Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Manipur Viral Video पर SC ने सरकार से पूछा, पुलिस को जीरो FIR दर्ज करने में 14 दिन क्यों लग गए

    मणिपुर वायरल वीडियो (Manipur Viral Video) को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सोमवार को फिर से सुनवाई हुई। इस दौरान शीर्ष अदालत ने सरकार से सवाल किया कि जब महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने की घटना चार मई को हुई तो एफआईआर 18 मई को क्यों दर्ज की गई? चार मई से 18 मई तक पुलिस क्या कर रही थी? अब मामले की सुनवाई कल दोपहर दो बजे होगी।

    By AgencyEdited By: Achyut KumarUpdated: Mon, 31 Jul 2023 03:44 PM (IST)
    Hero Image
    Manipur Viral Video Case में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई कल दो बजे तक के लिए टली

    नई दिल्ली, एएनआई। मणिपुर वायरल वीडियो (Manipur Viral Video) मामले में आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में फिर सुनवाई हुई। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि वीडियो के सामने आने के बाद यह मामला सामने आया, लेकिन यह एकमात्र घटना नहीं है, जहां महिलाओं के साथ मारपीट या उत्पीड़न किया गया है। अन्य घटनाएं भी हैं। अब कल दोपहर दो बजे फिर से मामले की सुनवाई होगी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    तीन मई के बाद से कितनी एफआईआर दर्ज हुई?

    सीजेआई ने कहा कि हमें महिलाओं के खिलाफ हिंसा के व्यापक मुद्दे को देखने के लिए एक व्यवस्था भी बनानी होगी। इस व्यवस्था को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसे सभी मामलों का ध्यान रखा जाए। उन्होंने पूछा कि तीन मई के बाद से, जब मणिपुर में हिंसा शुरू हुई थी, ऐसी कितनी एफआईआर दर्ज की गई हैं।

    18 मई तक पुलिस क्या कर रही थी?

    सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि जब घटना चार मई को हुई तो एफआईआर 18 मई को क्यों दर्ज की गई? चार मई से 18 मई तक पुलिस क्या कर रही थी? यह घटना जब सामने आई कि महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाया गया और कम से कम दो के साथ दुष्कर्म किया गया, तब पुलिस क्या कर रही थी?

    'सीबीआई जांच के खिलाफ हैं महिलाएं'

    मणिपुर की दो पीड़ित महिलाओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि महिलाएं मामले की सीबीआई जांच और मामले को असम स्थानांतरित करने के खिलाफ हैं। इस पर सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हमने कभी भी मुकदमे को असम स्थानांतरित करने का अनुरोध नहीं किया है।

    तुषार मेहता ने कहा कि हमने यह कहा है कि इस मामले को मणिपुर से बाहर स्थानांतरित किया जाए। हमने कभी असम नहीं कहा।

    'हिंसा में शामिल लोगों का सहयोग कर रही थी पुलिस'

    दो पीड़ित महिलाओं की ओर से पेश हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि यह स्पष्ट है कि पुलिस उन लोगों के साथ सहयोग कर रही थी, जिन्होंने दोनों महिलाओं के खिलाफ हिंसा को अंजाम दिया। पुलिस ने इन महिलाओं को भीड़ में ले जाकर छोड़ दिया और भीड़ ने वही किया, जो वे करते थे। सिब्बल ने कहा,

    पीड़ित महिलाओं में से एक के पिता और भाई की हत्या कर दी गई थी। हमारे पास अभी भी शव नहीं हैं। 18 मई को जीरो एफआईआर दर्ज की गई। जब कोर्ट ने संज्ञान लिया, तब कुछ हुआ। तो फिर हम कैसे भरोसा करें? ऐसी कई घटनाएं होंगी। इसलिए हम एक ऐसी एजेंसी चाहते हैं, जो मामले की जांच करने के लिए स्वतंत्र हो।

    सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का कहना है कि अगर सुप्रीम कोर्ट मामले की निगरानी करेगा तो केंद्र को कोई आपत्ति नहीं है। वहीं, वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि केंद्र की स्टेटस रिपोर्ट के मुताबिक, 595 एफआईआर दर्ज की गई हैं। इनमें से कितने यौन हिंसा से संबंधित हैं, और कितने आगजनी, हत्या से संबंधित हैं। इस पर कोई स्पष्टता नहीं है।

    'महिलाओं में आत्मविश्वास पैदा करना जरूरी'

    वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा कि जहां तक कानून का सवाल है, दुष्कर्म की पीड़िताएं इस बारे में बात नहीं करतीं। वे अपने आघात के साथ सामने नहीं आतीं। पहली बात है आत्मविश्वास पैदा करना। आज हमें नहीं पता कि अगर सीबीआई जांच शुरू कर दे तो महिलाएं सामने आ जाएंगी। उन्होंने कहा कि पुलिस की बजाय महिलाओं से घटना के बारे में बात करने में महिलाओं को सहूलियत होगी।

    इंदिरा जयसिंह ने कहा कि एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति होनी चाहिए जिसमें नागरिक समाज की महिलाएं हों जिनके पास बचे लोगों से निपटने का अनुभव हो। इंदिरा का कहना है कि हाई पावर कमेटी में सैयदा हमीद, उमा चक्रवर्ती, रोशनी गोस्वामी आदि शामिल हो सकते हैं। ये सभी समुदाय में इस मुद्दे से जुड़े हैं। उन्हें एक रिपोर्ट बनाने दीजिए और इसे इस अदालत में लाने दीजिए।

    कुकी पक्ष की ओर से पेश वकील ने सीबीआई जांच का विरोध किया

    मणिपुर हिंसा मामले में कुकी पक्ष की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंसाल्वेस ने सीबीआई जांच का विरोध किया और सेवानिवृत्त डीजीपी वाली एसआईटी से जांच की मांग की। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से मणिपुर के किसी भी अधिकारी को शामिल न करने की मांग की है।

    कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि हालांकि महिलाओं के खिलाफ हिंसा केंद्र में है, लेकिन उनके भाई और पिता आदि मारे गए हैं। इस पहलू पर भी गौर किया जाए।

    एक वकील ने एक याचिका का जिक्र करते हुए कहा कि जो मणिपुर में हुआ, वैसी ही घटनाएं पश्चिम बंगाल और राजस्थान में भी हुईं। एक पंचायत उम्मीदवार का वीडियो आया जिसे पश्चिम बंगाल में निर्वस्त्र कर घुमाया गया। पूरे भारत में बेटियों को सुरक्षित रखने की जरूरत है। इस पर सीजेआई ने वकील से कहा,

    निस्संदेह देश भर में महिलाओं के खिलाफ अपराध हो रहे हैं, यह हमारी सामाजिक वास्तविकता है। हम सांप्रदायिक और सांप्रदायिक संघर्ष में महिलाओं के खिलाफ अभूतपूर्व हिंसा से निपट रहे हैं। मणिपुर में जो कुछ हुआ उसे हम यह कहकर उचित नहीं ठहरा सकते कि ऐसा कहीं और हुआ है। क्या आप कह रहे हैं कि सभी महिलाओं की रक्षा करें या किसी की भी रक्षा न करें?

    'मणिपुर में कुकी महिलाओं पर हो रहे लक्षित हमले'

    शासन में महिलाओं का प्रतिनिधित्व करने वाली वकील वृंदा ग्रोवर का कहना है कि इंफाल में दो महिलाएं कार धोने का काम कर रही थीं और भीड़ ने आकर उन पर अत्याचार किया, उनकी हत्या कर दी गई। परिवार शिविरों में हैं। मां ने एफआईआर दर्ज कराई है और एफआईआर दर्ज होने के बाद सब कुछ बंद हो गया. 18 साल की लड़की से सामूहिक दुष्कर्म भी हुआ. दोनों समुदायों के खिलाफ़ यौन हिंसा हो सकती है, लेकिन मुझे पता है कि कुकी महिलाओं, जो एक अल्पसंख्यक समुदाय है, के खिलाफ लक्षित हमला हो रहा है।

    सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने ग्रोवर की दलील पर आपत्ति जताते हुए कहा कि इस तरह समुदायों का जिक्र न करें। सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा न दें। इस पर ग्रोवर ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि राहत शिविरों की क्या स्थिति है, इस पर एक स्वतंत्र और निष्पक्ष रिपोर्ट आने दीजिए।

    • सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने सरकार से पूछा कि पुलिस को जीरो एफआईआर दर्ज करने में 14 दिन क्यों लगे। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का कहना है कि सरकार के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है। यह अदालत स्थिति पर नजर रख सकती है।
    • सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ का कहना है कि यह निर्भया जैसी स्थिति नहीं है, जिसमें दुष्कर्म किया गया था। वह भी भयावह था, लेकिन अलग-थलग था। यहां हम प्रणालीगत हिंसा से निपट रहे हैं, जिसे आईपीसी एक अलग अपराध के रूप में मान्यता देता है। इसलिए प्रशासन में विश्वास की भावना को बहाल करने के लिए, अदालत एक टीम नियुक्त करेगी। इसमें राजनीति से संबंधित व्यक्ति नहीं होंगे।
    • सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि भारत सरकार मणिपुर को घरों के पुनर्निर्माण के लिए कौन सा पैकेज दे रही है।
    • सीजेआई का कहना है कि केवल सीबीआई, एसआईटी को सौंपना पर्याप्त नहीं होगा। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि न्याय की प्रक्रिया उसके दरवाजे तक पहुंचे। हमारे पास समय ख़त्म हो रहा है। तीन महीने बीत गए हैं।
    • समिति के गठन पर सीजेआई का कहना है कि समिति के गठन के दो तरीके हैं- हम खुद एक समिति का गठन करते हैं- महिला और पुरुष न्यायाधीशों और डोमेन विशेषज्ञों की एक पार्टी। यह सिर्फ यह पता लगाने की कोशिश के संदर्भ में नहीं है कि क्या हुआ है, बल्कि हमें जीवन का पुनर्निर्माण करने की भी जरूरत है।
    • सीजेआई का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप की सीमा इस बात पर भी निर्भर करेगी कि सरकार ने अब तक क्या किया है। यदि सरकार ने जो किया है, उससे हम संतुष्ट हैं, तो हम हस्तक्षेप भी नहीं कर सकते।
    • मैतेई समुदाय की ओर से पेश वकील का कहना है कि केवल एक ही वीडियो वायरल नहीं हुआ है, ऐसे कई वीडियो हैं, जिसमें लोगों को मरते हुए देखा जा सकता है।
    • सीजेआई चंद्रचूड़ ने मैतेई समुदाय की ओर से पेश वकील से कहा कि वे आश्वस्त रहें कि हमने केवल मामले के कागजात नहीं पढ़े हैं। मैंने भी वीडियो देखा है। वह वीडियो राष्ट्रीय आक्रोश का विषय था और हमने मामले पर ध्यान क्यों दिया।
    • सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हिंसा से संबंधित मामले की सुनवाई कल दोपहर दो बजे तक के लिए टाल दी है।

    पीड़ित महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका 

    बता दें, पीड़ित दोनों महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में केंद्र और मणिपुर सरकार के खिलाफ याचिका दायर कर मांग की है कि शीर्ष अदालत मामले में स्वत: संज्ञान लेकर निष्पक्ष जांच का आदेश दे। पीड़िताओं ने अपनी पहचान सुरक्षित रखने का भी अनुरोध किया है।।