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    Pulwama Terror Attack: पुलवामा में उड़ी से बड़ा आतंकी हमला, 40 जवान शहीद; जैश ने ली जिम्मेदारी

    By Sachin MishraEdited By:
    Updated: Fri, 15 Feb 2019 07:24 AM (IST)

    Pulwama terror attack, जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में उड़ी से बड़े आतंकी हमले में 40 जवान शहीद हो गए, जबकि 44 अन्य घायल हो गए। जैश-ए-मोहम्मद ने हमले की जिम्मेदारी ली है।

    Pulwama Terror Attack: पुलवामा में उड़ी से बड़ा आतंकी हमला, 40 जवान शहीद; जैश ने ली जिम्मेदारी

     राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में गुरुवार को अब तक का सबसे बड़ा आतंकी हमला हुआ। जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर अवंतीपोरा के पास गोरीपोरा में हुए हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए। लगभग दो दर्जन जवान जख्मी हैं। इनमें से कई की हालत गंभीर है।

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    हमले को पाकिस्तान से संचालित जैश ए मुहम्मद के आत्मघाती दस्ते अफजल गुरु स्क्वाड के स्थानीय आतंकी आदिल अहमद उर्फ वकास ने अंजाम दिया। उसने 320 किलो विस्फोटकों से लदी स्कॉर्पियो को सीआरपीएफ के काफिले में शामिल जवानों से भरी एक बस को टक्कर मारकर उड़ा दिया। काफिले में शामिल तीन अन्य वाहनों को भी भारी क्षति पहुंची है।

    घायल जवानों को उपचार के लिए बादामी बाग सैन्य छावनी स्थित सेना के 92 बेस अस्पताल में दाखिल कराया गया है। आतंकी संगठन जैश ए मुहम्मद ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। आतंकियों का निशाना बना वाहन सीआरपीएफ के काफिले का हिस्सा था। सुबह जम्मू से चले इस काफिले में 60 वाहन थे, जिनमें 2547 जवान थे। दोपहर करीब सवा तीन बजे जैसे ही काफिला जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर गोरीपोरा (अवंतीपोरा) के पास पहुंचा। तभी अचानक एक कार तेजी से काफिले में घुसी और आत्मघाती कार चालक ने सीआरपीएफ की 54वीं वाहिनी की बस को टक्कर मार दी। टक्कर लगते ही धमाका हो गया। इससे बस के परखच्चे उड़ गए।

    धमाका इतना भयावह था कि कई मील दूर तक आवाज सुनी गई। पल भर में हाईवे पर करीब 100 मीटर के दायरे में क्षत-विक्षत शव व शरीर के अंगों के टुकड़े पड़े हुए थे। धमाका होते ही काफिले में शामिल अन्य वाहन तुरंत रुक गए। जवानों ने पोजीशन ले ली। तभी वहां पहले से बैठे आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी। जवानों ने तुरंत जवाबी फायर किया। इस पर आतंकी मौके से भाग निकले। इस बीच, जवानों ने पूरे इलाके को घेरते हुए विस्फोट से तबाह हुई बस में जख्मी और मृत जवानों को बाहर निकलवा कर अस्पताल पहुंचाना शुरू किया। आत्मघाती आतंकी आदिल के भी मारे जाने का दावा किया जा रहा है।

    इसलिए इतनी संख्या में रवाना हुए
    पुलिस अधिकारियों ने बताया कि खराब मौसम के कारण लगभग एक सप्ताह से जम्मू-श्रीनगर हाईवे बंद था। दो दिनों से मौसम साफ होने के कारण गुरुवार को एक साथ इतनी संख्या में जवानों को श्रीनगर रवाना किया गया था। आतंकी हमले का निशाना बनी बस सीआरपीएफ की 54वीं वाहिनी की है। संबंधित अधिकारियों ने बताया कि 12 जवान मौके पर ही शहीद हो गए थे, जबकि चार अन्य ने अस्पताल ले जाते हुए रास्ते में दम तोड़ा। 11 अन्य जवानों की अस्पताल में शहादत पाई। विस्फोट की सूचना मिलते ही राज्य पुलिस, सेना और सीआरपीएफ के आलाधिकारी भी अपने दल बल समेत मौके पर पहुंच गए।गौरतलब है कि 18 सितंबर, 2016 में उड़ी में सैन्य के मुख्यालय पर हुए आतंकी हमले में 18 जवान शहीद व 30 घायल हो गए थे।

    पुलवामा के गुंडीपोरा का रहने वाला था आदिल, 10 माह पहले बना था आतंकी
    बीते एक दशक के दौरान कश्मीर में अब तक के सबसे बड़े आत्मघाती हमले को अंजाम देने वाला आत्मघाती आतंकी आदिल अहमद उर्फ कमांडो उर्फ वकास दक्षिण कश्मीर के गुंडीबाग, काकपोरा, पुलवामा का रहने वाला था। वह बीते साल अप्रैल माह के दौरान ही आतंकी संगठन में सक्रिय हुआ था। 21 वर्षीय आदिल 10वीं पास था और सुरक्षाबलों ने उसे सी-श्रेणी के आतंकियों में सूचीबद्ध कर रखा था। उसके ऊपर तीन लाख का इनाम था।

    विस्फोटक से भरी कार को बस से भिड़ा दी 
    आतंकियों ने विस्फोटकों से लदी एक कार में को हाईवे पर सीआरपीएफ की बस से टक्कर मारी। इसके बाद कार में हुए भयावह धमाके से बस व उसके पीछे आ रहे एक वाहन के परखच्चे उड़ गए। 

    बड़ा सवाल 
    इस आतंकी हमले से पहले जैश ने आदिल का एक वीडियो जारी कर दिया था। इसमें वह कार चलाकर जाते हुए गजवा-उल-हिंद का समर्थन करते देखा गया। इसके बावजूद सुरक्षा एजेंसियां सतर्क क्यों नहीं हुईं?

    जाकिर मूसा से था प्रभावित
    सीआरपीएफ वाहन को कार बम से उड़ाने वाला आतंकी आदिल अहमद कश्मीर में अल-कायदा का पर्याय बने जाकिर मूसा से बहुत प्रभावित था। बताया जाता है कि आतंकी संगठन में पूरी तरह सक्रिय होने के कुछ समय बाद तक वह जाकिर मूसा के साथ ही रहा था। लेकिन बाद में वह जैश-ए-मोहम्मद में चला गया था। आत्मघाती हमले को अंजाम देने से पहले रिकार्ड किया गया उसका करीब सवा दस मिनट का एक वीडियो भी जारी हुआ है। इसमें वह गजवा उल हिंद का समर्थन कर रहा है।।

    जानें, किसने क्या कहा
    -कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जम्मू-कश्मीर में हमले को कायरतापूर्ण हमला करार दिया। उन्होंने ने ट्वीट कर शहीदों के परिवारों के प्रति संवेदना दी और घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना की।
    -जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला व महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट कर आतंकी हमले की निंदा की है।
    -पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने हमले की निंदा कर पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना जाहिर की हैं।
    -जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि आतंक के लिए जिम्मेदार लोग जम्मू-कश्मीर में अपनी मौजूदगी दिखाना चाहते हैं और वे हताश हैं वे सिर्फ अपनी मौजूदगी साबित करना चाहते हैं।
    -प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी आतंकी हमले की निंदा की है। 

    बताया जा रहा है कि रिमोट से ब्लास्ट किया गया है। 18 सितंबर, 2016 में उड़ी हमले के बाद यह सबसे बड़ा हमला बताया जा रहा है। उड़ी हमले में 18 जवान शहीद हुए थे।

    20 साल में 39 बड़े आतंकी हमले, जानें-कब और कहां हुए हमले
    -10 फरवरी 2018
    जम्मू स्थित सुंजवां कैंप में घुसकर आतंकियों ने सेना के क्वाटरों में घुसकर अंधाधुंध गोलीबारी की। इसमें सेना के पांच जवान शहीद जबकि एक आम नागरिक भी मारा गया था। करीब दो दिन तक चली मुठभेड़ में सेना ने चारों आतंकी मार गिराए।
    -18 सिंतबर 2016
    उड़ी में भारी हथियारों से लैस आतंकियों ने सेना के मुख्यालय पर हमला किया। 18 जवान शहीद हो गए, जबकि 30 घायल हुए। जवाबी कार्रवाई में सेना ने चार आतंकी मार गिराए।
    -25 जून, 2016
    श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर श्रीनगर में पांपोर के निकट फे्रस्टबल में सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकियों ने हमला किया। आठ सीआरपीएफ कर्मी मारे गए, 20 अन्य घायल हो गए।
    -21 फरवरी, 2016
    श्रीनगर के आंचलिक इलाके में एक सरकारी भवन में छिपे आतंकियों समूह के साथ भारी गोलीबारी में एक आतंकी मारा, जबकि दो कैप्टन सहित सेना के तीन कमांडो शहीद हो गए थे।
    -2 जनवरी, 2016
    पठानकोट एयरबेस उत्तर भारत के सबसे बड़े एयरबेस में से एक है। इस बेस पर दो जनवरी की रात में आतंकियों ने हमला किया। तीन दिन तक चली मुठभेड़ में सात जवान शहीद हो गए, जबकि 20 से ज्यादा घायल हुए थे।
    -7 दिसंबर, 2015
    दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले में बिजबिहाड़ा के सामथन में ग्रीन टनल के निकट सीआरपीएफ कर्मियों के काफिले पर आतंकियों ने गोलीबारी की। इसमें छह सीआरपीएफ कर्मी घायल हो गए थे।
    -25 नवंबर, 2015
    उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में टंगडार में नियंत्रण रेखा के निकट सेना के शिविर पर आतंकियों ने हमला किया। इसमें जैश-ए-मोहम्मद के तीन आतंकी और एमईएस का एक जेनरेटर ऑपरेटर शहीद हो गया था।
    -18 नवंबर, 2015
    कुपवाड़ा के जंगलों में आतंकियों के साथ मुठभेड़ हुई। इसमें सेना की पैरा कमांडो यूनिट का एक कर्नल शहीद हो गया।
    -31 मई, 2015
    कुपवाड़ा जिले के टंगडार सेक्टर में सेना ने ब्रिगेड मुख्यालय पर आतंकी हमला विफल कर दिया। इस कार्रवाई में चार दहशतगर्द मारे गए।
    -21 मार्च, 2015
    सांबा जिले में जम्मू-पठानकोट राष्ट्रीय राजमार्ग पर सेना के शिविर पर फिदायीन हमले के दौरान दो आतंकी मारे गए। हमले में एक नागरिक, एक मेजर और एक जवान सहित तीन लोग घायल हुए थे।
    -20 मार्च, 2015
    सेना की वर्दी में आतंकियों के एक फिदायीन दस्ते ने कठुआ जिले में एक पुलिस थाने पर हमला किया जिसमें सीआरपीएफ के तीन कर्मी शहीद हुए। दो आतंकी मार गिराए जबकि दो नागरिक की भी मौत हुई। इसके साथ ही सीआरपीएफ के आठ कर्मी, तीन पुलिसकर्मी और एक नागरिक घायल हो गए थे।
    -5 दिसंबर, 2014
    उड़ी सेक्टर के मोहरा में सेना के 31 फील्ड रेजिमेंट आयुद्ध शिविर पर हथियारबंद आतंकियों ने हमला किया। इसमें एक लेफ्टिनेंट कर्नल और सात जवान, व तीन पुलिस कर्मी शहीद हो गए थे। इस ऑपरेशन में छह आतंकी मारे गए थे।
    -27 नवंबर, 2014
    जम्मू कश्मीर की अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे अर्निया सेक्टर में सीमावर्ती गांव कठार में दिनभर चली मुठभेड़ में तीन आतंकी मार गिराए। चार नागरिकों की मौत हुई, जबकि तीन सैन्यकर्मी शहीद हो गए।
    -26 सितंबर, 2013
    कठुआ व सांबा में दो आत्मघाती हमले हुए। तीन आतंकी मारे गिराए। कठुआ जिले में हुए एक हमले में मारे गए लोगों में चार पुलिसकर्मी और दो नागरिक शामिल थे, जबकि सांबा जिले में हुए हमले में लेफ्टिनेंट कर्नल सहित चार सैन्यकर्मी शहीद हुए थे।
    -24 जून, 2013
    श्रीनगर के हैदरपुरा में सेना के काफिले पर आतंकी हमला हुआ। हमले में आठ जवान शहीद हो गए थे।
    -31 मार्च, 2013
    श्रीनगर में सीआरपीएफ के शिविर पर आतंकी हमला हुआ। इसमें पांच लोग मारे गए।
    -06 जनवरी 2010
    लश्कर आतंकियों ने लाल चौक पर सीआरपीएफ कैंप पर फिदायीन हमला किया। दोनों आतंकियों को मार गिराया। एक नागरिक और पुलिसकर्मी की मौत। 12 जख्मी।
    -05 अगस्त 2009
    पुंछ के मंडी सेक्टर में सैन्य कैंप में फिदायीन हमले में तीन आतंकी ढेर।
    -27 अगस्त 2008
    जम्मू के बाहरी इलाके काना चक सेक्टर में तीन फिदायीन आतंकियों ने हमला किया। तीन सेना के जवान शहीद हुए। पांच नागरिकों की भी घटना में मौत।
    -12 अक्टूबर 2007
    डल लेक के किनारे स्थित बुलेवर्ड रोड स्थित सीआरपीएफ कैंप पर फिदायीन हमला। होटल ड्यूक में छुपा एक आतंकी ढेर हुआ। तीन सीआरपीएफ जवान घटना में जख्मी हुए।
    -26 जुलाई 2007
    श्रीनगर के बाहरी इलाके जकूरा में स्थित भाबा एटमिक सेंटर पर फिदायीन हमला। दो आतंकी ढेर। सात जवान जख्मी।
    -01 जून 2007
    बारामूला की शीरी में लश्कर फिदायीन ने सेना कान्वाई पर हमला किया। दोनों आतंकी ढेर। सेना के छह जवान शहीद। 15 जख्मी
    -23 नवंबर 2005
    श्रीनगर के डाउन टाउन क्षेत्र स्थित हवाल इलाके में सीआरपीएफ कैंप पर फिदायीन हमला। ग्रेनेड हमले में तीन सीआरपीएफ जवान शहीद हो गए। जबकि एक पुलिसकर्मी सहित तीन जवान जख्मी हो गए।
    -12 मई 2005
    श्रीनगर में बीएसएफ की कान्वाई पर फिदायीन हमला। दो लोग मारे गए, जबकि 60 लोग घायल हुए। घायलों में 25 स्कूली बच्चे भी शामिल।
    -30 मार्च 2005
    सोपोर के आरामपोरा इलाके में स्थित बीएसएफ कैंपों पर दो फिदायीन हमलों में दो आतंकी ढेर। एक पैरा मिलेट्री फोर्स का जवान शहीद।
    -09 अक्टूबर 2004
    सिंहपुरा इलाके में सेना की कान्वाई पर फिदायीन हमला। चार जवान शहीद। 35 जख्मी हुए। एक सिविल ड्राइवर भी मारा गया।
    -09 दिसंबर 2004
    शोपियां स्थित एसओजी कैंप पर हमला। दो पुलिसकर्मी शहीद हो गए, जबकि एक डीएसपी सहित चार लोग जख्मी हो गए।
    -03 दिसंबर 2004
    सोपोर में एसओजी कैंप में तैनात सीआरपीएफ कैंप पर फिदायीन हमला। पांच जवान शहीद, दो जख्मी। दोनों आतंकी मार गिराए गए।
    -12 सितंबर 2004
    डलगेट स्थित सीआरपीएफ कैंप पर फिदायीन हमला। दो डिप्टी कमांडेंट शहीद। दोनों आतंकियों को भी ढेर कर दिया गया।
    -18 नवंबर 2003
    श्रीनगर स्थित 15 कोर हेडक्वार्टर में फिदायीन हमला। एक जवान शहीद, दो अन्य जख्मी।
    -04 सितंबर 2003
    पुंछ शहर स्थित सुरक्षा बलों के कैंप में फिदायीन हमला। दो विदेशी और एक महिला की मौत।
    -25 अप्रैल 2003
    बांडीपोरा में बीएसएफ कैंप फिदायीन हमले में दो आतंकी ढेर। तीन बीएसएफ जवान शहीद। एक नागरिक की भी मौत। चार जवानों सहित सात जख्मी।
    -22 जुलाई 2003
    अखनूर के टांडा रोड स्थित आर्मी कैंप में फिदायीन हमला। एक ब्रिगेडियर सहित आठ जवानों की मौत। चार जनरल, एक ब्रिगेडयर और दो कर्नल सहित 12 जख्मी।
    -28 जून 2003
    जम्मू के सुजआं इलाके में सेना की डोगरा रेजीमेंट पर फिदायीन हमला। 12 जवान शहीद। एक लेफ्टिनेंट सहित सात जख्मी। दोनों फिदायीन हमले में मारे गए।
    -15 मई 2003
    पुंछ शहर में पुलिस की वर्दी में आतंकियों ने सेना कैंप के बाहर फिदायीन हमले में एक जवान की मौत। हमलावर मौके से फरार, लेकिन बाद में मारा गया।
    -18 दिसंबर 2002
    थनामंडी आर्मी पोस्ट पर फिदायीन हमले में लश्कर आतंकी ढेर। एक एसएफ की मौत और तीन जवान जख्मी।
    -14 मई 2002
    कालू चक स्थित सैन्य क्षेत्र में फिदायीन हमले में तीन आतंकी ढेर। 36 सैन्यकर्मी और उनके परिवार वालों की मौत, 48 जख्मी।
    -04 दिसंबर 2001
    कुपवाड़ा में लश्कर के तीन सदस्यीय आत्मघाती दस्ते ने सुरक्षा बलों के कैंप पर हमला किया। तीनों आतंकी ढेर। दो जवान शहीद। दो जवान सहित पांच जख्मी।
    -3 नवंबर, 1999
    श्रीनगर के बादामी बाग में आतंकियों ने 15 कोर पर हुए फिदायीन हमला किया। इस हमले में दस सैनिक कर्मी शहीद हो गए।

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