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Lok Sabha Elections 2024: गठबंधन में अधिक सीटें झटकने की राजनीति तेज, सपा-बसपा और कांग्रेस के बीच बन रही ये रणनीति

Lok Sabha Elections 2024 विपक्षी गठबंधन आइएनडीआइए में शामिल दलों के बीच राज्यवार सीटों के बंटवारे पर अब बातचीत तेजी से चल रही है। कांग्रेस ( Congress) ही नहीं अन्य दल भी चाहते हैं कि 14 जनवरी से राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा (Bharat Jodo Nyay Yatra) शुरू होने से पहले लोकसभा सीटें बांट ली जाएं तो बेहतर हो।

By Jagran News Edited By: Babli Kumari Published: Wed, 10 Jan 2024 11:00 PM (IST)Updated: Wed, 10 Jan 2024 11:00 PM (IST)
बसपा का विकल्प हाथ में लेकर सपा से सीटों के बंटवारे पर बात कर रही कांग्रेस (फाइल फोटो)

जितेंद्र शर्मा, नई दिल्ली। तमाम ना-नुकुर और तल्खियों के बाद जिस तरह विपक्षी दलों के नेताओं का रुख एक-एक कर बदलता जा रहा है, उससे साफ है कि यह सभी भाजपा के विरुद्ध एकजुट संघर्ष की मजबूरी को समझ रहे हैं और अंतरमन से साथ आने के लिए तैयार भी हैं। हां, अभी भी जो आपसी खिंचाव जो सतह पर दिखाई दे रहा है, उसे प्रेशर पालिटिक्स के चश्मे से भी देखा जा रहा है।

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गौर करने वाली बात है कि समाजवादी पार्टी के साथ भी सीटों के बंटवारे के लिए कांग्रेस समझौते की मेज की ओर तब बढ़ी, जब यह खुद सार्वजनिक कर दिया कि बातचीत बसपा से भी चल रही है।

सीटों के बंटवारे पर अब तेजी से चल रही है बातचीत 

विपक्षी गठबंधन आइएनडीआइए में शामिल दलों के बीच राज्यवार सीटों के बंटवारे पर अब बातचीत तेजी से चल रही है। कांग्रेस ही नहीं, अन्य दल भी चाहते हैं कि 14 जनवरी से राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा शुरू होने से पहले लोकसभा सीटें बांट ली जाएं तो बेहतर हो। कई राज्यों के साथ स्थिति लगभग स्पष्ट होने की कगार है, लेकिन सबसे अधिक 80 संसदीय सीटों वाले राज्य उत्तर प्रदेश को लेकर मामला अभी जहां का तहां है।

सीटों का गणित अभी नहीं आया है सामने 

उत्तर प्रदेश में गठबंधन के प्रमुख घटक दल सपा के वरिष्ठ नेताओं के साथ कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व की बैठक तो हुई है, लेकिन सीटों का गणित अभी सामने नहीं आया है। सपा, कांग्रेस और रालोद इस दिशा में आगे बढ़ते कि इस बीच बसपा का मुद्दा भी आ गया। कांग्रेस के उत्तर प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे ने कह दिया कि बसपा से भी गठबंधन को लेकर बातचीत चल रही है।

सपा यूपी में है प्रमुख विपक्षी दल 

यह बयान इसलिए बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि कुछ दिन पहले ही दिल्ली में हुई आइएनडीआइए की बैठक में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बसपा को शामिल कराने जाने को लेकर आपत्ति जताई थी। कहा था कि कांग्रेस अपना रुख स्पष्ट करे तो उसी आधार पर सपा भी निर्णय करे। सपा यूपी में प्रमुख विपक्षी दल है। उसके इतने सख्त रुख के बाद भी कांग्रेस ने बसपा से मुंह नहीं मोड़ा। इसके पीछे जातीय समीकरण तो ठोस कारण है ही, सूत्रों की मानें तो यह दबाव की राजनीति का भी खेल है।

यूपी में सिमट चुका है कांग्रेस का आधार 

बताया गया है कि कांग्रेस इस बार कम से कम 25 लोकसभा सीटों पर लड़ना चाहती है, जबकि कांग्रेस को बेहद कमजोर आंक रही सपा उसे 12 से अधिक सीटें देने को तैयार नहीं है। यह भी तथ्य है कि कांग्रेस का आधार यूपी में सिमट चुका है। 2019 के लोकसभा चुनाव में सिर्फ सोनिया गांधी ही एकमात्र रायबरेली की सीट जीत सकीं। 403 विधानसभा सीटों में से उसके सिर्फ दो विधायक ही 2022 में जीत पाए। इसके अलावा हाल ही में हिन्दी पट्टी के राज्य मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की करारी हार हुई है।

सीटों के बंटवारे पर फिर होगी बैठक

ऐसे में उसने सीटों के बंटवारे में सपा के सामने तनकर बैठने के लिए बसपा का विकल्प हाथ में रख लिया है। सपा भी जानती है कि भाजपा के विरुद्ध अकेले लड़ना किसी भी दल के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण होगा। इस सच से कांग्रेस, रालोद वाकिफ हैं और बसपा भी। फर्क इतना है कि कांग्रेस ने बसपा के प्रति प्रयासों को स्वीकार कर लिया है। बसपा प्रमुख ने कांग्रेस के प्रति नरमी दिखाकर संकेत दिया और अब अखिलेश ने भी अपने विधायकों को हिदायत दे दी है कि मायावती वरिष्ठ नेता हैं, उनका सम्मान करें।

सूत्रों ने बताया कि नए समीकरणों और प्रस्ताव के साथ कांग्रेस के वरिष्ठ दिल्ली में सपा के वरिष्ठ नेताओं के साथ सीटों के बंटवारे पर फिर बैठक करने वाले हैं।

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