मणिपुर में हिंसा रहित वातावरण और आपसी विश्वास की जरूरत, केंद्र को ढूंढ़ना चाहिए उपाय : अरुणा राय
नेशनल फेडरेशन आफ इंडियन वूमेन की अध्यक्ष और मजदूर किसान शक्ति संगठन की संस्थापक सदस्य राय ने इस बात पर जोर दिया कि मणिपुर में जो रहा है वहां का प्रशासनिक और राजनीतिक नेतृत्व उसकी जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकता है। राय ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री ने हिंसा भड़कने के तुरंत बाद कुछ बोला होता तो युद्धरत दोनों पक्षों को बातचीत की स्थिति में लाया जा सकता था।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा राय का कहना है कि केंद्र सरकार को हिंसा रहित वातावरण बनाने और आपसी विश्वास को फिर से बहाल करने के लिए मणिपुर के सभी समुदायों को साथ लाने का उपाय ढूंढ़ना चाहिए। मैगसेसे पुरस्कार विजेता राय ने यहां एक समाचार एजेंसी के साथ साक्षात्कार में कहा कि यह स्पष्ट संदेश दिया जाना चाहिए कि हिंसा में शामिल लोगों से तेजी के साथ कड़ाई से निपटा जाएगा।
आपसी विश्वास बहाल करने का करना चाहिए प्रयास
नेशनल फेडरेशन आफ इंडियन वूमेन की अध्यक्ष और मजदूर किसान शक्ति संगठन की संस्थापक सदस्य राय ने इस बात पर जोर दिया कि मणिपुर में जो रहा है, वहां का प्रशासनिक और राजनीतिक नेतृत्व उसकी जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकता है। उन्होंने कहा, केंद्र सरकार को मणिपुर में समाज के सभी समुदायों, लोगों और नेताओं को साथ लाना होगा ताकि संघर्ष विराम और हिंसा रहित महौल बने और फिर उन्हें आपसी विश्वास बहाल करने का प्रयास करना चाहिए।
दो महिलाओं को निर्वस्त्र करके घुमाए जाने की अरुणा राय ने की निंदा
राय ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हिंसा भड़कने के तुरंत बाद कुछ बोला होता, तो युद्धरत दोनों पक्षों को बातचीत की स्थिति में लाया जा सकता था। विपक्षी दलों द्वारा लगातार प्रधानमंत्री पर मणिपुर मामले में दो महीने तक चुप्पी साधने का आरोप लगाया जा रहा है।
हालांकि, मोदी ने राज्य में एक समुदाय की दो महिलाओं को दूसरे समुदाय की भीड़ द्वारा निर्वस्त्र करके घुमाए जाने की चार मई की घटना की निंदा की। इस घटना का वीडियो 19 जुलाई को सामने आया था।
मणिपुर वायरल वीडियो पर फूटा गुस्सा
इस वीडियो को लेकर राय ने कहा कि इस तरह की स्थितियों में सबसे ज्यादा पीड़ित महिलाएं ही होती हैं। उन्होंने कहा, इस वीडियो के लंबे समय से होने और प्राथिमकी दर्ज होने के बावजूद सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। किसी भी परिस्थिति में इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है।
राय ने कहा, मुख्यमंत्री और प्रशासन की प्राथमिक जिम्मेदारी लोगों में यह विश्वास पैदा करना है कि वे अपना सर्वोत्तम प्रयास कर रहे हैं, भले ही हालात कितने भी मुश्किल क्यों ना हों। लेकिन फिलहाल जो हालात हैं, वे इससे बहुत अलग हैं।
यह पूछने पर कि स्थिति का समाधान कैसे होना चाहिए, सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि संसाधनों का समान वितरण होना चाहिए। राय ने कहा, यह स्पष्ट करना चाहिए कि जो शांति भंग करते हैं और हिंसा में लिप्त हैं उनसे कड़ाई से निपटा जाएगा।