Move to Jagran APP

जानें, अयोध्‍या मामले की सुनवाई करने वाली संविधान पीठ से क्‍यों हटे जस्टिस यूयू ललित

अयोध्‍या मामले की जांच को बनी संविधान पीठ से जस्टिस यूयू ललित अलग हो गए हैं। इसके पीछे एक खास वजह है। सुप्रीम कोर्ट में जज बनने से पहले वह कई हाई-प्रोफाइल मामलों में सामने आ चुके हैं।

By Kamal VermaEdited By: Published: Thu, 10 Jan 2019 12:28 PM (IST)Updated: Thu, 10 Jan 2019 12:36 PM (IST)
जानें, अयोध्‍या मामले की सुनवाई करने वाली संविधान पीठ से क्‍यों हटे जस्टिस यूयू ललित
जानें, अयोध्‍या मामले की सुनवाई करने वाली संविधान पीठ से क्‍यों हटे जस्टिस यूयू ललित

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। अयोध्‍या मामले की सुनवाई को बनी संविधान पीठ से जस्टिस उदय उमेश ललित ने खुद को अलग कर लिया है। दरअसल, दूसरे पक्ष के वकील ने ललित पर संविधान पीठ में शामिल होने पर यह कहकर आपत्ति जताई थी कि वह बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सुनवाई के दौरान बतौर वकील एक पक्ष की तरफ से पेश हुए थे। इसके खुद जस्टिस ललित ने इस पीठ से हटने की अपील की थी, जिसे स्‍वीकार भी कर लिया गया है। इस मामले में अब पांचवें जज का नाम तय होने के बाद सुनवाई पर कोर्ट फैसला लेगी। जस्टिस ललित की जहां तक बात करें तो वह सुप्रीम कोर्ट के ऐसे छठे वरिष्‍ठ वकील हैं जिन्‍हें सीधे सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया। सुप्रीम कोर्ट में उनका कार्यकाल 8 नवंबर 2022 तक का है।  

loksabha election banner

ये था मामला
कल्याण सिंह 6 दिसंबर 1992 को उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री थे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाते कल्याण सिंह ने जुलाई 1992 में सुप्रीम कोर्ट में शपथपत्र दिया था कि बाबरी मस्जिद के ढांचे को यथावत रखा जाएगा लेकिन उन्होंने 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद को ढहा दिया गया। कल्याण सिंह ने इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए 6 दिसंबर, 1992 को ही मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया। लेकिन दूसरे दिन केंद्र सरकार ने यूपी की भाजपा सरकार को बर्खास्त कर दिया। 24 अक्टूबर 1994 को सुप्रीम कोर्ट ने अदालत की अवमानना पर कल्याण सिंह को एक दिन की सजा और 20 हजार रुपये जुर्माने की सजा भी सुनाई थी। इसी मामले में जस्सिट यूयू ललित कल्याण सिंह की तरफ से पेश हुए थे। इसके बाद लिब्राहन आयोग ने तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी नरसिम्हा राव को क्लीन चिट दी, लेकिन योजनाबद्ध, सत्ता का दुरुपयोग, समर्थन के लिए युवाओं को आकर्षित करने, और आरएसएस का राज्य सरकार में सीधे दखल के लिए मुख्यमंत्री कल्याण और उनकी सरकार की आलोचना की। कल्याण सिंह सहित कई नेताओं के खिलाफ सीबीआई ने मुकदमा भी दर्ज किया था।

हाई हाई-प्रोफाइल मामलों में सामने आए

जस्टिस ललित के पिता दिल्‍ली हाईकोर्ट के एडिशनल जज रह चुके हैं। इसके बार उन्‍होंने सीनियर काउंसिल के तौर पर सुप्रीम कोर्ट में वकालत भी की थी। खुद ललित ने 1986 में सुप्रीम कोर्ट में अपनी प्रेक्टिस शुरू की थी। वह पूर्व अटोर्नी जनरल सोली सोराबजी के साथ भी काम कर चुके हैं। 2011 में तत्‍कालीन जस्टिस जीएस सिंघवी और जस्टिस एके गांगुली ने उन्‍हें 2जी स्‍पैक्‍ट्रम मामले में सीबीआई की तरफ से स्‍पेशल पब्लिक प्रोसिक्‍यूटर नियुक्‍त किया था। इसके अलावा भी जस्टिस ललित कई हाई-प्रोफाइल मामलों में कोर्ट के समक्ष पेश हुए हैं। बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान का काला हिरण शिकार मामला, करप्‍शन मामले में फंसे कैप्‍टन अमरिंदर सिंह, सोहराबुद्दीन मामले में अमित शाह की तरफ से और जन्‍मतिथी मामले में फंसे पूर्व आर्मी जनरल वीके सिंह की तरफ से पेश हुए थे।    

एससी एसटी एक्‍ट पर अहम फैसला
एससी एसटी एक्‍ट पर अहम फैसला देने वाली खंडपीठ में जस्टिस दीपक मिश्रा के साथ जस्टिस ललित भी थे। उनका कहना था कि इसकी आड़ में फर्जी मुकदमें दर्ज करवाए जा रहे हैं। इसके अलावा तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया था। इतना ही नहीं तकनीकी शिक्षा को लेकर भी उनका फैसला काफी अहम रहा है। उन्‍होंने दो जजों की बेंच के तहत इसको गलत करार दिया था। जस्टिस एके गोयल और जस्टिस यूयू ललित ने अपने फैसले में कहा कि यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमिशन और ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजूकेशन ने इंजीनियरिंग के लिए डिस्टेंस लर्निंग प्रोग्राम्स को अनुमति नहीं दी है। डिस्टेंस एजूकेशन काउंसिल द्वारा चलाए गए ऐसे सभी कोर्स गैरकानूनी हैं।

मेघालय में लंबा है खदान हादसों का इतिहास, सभी की मिलीभगत से चलता है ये गोरखधंंधा
IAS अधिकारी चंद्रकला ने पत्राचार से किया था एमए, कुछ ही वर्षों में एक करोड़ की हुई संपत्ति 
Quota Politics: OBC की फिर से होगी गिनती, पिछले सर्वे में रह गई थीं कई खामियां 
तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में है धर्म के आधार पर मुस्लिम और इसाइयों को आरक्षण 
आखिर क्‍या थी न्‍यूजीलैंड के आसमान में चमकती हुई वो चीज, देखकर हर कोई था हैरान 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.