Indian Railways: 200 ट्रेनों में एक साल के भीतर बढ़ेंगी 25 हजार बर्थ, जानें कैसे होगा बदलाव
योजना के मुताबिक दिसंबर 2021 तक देशभ़़र के 68 रेल मंडलों की 200 से अधिक ट्रेनों में ये कोच लगा दिए जाएंगे। ये ट्रेनें अभी पुरानी डिजाइन के कोच के साथ चल रही हैं। इनमें कोच की लंबाई 23 मीटर होती है।
हरिचरण यादव, भोपाल। साल 2021 रेल यात्रियों के लिए एक खुशखबरी लेकर आ रहा है। इसके अंत तक 200 मेल-एक्सप्रेस श्रेणी की ट्रेनों में 25,600 सीटें (बर्थ) बढ़ जाएंगी। ये बर्थ 21 नई ट्रेनों के चलने के बराबर होंगी। इनमें यात्री आराम से सफर कर सकेंगे। ऐसा ट्रेनों में नए लिंक हॉफमैन बुश (एलएचबी) कोच लगाने की वजह से होने वाला है। योजना के मुताबिक दिसंबर 2021 तक देशभ़़र के 68 रेल मंडलों की 200 से अधिक ट्रेनों में ये कोच लगा दिए जाएंगे। ये ट्रेनें अभी पुरानी डिजाइन के कोच के साथ चल रही हैं। इनमें कोच की लंबाई 23 मीटर होती है। 24 कोच वाली एक ट्रेन में औसतन 1160 बर्थ होती हैं।
ट्रेनों में इनकी जगह आधुनिक सुविधा, अधिक सुरक्षित और एडवांस तकनीक वाले कोच लगाए जा रहे हैं। इसकी शुरआत भी हो चुकी है। ऐसे कोचों का निर्माण जर्मन कंपनी लिंक हॉफमैन बुश (एलएचबी) के तकनीकी सहयोग से कपूरथला, रायबरेली और चेन्नई स्थित कोच फैक्टि्रयों में किया जाने लगा है। ये 24 मीटर लंबे हैं और इनमें चार से आठ बर्थ अधिक हो सकती हैं और इसी तरह 22 कोच वाली एक ट्रेन में औसतन 128 बर्थ बढ़ जाएंगी। 200 ट्रेनों में नए कोच लगने के बाद करीब 25,600 बर्थ की बढ़ोतरी होगी।
ऐसे समझें बर्थ बढ़ने का गणित
शान-ए-भोपाल एक्सप्रेस: दो कोच कम हुए, तब भी बढ़ गई 128 बर्थ
यह ट्रेन पश्चिम मध्य रेलवे जबलपुर जोन के भोपाल रेल मंडल की है। यह हबीबगंज से हजरत निजामुद्दीन स्टेशन के बीच चलती है। अभी इसमें 24 कोच लगे हैं जो पुरानी डिजाइन के हैं। स्लीपर श्रेणी के एक कोच में 72, एसी थर्ड में 64, एसी सेकंड में 46, एसी फर्स्ट में 20 बर्थ हैं। इस तरह सभी में मिलाकर 1160 आरक्षित बर्थ हैं। यह ट्रेन एक जनवरी से नए एलएचबी कोच के साथ चलेगी। नए कोच में स्लीपर श्रेणी के कोच में आठ, एसी थर्ड में आठ, एसी सेकंड में छह, एसी फर्स्ट में चार अतिरिक्त बर्थ हैं। इस तरह कुल 22 कोच में 1288 बर्थ होंगी।
नए एलएचबी कोच बनाने की अनुमति रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गनाइजेशन (आरडीएसओ) लखनऊ ने दी थी। उसके तहत ही रेलवे ने सभी फैक्टि्रयों में 24 मीटर लंबे कोच बनाने का काम शुरू करवाया। प्रीमियम श्रेणी की ट्रेनें पहले से ही एलएचबी कोचों से चल रही हैं। नए कोच घुमावदार रेलखंडों में भी आसानी से दौड़ने में सक्षम होते हैं।
पुराने कोच को बाहर करने की योजना
रेलमंत्री पीयूष गोयल की मंशा है कि पुरानी डिजाइन वाले कोचों को बाहर किया जाए और सभी ट्रेनों में नए एलएचबी कोच लगाए जाएं। इस दिशा में रेलवे बोर्ड तेजी से काम कर रहा है।
मध्य प्रदेश में भोपाल रेल मंडल के डीआरएम उदय बोरवणकर ने कहा कि शान-ए- भोपाल एक्सप्रेस की तरह सभी ट्रेनों को नए कोचों से चलाने की योजना है। अगले एक साल में भोपाल रेल मंडल की बाकी ट्रेनों को भी नए कोच मिल जाएंगे, क्योंकि रेलमंत्री पीयूष गोयल के प्रयासों से रेल कारखानों में एलएचबी कोच बनाने की क्षमता बढ़ गई है। नए कोच से चलने वाली सभी ट्रेनों में बर्थ बढ़ जाएंगी। यात्रियों को फायदा होगा।
एलएचबी कोच: यह है खासियत
- इनमें सेंटर बफर कप्लर लगे हैं। दुर्घटना के समय कोच एक-दूसरे पर नहीं चढ़ते, जनहानि की आशंका कम।
- 200 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ने में सक्षम। आवाज भी कम आती है।
- बाहरी दीवारें अधिक मजबूत होती, अंदरूनी हिस्से स्कू्र रहित, दुर्घटना की स्थिति में यात्रियों को कम चोटें आएंगी।