही।

पनबिजली व पवन ऊर्जा की आपूर्ति भी कम

बिहार में बिजली कंपनी आंध्र प्रदेश से 600 से 800 मेगावाट बिजली खरीदती थी। मौसम के कारण वहां से अभी तीन सौ मेगावाट से अधिक की आपूर्ति नहीं है। इसी तरह भूटान से मिलने वाली छह सौ मेगावाट पनबिजली की मात्रा भी घटकर अभी आधी हो गई है।

सीएम की अपील-एसी कम चलाएं

राजस्थान में बिजली संकट के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लोगों से एयरकंडीशन (एसी) कम चलाने और बिजली की बचत करने की अपील की है। उन्होंने अधिकारियों से बिजली की बचत के लिए लोगों को जागरूक करने की बात भी कही है। उन्होंने सरकारी विभागों में जरूरत नहीं होने पर बिजली के उपकरणों को बंद रखने की बात कही है। राज्य के उर्जामंत्री बीडी कल्ला ने केंद्र सरकार से राज्य को कोयले का आवंटित कोटा प्रतिदिन उपलब्ध कराने का आग्रह किया है।


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