महाराष्ट्र में सियासी उठापटक: BMC चुनाव में NCP की डबल फाइट, महायुति में भी नहीं बैठ रही युति
महाराष्ट्र में 15 जनवरी को होने वाले नगर निगम चुनावों से पहले सियासी उठापटक जारी है। नामांकन प्रक्रिया समाप्त होने के बाद, पार्टियों ने स्थानीय स्तर प ...और पढ़ें

महाराष्ट्र में सियासी हलचल (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महाराष्ट्र में 15 जनवरी को नगर निगम के चुनाव होने हैं। इससे पहले राज्य में सियासी उठापटक का दौर जारी है। नगर निगम के चुनावों से पहले राजनीतिक समीकरणों में उथल-पुथल मची हुई है। सत्ताधारी पार्टी महायुति और विपक्षी एमवीए ने यूनिफॉर्म सीट शेयरिंग का फॉर्मूला छोड़ दिया है।
मंगलवार, 30 दिसंबर को नगर निगम चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया समाप्त हो गई। इसके बाद, पार्टियों ने अलग-अलग शहरों को देखते हुए गठबंधन बनाए। इसके चलते इस चुनाव में राजनीतिक दलों के बीच दोस्ती और दुश्मनी एक ही दिन देखने को मिली।
कहीं दोस्त, कहीं दुश्मन
महाराष्ट्र नगर निगम चुनाव के दौरान एक तरफ जहां किसी शहर में नेता एक पार्टी की आलोचना करते नजर आए, वहीं दूसरे शहर में उसी पार्टी के नेताओं के साथ मंच पर बैठना पड़ा। इस बार के चुनाव में राजनीतिक दलों में बिखराव और बहुकोणीय प्रतिस्पर्धा देखने को मिल रही है।
सोमवार, 29 दिसंबर तक भाजपा और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ज्यादातर सीटों पर एक साथ चुनाव लड़ने के लिए तैयार दिख रही थी। हालांकि, मंगलवार तक ही महायुति गठबंधन में दरारें दिखने लगीं।
कांग्रेस ने भी महायुति में दिख रही दरार का फायदा उठाया। कांग्रेस ने कई शहरों में स्थानीय व्यवस्थाएं बना लीं, जिससे महायुति गठबंधन की एकता की छवि धूमिल पड़ गई।
महाराष्ट्र की राजनीति में प्रतिद्वंद्वी अजित पवार और शरद पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी के गुटों ने पुणे और पिंपरी-चिंचवड नगर निगम चुनावों में हाथ मिला लिया।
इसके विपरीत देखा जाए तो अजित पवार की एनसीपी ने नागपुर में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया, वहीं अकोला में भाजपा के साथ हाथ मिला लिया।
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