जानें- कितना खतरनाक हो सकता था यूरोप के सबसे बड़े जैपोरिझिक न्यूक्लियर प्लांट पर हमला, चर्नोबिनल को देख चुकी है दुनिया
यूक्रेन के न्यूक्लियर प्लांट पर हुए रूस के हमले से पूरी दुनिया की चिंता बढ़ गई है। हालांकि परमाणु संयंत्र पूरी तरह से सुरक्षित है और यहां का रेडिएशन लेवल भी नहीं बढ़ा है। किसी भी न्यूक्लियर प्लांट को बनाने में कई बातों का ध्यान रखा जाता है।
नई दिल्ली (आनलाइन डेस्क)। यूरोप के सबसे बड़े जैपोरिझिक न्यूक्लियर पावर प्लांट पर हुए रूस के हमले ने पूरी विश्व की चिंता को बढ़ा दिया था। ऐसा इसलिए क्योंकि इससे रेडिएशन फैलने के चांसेज बढ़ जाते हैं। रेडिएशन फैलने की सूरत में कई लोग इसकी चपेट में आ सकते थे। दुनिया चर्नोबिल और फुकुशिमा परमाणु संयंत्र हादसे का दर्द झेल चुकी है। हालांकि अब इस प्लांट पर रूस का कब्जा हो गया है और यहां की आग को भी बुझा लिया गया है।
यूक्रेन के विदेश मंत्री का कहना है कि रूस इस प्लांट पर चौतरफा हमला कर रहा है। वहीं दूसरी तरफ अंतरराष्ट्रीय परमाणु एजेंसी ने आगाह किया है कि हमले के बाद यहां पर रेडिएशन का स्तर बढ़ सकता है। हालांकि यूक्रेन की आथरिटी का कहना है कि फिलहाल यहां का रेडिएशन लेवल नहीं बढ़ा है। इन सभी के बीच ये भी सच है कि यदि रूस का हमला इसी तरह से इस संयंत्र पर होता रहा तो हालात बेहद खतरनाक हो सकते हैं।
आपको बता दें कि जैपोरिझिया परमाणु संयंत्र दुनिया का दसवां सबसे बड़ा न्यूक्लियर प्लांट है। इसकी छह यूनिट हैं और आखिरी यूनिट 1995 में शुरू हुई थी। गौरतलब है कि दुनिया के सभी न्यूक्लियर पावर प्लांट की निगरानी इंटरनेशनल एटोमिक एनर्जी एजेंसी करती है। न्यूक्लियर प्लांट की बनावट इतनी खास होती है कि इस पर हलके हमलों का असर नहीं होता है। लेकिन यदि कोई बड़ा हमला इस पर होता है तो ये बेहद खतरनाक हो सकता है। एएफपी की वीडियो फुटेज में देखा जा सकता है कि परमाणु संयंत्र पर फिलहाल जो हमला हुआ है वो इस प्लांट की मेन यूनिट नहीं है। रायटर्स ने अपनी खबर में बताया है कि ये हमला ट्रेनिंग बिल्डिंग के पास हुआ है। मेन यूनिट का अर्थ यहां पर किसी भी न्यूक्लियर प्लांट का दिल होता है।
यहां पर ये भी बताना जरूरी है कि न्यूक्लियर रिएक्टर जहां पर होता है वहां की बनावट इस बात को देखते हुए डिजाइन की जाती है कि वो तीव्र स्तर के भूकंप पर भी टिकी रह सके। साथ ही इसको बनाते समय ये भी देखा जाता है कि किसी हमले या धमाके की सूरत में इसका रेडिएशन बाहर न फैल सके। किसी न्यूक्लियर प्लांट के दिल की बात करें तो ये वो जगह होती है जहां पर न्यूक्लियर छड़ लगाई जाती हैं। यही जगह किसी भी न्यूक्लियर प्लांट में बेहद खास होती है। यहां का तापमान भी निश्चित होता है। इसके बढ़ने पर स्थिति खराब हो जाती है। न्यक्लियर रिएक्टर वाली जगह की छत बेहद मोटी होती है और इसको डबल और ट्रिपल लेयर के तहत तैयार किया जाता है।
गौरतलब है कि यूक्रेन के चर्नोबिल परमाणु संयंत्र में जो हादसा 80 के दशक में हुआ था उसकी वजह टेस्टिंग के दौरान वहां प्लांट का अस्थिर होना और तापमान का अत्यधिक बढ़ जाना ही था। इस धमाके में चर्नोबिल प्लांट की छत भी उड़ गई थी। ऐसी स्थिति में सबसे बड़ा खतरा रेडिएशन के बढ़ने का होता है। धमाके के बाद निकलने वाला कचरा लोगों की जान ले सकता है। चर्नोबिल की ही यदि बात करें तो वहां पर धमाके में आश्चर्यजनक तरीके से केवल दो लोगोंं की जान गई थी। लेकिन इसके बाद फैले रेडिएशन ने करीब 30 लोगों की जान एक माह के अंदर ले ली थी।
रेडिएशन की चपेट में आने से खतरनाक उल्टी और डायरिया जैसी समस्या होनी शुरू हो जाती है। इसके सीधे संपर्क में आने से शरीर पर जलने जैसे निशान हो जाते हैं और रोगी दयनाक तरीके से मौत के मुंह में चला जाता है। चर्नोबिल की ही यदि बात करें तो धमाके बाद इसके कचरे को ढ़कने के लिए हजारों टन रेत हवा से डाला गया था। यहां के रेडिएशन को काबू करने में काफी लंबा समय लगा था। किसी भी न्यूक्लियर प्लांट में बहुत कुछ ऐसा होता है जो रेडिएशन से जुड़ा होता है। यही वजह है कि यहां पर काम करने वालों को कई सुरक्षा दायरों से गुजरना होता है।
View attached media content - IANS (@IANS) 4 Mar 2022