Move to Jagran APP

तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में है धर्म के आधार पर मुस्लिम और इसाइयों को आरक्षण

वर्तमान समय में भारत में कई तरह के आरक्षण का लाभ जनता को दिया जा रहा है। इसके अलावा कई राज्‍यों में धर्म के आधार पर भी आरक्षण दिया गया है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Mon, 07 Jan 2019 06:15 PM (IST)Updated: Mon, 07 Jan 2019 06:15 PM (IST)
तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में है धर्म के आधार पर मुस्लिम और इसाइयों को आरक्षण
तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में है धर्म के आधार पर मुस्लिम और इसाइयों को आरक्षण

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। केंद्र सरकार की तरफ से आम चुनाव के पहले ही सवर्णों को आरक्षण देकर जनता के बीच बड़ा और मजबूत पासा फेंक दिया है। काफी समय से सवर्णों को आरक्षण दिए जाने की मांग उठ रही थी। हालांकि इसको लेकर लोगों के बीच अब भी कुछ पशोपेश चलता दिखाई दे रहा है। वर्तमान समय में भारत में कई तरह के आरक्षण का लाभ जनता को दिया जा रहा है। इसके अलावा कई राज्‍यों में धर्म के आधार पर भी आरक्षण दिया गया है।

loksabha election banner

जातिगत आधार पर आरक्षण

केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा विभिन्न अनुपात में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ी जातियों (मुख्यत: जन्मजात जाति के आधार पर) के लिए सीटें आरक्षित की जाती हैं। यह जाति जन्म के आधार पर निर्धारित होती है और कभी भी बदली नहीं जा सकती। धर्म परिवर्तन करने या फिर उसकी आर्थिक स्थिति में भी बदलाव आने पर जाति में बदलाव नहीं होता है।

वर्तमान में आरक्षण का दायरा

केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित उच्च शिक्षा संस्थानों में उपलब्ध सीटों में से 22.5 फीसद अनुसूचित जाति (दलित) और अनुसूचित जनजाति (आदिवासी) के लिए आरक्षित हैं (अनुसूचित जातियों के लिए 15 फीसद, अनुसूचित जनजातियों के लिए 7.5 फीसद)। ओबीसी के लिए अतिरिक्त 27 फीसद आरक्षण को शामिल करके आरक्षण का यह प्रतिशत 49.5 फीसद तक बढ़ा दिया गया है। एम्‍स में सीटें 14 फीसद अनुसूचित जातियों और 8 फीसद अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित हैं। 

धर्म आधारित

तमिलनाडु जैसे कुछ राज्यों में आरक्षण का प्रतिशत अनुसूचित जातियों के लिए 18 फीसद और अनुसूचित जनजातियों के लिए 1 फीसद है, जो स्थानीय जनसांख्यिकी पर आधारित है। आंध्र प्रदेश में, शैक्षिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में पिछड़े वर्गों के लिए 25 फीसद, अनुसूचित जातियों के लिए 15 फीसद, अनुसूचित जनजातियों के लिए 6 फीसद और मुसलमानों के लिए 4 फीसद का आरक्षण रखा गया है।

तमिलनाडु सरकार ने मुसलमानों और ईसाइयों प्रत्येक के लिए 3.5 फीसद सीटें आवंटित की हैं, जिससे ओबीसी आरक्षण 30 फीसद से 23 फीसद कर दिया गया, क्योंकि मुसलमानों या ईसाइयों से संबंधित अन्य पिछड़े वर्ग को इससे हटा दिया गया था। इसके पीछे सरकार की दलील थी कि यह उप-कोटा धार्मिक समुदायों के पिछड़ेपन पर आधारित है न कि खुद धर्मों के आधार पर।

इसके अलावा आंध्र प्रदेश प्रशासन में मुस्लिमों को 4 फीसद आरक्षण को लेकर बनाए गए कानून को अदालत में चुनौती दी गई। इसके अलावा केरल लोक सेवा आयोग ने मुस्लिमों को 12 फीसद आरक्षण दे रखा है। धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों के पास भी अपने विशेष धर्मों के लिए 50 फीसद आरक्षण है। केंद्र सरकार ने अनेक मुसलमान समुदायों को पिछड़े मुसलमानों में सूचीबद्ध कर रखा है, इससे वे आरक्षण के हकदार होते हैं।

ऐसा भी आरक्षण

कुछ अपवादों को यदि छोड़ दें तो राज्य सरकार के अधीन आने वाली सभी नौकरियां वहां के लोगों के आरक्षित होती हैं। पीईसी चंडीगढ़ में, पहले 80 फीसद सीट चंडीगढ़ के अधिवासियों के लिए आरक्षित थीं और अब यह 50फीसद है।

विवादों में घिरी चर्चित आईएएस अधिकारी चंद्रकला ने पत्राचार से किया था एमए, कुछ ही वर्षों में संपत्ति हुई एक करोड़


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.