'दुपट्टा किलर' ने 15 साल तलाशी दुल्हन, हवस और पैसों की भूख में 16 हत्याएं कर चुका ऑटोरिक्शा चालक
दुपट्टा किलर महानंद नाइक अपना शिकार कमजोर और असहाय महिलाओं को बनाता था। जनवरी 2009 महानंद का 16वां और आखिरी शिकार बनी 30 साल की योगिता नाइक। 14 जनवरी2009 को योगिता लापता हुई और अगले दिन उसका शव एक बागान में पाया गया। मामले को ज्यादा तूल नहीं दिया गया लेकिन मार्च में योगिता के परिवार ने जांच के लिए पुलिस से संपर्क किया। यहां से खुली महानंद की पोल।

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। Goa's dupatta killer: गुलाबी के लिए गोविंद और योगिता के लिए योगेश बन जाता था महानंद नाइक। महिलाओं का चयन भी सावधानीपूर्वक करता था। जैसे, महिला की उम्र 20 से 35 वर्ष होनी चाहिए और कमजोर वर्ग से आती हो तो सोने पर सुहागा। एक जानवर जब शिकार करता है तो वो अपने से कमजोर को निशाना बनाता है, ऐसी ही खूबी महानंद नाइक की थी।
वह अपना शिकार कमजोर, गरीब और असहाय महिलाओं को बनाता था। जनवरी, 2009 महानंद का 16वां और आखिरी शिकार बनीं 30 साल की योगिता नाइक। 14 जनवरी, 2009 को योगिता लापता हुई और अगले दिन उसका शव काजू के बागान में पाया गया। मामले को ज्यादा तूल नहीं दिया गया, लेकिन मार्च में योगिता के परिवार ने जांच के लिए गोवा के पोंडा पुलिस स्टेशन के थाना प्रभारी चेतन पाटिल को संपर्क किया। फिर यहां से खुली महानंद नाइक की क्राइम कुंडली।
16 महिलाओं का कत्ल करने वाला महानंद नाइक
16 महिलाओं का कत्ल करने वाला महानंद नाइक दुपट्टा किलर के नाम से भी जाना जाता है। एक समय गोवा में इसका खौफ बना हुआ था। 1994 से महानंद की कहानी शुरू होती है, चलिए आपको 29 साल पीछे 25 साल के महानंद नाइक से मिलवाते है।
1994 का दौर 25 साल का युवा महानंद नाइक, पतला-दुबला और मुंह पर दाढ़ी। गोवा की राजधानी पणजी से लगभग 40 किमी दक्षिण शिरोडा में वह ऑटोरिक्शा चलाता था। 21 साल की दर्शाना नाइक महानंद के घर के विपरीत रहती थी। 30 सितंबर, 1994 को दर्शना का शव बम्बोलिम में काजू के पेड़ से लटका हुआ पाया गया। वह अपने ही दुपट्टे से लटकी हुई पाई गई थी। दर्शाना की 75 साल की मां उस समय को याद करते हुए बताती है कि जब हम धान के खेतों में काम करते थे तो वह घर पर अकेली रहती थी। दर्शाना का परिवार गरीब था, इसलिए पुलिस की जांच शुरू होने से पहले ही खत्म हो गई।
किस्मत ने दिया महानंद का साथ
दर्शाना की मौत से ठीक दो महीने पहले 30 साल की गुलाबी गांवकर की हत्या हुई थी। गुलाबी, महानंद के 16 पीड़ितों में से पहला शिकार थी। उसका शव पणजी से 28 किमी दक्षिण-पूर्व में खांडेपर में मिला था। पोंडा बाजार, ऑटोरिक्शा स्टैंड के पास गुलाबी एक दर्जी का काम करती थी। इसी जगह पर महानंद भी ऑटो चलाता था। हत्या के एक दिन बाद जब गुलाबी का शव मिला तो एक गवाह ने पुलिस को बताया था कि एक दाढ़ी वाला आदमी गुलाबी से रोज मिलने आता था। पुलिस ने महानंद को पकड़ा और हिरासत में रखा। लेकिन अन्य ऑटो ड्राइवरों ने महानंद ने पुलिस को बयान दिया की गुलाबी की हत्या वाले दिन वो पूरे समय ऑटो स्टैंड पर था, तो पुलिस ने उसे छोड़ दिया।
15 साल 16 हत्याएं, हवस और पैसों की भूख ने बनाया दरिंदा
गुलाबी की हत्या के बाद महानंद ने 15 सालों तक पणजी के आसपास की महिलाओं को फंसाने और मारने की रणनीति तैयार की। हत्या, हवस और पैसे इनके लिए एक ऑटो चालक क्राइम मास्टर बन चुका था। गरीब इलाकों में अपना शिकार ढूंढता महानंद अब अपने लिए दुल्हन तलाश रहा था। उसका तीसरा शिकार 19 साल की वासंती गौडे बनी। पोंडा में रहने वाली गरीब नौकरानी वासंती को महानंद ने 50 हजार देने का वादा किया। 11 सितंबर, 1995 को वासंती आखिरी बार देखा गया। वासंती के परिवार वालों को कभी भी उसका शव नहीं मिला।
कारोबारी बनकर महिलाओं को बनाता था अपना शिकार
महानंद काफी चालाक था और महिलाओं के सामने खुद को बिजनेसमैन बनाकर अपने जाल में फंसाता था। काफी धीमी आवाज में बात करता और महिलाओं से मिलता-जुलता नाम रखता। जैसे गुलाबी के लिए गोविंद और योगिता के लिए योगेश। महानंद किसी भी महिला से मिलता तो यह कहता, 'तुम मेरे पिता की पसंद हो।' वह जिस भी महिला से मिलता उनके सामने एक शर्त रख देता। शर्त होती की-मैच के बारे में तब तक चुप रहे जब तक कि वे अपनी बहन और चाची से अपने सबसे अच्छे गहने पहनकर न मिल लें। पहली मीटिंग में महिला को आइसक्रीम खिलाता और रोमाटिंक होते हुए महिला को अपने परिवार वालों से मिलने के लिए बुलाता। जो कोई भी उसके साथ जाने के लिए तैयार होता, वो पहले उन्हें लूटता और फिर मौत के घाट उतार देता।
ऐसे पड़ा दुपट्टा किलर का नाम
महानंद ने गुलाबी के सिर को पत्थर से कुचला था। दर्शाना के बाद उसने 14 महिलाओं की हत्या दुपट्टे से गला घोंट कर की। यही से उसका नाम पड़ा 'दुपट्टा किलर।' शिरोडा, पोंडा, बिचोलिम, मडगांव, क्यूपेम इन सभी मामले की फाइलों पर एक नजर डालने से पता चलता है कि सभी हत्याएं पणजी के आसपास 40 किमी के दायरे में हुई, जहां महानंद रहता था। महिला की हत्या करने के बाद चुराए गए आभूषणों को वो सुनार के पास 'परिवार में गंभीर बीमारी का बहाना बनाकर' बेच डालता था।
महानंद का पूरा कच्चा-चिट्ठा खुला
1995 में महानंद की तीसरी हत्या और 2003 में चौथी हत्या के बीच आठ साल का अंतर रहा। 2005 में तीन बार, 2006 में एक बार, 2007 में पांच बार और 2008 में दो बार महिलाओं की हत्या की। उसने आखिरी हत्या अप्रैल 2009 में की। 14 जनवरी, 2009 को योगिता की हत्या के बाद महानंद का पूरा कच्चा-चिट्ठा खुल गया। योगिता के परिवार वालों ने पोंडा पुलिस स्टेशन के थाना प्रभारी चेतन पाटिल से संपर्क किया और इस मामले की जांच करने की मांग की।
इंस्पेक्टर चेतन ने योगिता के कॉल रिकॉर्ड से जांच शुरू की। उसे आखिरी दो कॉल गोवा इंजीनियरिंग कॉलेज के एक छात्र के सिम कार्ड से की गई थीं, जिसका फोन खो गया था। फिर चेतन ने खोई हुई सिम की कॉल डिटेल देखी और पाया कि वह नंबर अभी भी एक्टिव है और इसका इस्तेमाल 23 वर्षीय महिला को अक्सर कॉल करने के लिए किया गया था। पुलिस ने महिला से पूछताछ की और पता चला कि वह खुद एक दुष्कर्म पीड़िता थी और फोन करने वाला कोई और नहीं बल्कि महानंद था। अप्रैल, 2009 में महानंद की गिरफ्तारी हुई और फिर खुले 16 हत्याओं के राज।
आजीवन कारावास की सजा, लेकिन अभी 21 दिन की मिली छुट्टी
महानंद, जो अब 54 वर्ष का है और पिछले 14 साल से जेल में बंद है। योगिता नाइक मामला सामने आने के तुरंत बाद भीड़ ने शिरोडा में उसके घर को जला दिया दिया। महानंद की पत्नी, जो एक केंद्र सरकार की कर्मचारी थीं उसे एक सुरक्षित स्थान पर भेज दिया गया है। 2009 और 2010 के बीच महानंद का नाम न केवल गोवा बल्कि यूएई, बहरीन, कतर और यूके तक में फैल चुका था। महानंद को दो हत्याओं का दोषी पाया गया है और अन्य मामलों में सुनवाई अभी भी जारी है। महामंद को 20 जुलाई, 2011 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी लेकिन इस साल जून में कोलवेल की सेंट्रल जेल से उसे 21 दिन की छुट्टी पर बाहर भेजा है।
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