मुंबई: भाजपानीत महायुति को झटका, आरपीआई (अठावले) अकेले लड़ेगी बीएमसी चुनाव
केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले की रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) मुंबई महानगरपालिका चुनाव अकेले लड़ेगी। सीट बंटवारे पर महायुति द्वारा विश्वासघात का ...और पढ़ें

मुंबई बीएमसी चुनाव में आरपीआई अकेले लड़ेगी (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, मुंबई: भाजपा-शिवसेना गठबंधन को एक बड़ा झटका देते हुए केंद्रीय राज्य मंत्री रामदास आठवले ने मंगलवार को घोषणा की कि उनकी पार्टी, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) मुंबई महानगरपालिका का चुनाव स्वतंत्र रूप से लड़ेगी।
सीट बंटवारे को लेकर महायुति गठबंधन पर विश्वासघात का आरोप लगाते हुए आठवले ने नामांकन की अवधि समाप्त होने से कुछ घंटे पहले 39 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी। इससे भाजपानीत महायुति को नुकसान हो सकता है। दूसरी ओर कांग्रेस इस बार प्रकाश आंबेडकर के नेतृत्ववाली वंचित बहुजन आघाड़ी से गठबंधन करके चुनाव में उतरी है।
मंगलवार 15 जनवरी को होने वाले 227 सदस्यीय बीएमसी चुनावों के लिए नामांकन दाखिल करने का अंतिम दिन था। पार्टी ने उत्तरी, उत्तर-मध्य, उत्तर-पश्चिम और उत्तर-पूर्वी मुंबई की कई सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं। आठवले का कहना है कि कई बार हुई उच्च स्तरीय चर्चाओं के बावजूद आरपीआई (अठावले) को कथित तौर पर सीट वार्ता के अंतिम चरण तक अधर में लटकाए रखा गया। महायुति गठबंधन अपने वादों को पूरा करने में विफल रहा।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पहले ही निर्देश दिया था कि आरपीआई को भाजपा के कोटे से सीटें आवंटित की जाएं। लेकिन जमीनी स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। आठवले के अनुसार, भाजपा और शिंदे गुट ने हमें सात सीटें देने का वादा किया था। लेकिन दोनों दलों द्वारा जारी आधिकारिक सूचियों में आरपीआई का एक भी उम्मीदवार शामिल नहीं था। इसलिए हमने अपने दम पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है।
मुंबई में हमारी ताकत
आठवले ने दावा किया कि मुंबई में हमारी ताकत प्रकाश आंबेडकर के नेतृत्ववाली वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) से कहीं अधिक होने के बावजूद सीट बंटवारे की बातचीत में हमें दरकिनार कर दिया गया। जिससे पूरे महाराष्ट्र में हमारे कार्यकर्ताओं में तीव्र असंतोष है।
हम अन्य नेताओं की तरह नहीं हैं जो बार-बार शब्दों को तोड़-मरोड़ कर पेश करते हैं या अपने फायदे के लिए अपना रुख बदलते हैं। मूल रूप से हम पार्टी, कार्यकर्ताओं और उनके आत्मसम्मान को भूलकर समझौता करना स्वीकार नहीं कर सकते, क्योंकि कार्यकर्ताओं की शक्ति ही पार्टी की सच्ची शक्ति है। इसलिए हम ऐसा कुछ नहीं करेंगे जिससे कार्यकर्ताओं की गरिमा और पार्टी का अस्तित्व खतरे में पड़े।
आठवले ने कहा कि व्यापक दृष्टिकोण से देखें तो आंबेडकरवादी समाज की सत्ता का शासन में भाग लेना और इसके माध्यम से आम जनता के लिए काम को निर्बाध रूप से जारी रखना अत्यंत आवश्यक है। इसी गंभीरता को ध्यान में रखते हुए हमने महायुति के साथ बने रहने का निर्णय लिया है। चुनाव परिणामों के बाद कई और निर्णय लिए जा सकते हैं, लेकिन अभी यह स्पष्ट है कि हम 38 से 39 सीटों पर सौहार्दपूर्ण चुनाव लड़ेंगे।
बता दें कि आरपीआई (अठावले) का यह फैसला महायुति गठबंधन के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। अंबेडकरवादी समुदाय मुंबई के कुछ खास क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण वोट बैंक है। आठवले के कारण वह पारंपरिक रूप से भाजपानीत गठबंधन का समर्थन करता आया है। नगर निगम चुनावों में, जहां जीत का अंतर मात्र 100 से 200 वोटों का हो सकता है, आरपीआई के स्वतंत्र उम्मीदवारों की मौजूदगी दलित वोटों को बांट सकती है, जिससे कई अहम वार्डों में भाजपा और शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के उम्मीदवारों को नुकसान हो सकता है।

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