नई दिल्ली, विवेक तिवारी।  आज युद्ध के मैदान में सबसे ज्यादा घातक और आधुनिक हथियार के तौर पर ड्रोन को देखा जाने लगा है। सभी देश अपनी सेनाओं में आधुनिक तकनीक से तैयार किए गए ड्रोन शामिल कर रहे हैं। इस बार गणतंत्र दिवस परेड में आपको भारत में निर्मित पहला पैसेंजर ड्रोन 'वरुण' दिखाई देगा। इसका इस्तेमाल भारतीय नौसेना कर रही है। हाल ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस ड्रोन की उड़ान को देखा था।

ये सिर्फ शुरुआत भर हर है। पिछले दिनों रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने पुणे में आधुनिक हथियारों से लैस ड्रोन बोट का टेस्ट किया। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में भारत आसमान हो या समुद्र या युद्ध का मैदान, सभी जगहों पर देश में तैयार किए गए आधुनिक ड्रोन के जरिए किसी भी दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम होगा। आने वाले समय में युद्ध के मैदान में तो ड्रोन की निर्णायक भूमिका होगी ही, शहरों में सार्वजनिक परिवहन हो, मेडिकल इमरजेंसी हो या एक जगह से दूसरी जगह सामान की डिलीवरी हो, ड्रोन हर जगह महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

लेफ्टिनेंट जनरल मोहन भंडारी कहते हैं कि आने वाले दिनों में जमीन पर युद्ध हो, समुद्र में या आसमान में, ड्रोन महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। किसी देश की जासूसी के लिए भी ड्रोन बेहद कारगर होंगे। ये सभी तरह के रडार और एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा देकर अपने लक्ष्य पर हमला कर सकते हैं। इसमें किसी सैनिक की जान जाने का खतरा भी नहीं होता है। सभी देश बेहतर ड्रोन बनाने में जुटे हुए हैं। हालांकि आज भी ड्रोन बनाना काफी महंगा है। आधुनिक तकनीक के ड्रोन बनाने में काफी पैसा खर्च होता है। लेफ्टिनेंट कर्नल जेएस सोढ़ी कहते हैं कि रूस-यूक्रेन युद्ध से पहले 2020 में आर्मेनिया और अजरबैजान के युद्ध में ड्रोन का व्यापक इस्तेमाल देखने को मिला था।

नेवी के लिए बेहद काम के हैं ये ड्रोन

नेवी जो ड्रोन इस्तेमाल कर रही है उसे पुणे की कंपनी सागर डिफेंस इंजीनियरिंग ने बनाया है। कंपनी के को-फाउंडर मृदुल बाबर कहते हैं कि भारतीय नेवी जिस ड्रोन का इस्तेमाल कर रही है वो एक व्यक्ति को या लगभग 130 किलो वजह का सामान एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में सक्षम है। समुद्र में एक चलते हुए शिप से दूसरे शिप पर सामान भेजना सबसे मुश्किल होता है। इसके के लिए दोनों शिप को एक रफ्तार पर चलाना होता है इसके बाद रस्सी बांध कर सामान को एक शिप से दूसरे शिप पर भेजा जाता है। नेवी द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे ड्रोन के जरिए सामान को आसानी से दूसरी शिप पर भेज सकता है। मेडिकल इमरजेंसी में भी इस ड्रोन का इस्तेमाल किया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि जल्द ही इस ड्रोन का इस्तेमाल अर्बन ट्रांसपोर्ट के लिए किया जा सकेगा।

अमेरिका ने समुद्र में उतारी ड्रोन की फ्लीट

अमेरिका ने कुछ ही दिनों पहले समुद्र में ड्रोन की फ्लीट उतारी है। इसे दुनिया की सबसे आधुनिक नेवल ड्रोन फ्लीट माना जा रहा है। ये ड्रोन बोट दुश्मनों की शिप पर हमला करने के साथ ही जारूसी करने और किसी भी पनडुब्बी को नष्ट करने में सक्षम हैं। लेफ्टिनेंट जनरल मोहन भंडारी कहते हैं कि ये दुनिया की सबसे आधुनिक ड्रोन फ्लीट है। आने वाले समय में सभी देश समुद्र में अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए इस तरह का प्रयोग करेंगे।

भारत ड्रोन हब बनने की कर रहा है तैयारी

भारत में ड्रोन इंडस्ट्री तेजी से बढ़ रही है। सरकार का लक्ष्य 2030 तक वैश्विक ड्रोन हब बनने का है। आधुनिक तकनीक, बेहतर इंजीनियरिंग, इनोवेशन और सरकार की ओर से दिए जा रहे आर्थिक प्रोत्साहन से ये संभव हो सकेगा। ड्रोन अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्रों में जबरदस्त फायदा पहुंचा सकते हैं। इनमें कृषि, खनन, बुनियादी ढांचा, निगरानी, डिजास्टर मैनेजमेंट, परिवहन, मैपिंग और रक्षा क्षेत्र शामिल हैं। ड्रोन अपनी पहुंच, बहुमुखी इस्तेमाल में आसानी के कारण विशेष रूप से दूरस्थ और दुर्गम क्षेत्रों में रोजगार और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

भारत की ड्रोन इंडस्ट्री 2027 तक तीन गुना होगी 

भारत में ड्रोन इंडस्ट्री अभी प्रारंभिक अवस्था में है, लेकिन यह काफी तेजी से बढ़ रही है। MarketsandMarkets की एक रिपोर्ट के अनुसार, फिलहाल ड्रोन एनालिटिक्स मार्केट 2.1 बिलियन डॉलर का है, 2027 तक इसके 6.5 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। भारत में कृषि, खनन, तेल, गैस और रियल एस्टेट जैसे उद्योगों में ड्रोन का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है। पिछले कुछ समय में भारत में कई ड्रोन कंपनियां उभरी हैं। ड्रोन में एआई तकनीक, जीपीएस और ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल भी तेजी से बढ़ा है। कुछ कंपनियां ड्रोन के जरिए परिवहन सुविधा तैयार करने में भी जुटी हैं।

Vinata AeroMobility के सीईओ योगेश रामनाथन कहते हैं, ड्रोन इंडस्ट्री में रोज नई तकनीक आ रही है। दुनिया के कई देशों में यात्रा के लिए ड्रोन के इस्तेमाल की संभावनाओं पर काम किया जा रहा है। भारत में भी सरकार ड्रोन इंडस्ट्री को काफी प्रोत्साहित कर रही है। जरूरत है कि भारत में इस इंडस्ट्री में फाइनेंस या आर्थिक मदद के लिए एक इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाए।

गुजरात में जल्द ही आप ड्रोन से कर सकेंगे सफर

गुजरात सरकार अहमदाबाद के हंसोल में वर्टीपोर्ट बना रही है। इसका इस्तेमाल एयर टैक्सी चलाने के लिए किया जाएगा। मेडिकल इमरजेंसी में मानव अंगों या अन्य मेडिकल उपकरणों को कुछ ही मिनटों में एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने के लिए भी इस वर्टीपोर्ट का इस्तेमाल किया जाएगा। इस वर्टीपोर्ट से वर्टिकल लैंडिंग और टेक ऑफ हो सकेंगे। मतलब यहां रनवे नहीं बनाया जाएगा। यहां खड़े ड्रोन और छोटे हेलिकॉप्टर अपनी जगह से ही उड़ान भरेंगे।

वर्टीपोर्ट पर कई चार्जिंग बे बने होंगे जहां खड़े ड्रोन को चार्ज किया जा सकेगा। यहां ड्रोन के लिए कई हैंगर भी होंगे। वर्टीपोर्ट के साथ ही शहर में आने वाले समय में कई जगहों पर वर्टीस्पॉट बनाए जाएंगे जहां ये ड्रोन उतरेंगे। इन्हें बिल्डिंगों की छत पर और खुली जगहों सहित एयरपोर्ट पर बनाया जाएगा। वर्टीपोर्ट पर ड्रोन में सामान तेजी से लोड-अनलोड करने की सुविधा भी होगी।

वर्टीपोर्ट की डिजाइनिंग और ऑपरेशन के लिए गुजरात स्टेट एविएशन इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी लिमिटेड (GUJSAIL) ने पूरा प्लान तैयार किया है। GUJSAIL के सीईओ कैप्टन अजय चौहान के मुताबिक वर्टीपोर्ट एविएशन का फ्यूचर है। इसी को ध्यान में रखते हुए गुजरात सरकार ने देश का पहला वर्टीपोर्ट अहमदाबाद में बनाने की योजना तैयार की है। इसके लिए कंसल्टेंट भी हायर कर लिया गया है। काम शुरू हो चुका, लेकिन इसे पूरी तरह ऑपरेशनल होने में कुछ साल लगेंगे।

पहला इलेक्ट्रिक वर्टीपोर्ट यूके में

दुनिया का पहला इलेक्ट्रिक वर्टीपोर्ट यूके में शुरू किया गया है। यूके की कंपनी अर्बन-एयर पोर्ट ने ये वर्टीपोर्ट शुरू किया है। ये वर्टीपोर्ट भविष्य में यूके के लोगों की स्वचालित ड्रोन और एयर टैक्सी जैसी जरूरतों को पूरा करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। यूके में जिस जगह पर ये वर्टीपोर्ट बनाया गया है वहां से देश के किसी भी हिस्से में अधिकतम 4 घंटे में पहुंचा जा सकता है। अर्बन-एयर पोर्ट 2024 से फ्लाइंग टैक्सी की सुविधा शुरू करने का भी प्रयास कर रही है। कंपनी की योजना अगले पांच सालों में दुनिया भर में इस तरह के 200 वर्टीपोर्ट बनाने की है।