नोटबंदी पर मुहर, भविष्य में मोदी सरकार के साहसिक फैसले को मिला बल
नतीजों ने स्पष्ट कर दिया है कि इन राज्यों की जनता ने विकास के लिए नोटबंदी जैसे कड़े फैसले को भी हाथों हाथ लिया।
नितिन प्रधान, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश समेत पांचों विधानसभा चुनाव के नतीजों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के फैसले पर मुहर लगा दी है। नतीजों ने स्पष्ट कर दिया है कि इन राज्यों की जनता ने विकास के लिए नोटबंदी जैसे कड़े फैसले को भी हाथों हाथ लिया। विधानसभा चुनावों में ब्रांड मोदी के इस चक्रवात ने अब केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों में भविष्य के सुधार और कठोर फैसलों का रास्ता खोल दिया है।
देश में अगले विधानसभा चुनाव गुजरात और हिमाचल प्रदेश में होने हैं। लेकिन उनके होने में अभी कम से कम आठ महीने का वक्त बाकी है। इसलिए विकास की रफ्तार बढ़ाने को मोदी कड़े आर्थिक कदम उठा सकते हैं। सूत्र बताते हैं कि इनमें आयकर की व्यवस्था को बैंकिंग ट्रांजैक्शन से बदलने जैसा कदम भी हो सकता है। वैसे भी नोटबंदी के बाद तीन लाख रुपये तक के नकद ट्रांजैक्शन पर रोक जैसा फैसला यह सरकार ले चुकी है।
सरकार पहले ही कालेधन को लेकर बड़े कदम उठा चुकी है। देश में कालेधन का एक बड़ा स्त्रोत स्थानीय करों की चोरी भी है। इसके लिए जरूरी है कि कारोबारी लेनदेन में पारदर्शिता हो ताकि आमदनी का स्पष्ट अनुमान लगे। नोटबंदी के बाद डिजिटल ट्रांजैक्शन के जरिए इस दिशा में कदम उठा है। अब सरकार इस दिशा में आगे कदम बढ़ाते हुए नकद लेनदेन को हतोत्साहित करने की दिशा में नए फैसले भी ले सकती है।
पांच में से चार राज्यों में सरकार बनाने के निहितार्थ केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों में भी देखने को मिलेंगे। सरकार अब और मजबूत होकर आर्थिक फैसले कर पाएगी। हालांकि आर्थिक सुधारों में जीएसटी के मामले में केंद्र सरकार काफी आगे बढ़ चुकी है। लेकिन चार राज्यों में भाजपा की सरकार होने का अर्थ यह होगा कि अधिक से अधिक राज्यों में इसे कम समय में लागू किया जा सकेगा।
नेशनल इंस्टीट्यूट आफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी (एनआइपीएफपी) की वरिष्ठ अर्थशास्त्री राधिका पांडे भी मानती हैं कि मौजूदा समय में सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती अर्थव्यवस्था में निवेश बढ़ाने की है। केंद्र और राज्यों में भाजपा की सरकार आने के बाद सरकार इस दिशा में बड़े कदम उठा सकती है। देश की अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने की दिशा में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
मोदी सरकार ने अपने ढाई साल के कार्यकाल में एफडीआइ नीति को काफी विस्तार दिया है और कई क्षेत्रों में एफडीआइ नियमों को उदार बनाया है। इस काम को प्रधानमंत्री मोदी अब और मजबूती से आगे बढ़ा सकते हैं। उत्तर प्रदेश की औद्योगिक स्थिति किसी से छिपी नहीं है। इसलिए इसके विकास में भी एफडीआइ की भूमिका अहम हो सकती है। माना जा रहा है कि रक्षा समेत अन्य सामरिक क्षेत्रों को एफडीआइ के लिए और खोलने का साहसिक फैसला सरकार अब ले पाएगी। हालांकि सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि एफडीआइ के फैसलों में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए पहली वरीयता होगी।
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