Borewell Rescue Operation: प्रिंस को मिली दोबारा जिंदगी, लेकिन ये मासूम चढ़ गए ‘बोरवेल की बलि’
देश के कई राज्यों से हर दिन ऐसी कई घटनाएं सामने आत है जिसमें बच्चे बोरवेल में गिर जाते हैं। जिसमें कई बच्चों की जान चली जाती है तो वहीं कई बच्चों को बचा लिया जाता है। इस खबर में जानिए देश के चर्चित बोरवेल केस के बारे में...

नई दिल्ली, वर्षा सिंह। पूरे देश के किसी ना किसी राज्य से बच्चों के बोरवेल में गिरने की घटनाएं सामने आती रहती हैं। इन हादसों में कई बच्चे अपनी जान तक गंवा देते हैं वहीं, कई बच्चों की जान बचा ली जाती है। लेकिन सबकी किस्मत एक जैसी नहीं होती है।
21 जुलाई साल 2006 में घर से कुछ दूर खेलते समय प्रिंस खुले पड़े 50 फीट गहरे बोरवेल में गिर गया था। उस दिन उसका 5वां जन्मदिन था। तीन दिन चले अभियान में सेना ने बोरवेल के साथ सुरंग बनाकर 23 जुलाई को उसे निकाल लिया गया था। इस घटना के बाद से ही इस तरह के और अधिक मामले सामने आने लगे और इन घटनाओं ने प्रशासन का ध्यान भी खींचा।
आइए जानते हैं ऐसे मामलों के बारे में जिनमें बच्चे बोरवेल में और उनमें से कई की मृत्यु हो गई वहीं कई बच्चों को प्रशासन की सतर्कता से बचा लिया गया।
प्रिंस का मामला (साल 2006)
21 जुलाई 2006 को हरियाणा के कुरुक्षेत्र के एक गांव में अपने घर से कुछ दूर खेलते समय प्रिंस (Prince fell in borewell) खुले पड़े 50 फीट गहरे बोरवेल में गिर गया था। बता दें कि उस दिन उसका 5वां जन्मदिन था। 3 दिन चले अभियान में सेना ने बोरवेल के साथ सुरंग बनाकर 23 जुलाई को उसे निकाल लिया था।
अनिल गिरा था 90 फीट के बोरवेल में (साल 2021)
राजस्थान में जालोर जिले के लाछड़ी गांव में 6 मई 2021 को अनिल देवासी नाम का बच्चा खेलते समय एक खेत में बने बोरवेल में झांकने की कोशिश करने लगा। जिसके बाद बच्चे का संतुलन बिगड़ गया और बच्चा उसी बोरवेल में जा गिरा। पास ही खड़े एक परिजन अनिल को बोरवेल में गिरते देखकर जोर से चिल्लाए लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। वहीं, देर रात 2.30 बजे देशी जुगाड़ के माध्यम से मासूम अनिल को सकुशल बाहर निकाल लिया गया था।
फंसे बच्चे को देर रात तक सुरक्षित निकाल लिया गया। रेस्क्यू में लगी NDRF की टीम को कामयाबी नहीं मिली। इस पर स्थानीय माधाराम ने रात करीब 2.20 बजे बच्चे को सुरक्षित निकाल लिया। माधाराम ने करीब 25 मिनट में ही बच्चे को सुरक्षित निकाल लिया। यह रेस्क्यू ऑपरेशन करीब 16 घंटे तक चला। बोरवेल में यह बच्चा गुरुवार सुबह गिर गया था और 90 फुट की गहराई पर जाकर फंस गया था।
100 फीट के बोरवेल में गिरी थी अंकिता (साल 2022)
राजस्थान के दौसा जिले के बांदीकुई में 15 सिंतबर 2022 को सुबह 11 बजे 2 साल की बच्ची अंकिता(Ankita fell down in borewell) 200 फीट गहरे बोरवेल में गिर गई थी। मासूम करीब 100 फीट की गहराई में फंसी थी। SDRF और प्रशासन की टीमें बचाव कार्य में जुटी थीं। वहीं, बच्ची को बाहर निकालने के लिए देसी जुगाड़ का भी सहारा लिया जा रहा था। जिसके बाद बच्ची को बाहर निकाल लिया गया था।
जब अक्षित गिरा था 200 फीट बोरवेल में (साल 2023)
जयपुर में 20 मई 2023 को 200 फीट गहरे बोरवेल में 9 साल के अक्षित उर्फ लक्की (Akshit fell in borewell) गिर गया था। जिसके बाद उसे बचाने के लिए 7 घंटे चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद उसे सुरक्षित निकाल लिया गया था। अक्षित 20 मई शनिवार सुबह 7 बजे खेलते समय बोरवेल में गिरा था। SDRF और NDRF ने दोपहर 2 बजे उसे सुरक्षित निकाला तो परिवार और इलाके के लोगों की जान में जान आई।
ये 7 घंटे सिर्फ अक्षित ही नहीं, उसके माता-पिता के लिए भी मौत से कम नहीं थे। माता-पिता अक्षित के बाहर निकलने की प्रार्थना कर रहे थे तो बोरवेल में 70 फीट पर फंसा 9 साल का मासूम एक-एक सांस के लिए संघर्ष कर रहा था। कड़ी मशक्कत के बाद अक्षित को बचा लिया गया था।
रोहित पवार गिरा था बोरवेल में (साल 2023)
अहमदनगर जिले में पांच साल का रोहित (Rohit fell in borewell) खेलते समय बोरवेल में गिर गया। घटना के बाद पुलिस और फायर ब्रिगेड रेस्क्यू ऑपरेशन किया। बच्चा करीब 15 फीट दूर था और उसे निकालने के प्रयास किए गए। बच्चे के पिता गन्ना काटने का काम करते हैं।
बता दें कि 5 साल के बच्चे को बचाने के लिए कम से कम 9 घंटे का बचाव अभियान नाकाम साबित हुआ था क्योंकि उसे मृत बाहर निकाला गया। मृतक सागर बरेला मध्य प्रदेश के बुरहानपुर के रहने वाले एक गन्ना मजदूर का बेटा था।
तन्मय साहू की हो गई थी मौत (साल 2022)
मध्य प्रदेश के बैतूल में 6 दिसंबर को बोरवेल में गिरे 6 वर्षीय तन्मय साहू (Tanmay sahu fell down in borewell) को बाहर निकाल लिया गया था। जिसके बाद बच्चे को एंबुलेंस से बैतूल जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया था। बता दें कि ये घटना आठनेर थाना क्षेत्र के मांडवी गांव की है। जहां बच्चा 55 फुट गहरे बोरवेल में फंस गया था। हालांकि तत्काल बचाव कार्य शुरू किया गया था लेकिन दुर्भाग्य से उसे बचाया नहीं जा सका था।
बोरवेल में गिरा था 10 साल का राहुल (साल 2022)
छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के पिहरीद गांव में 10 जून की शाम को राहुल (Rahul fell down in borewell chhattisgarh) खेलते-खेलते बाड़ी में बने बोरवेल के खुले गड्ढे में गिर गया था। जिसके बाद से लगातार 103 घंटे के रेस्क्यू के बाद राहुल को सकुशल बाहर निकाल लिया गया था। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लगातार राहुल के रेस्क्यू आपरेशन का जायजा ले रहे थे।
लोकेश गिरा था 60 फीट गहरे बोरवेल में (साल 2023)
मध्य प्रदेश के विदिशा जिले की लटेरी तहसील के खेरखेरी पठार गांव में कच्चे बोरवेल में 8 साल का लोकेश अहिरवार (Lokesh fell in borewell) गिर गया था। वह बंदरों का पीछा कर रहा था, तभी घटना हुई थी। बोरवेल 60 फीट गहरा था और मासूम 43 फीट गहराई में फंसा हुआ था।
इस घटना के बाद SDRF की 3 टीमें और NDRF की 1 टीम ने 24 घंटे तक मशक्कत की थी। लेकिन इतने प्रयासों के बाद भी लोकेश को बचाया नहीं जा सका था। अस्पताल में बच्चे को मृत घोषित कर दिया गया था।
जब बोरवेल में गिरा था मूक-बधिर बच्चा (साल 2023)
उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में एक 6 साल का बच्चा 10 जनवरी साल 2023 में माविया (Maviya fell in borewell) खेलते समय बोरवेल में गिर गया था। सूचना के बाद हड़कंप मच गया था। तुरंत घटना की जानकारी पुलिस प्रशासन को दी गई।
जानकारी के बाद मौके पर पहुंचे अधिकारियों ने रेस्क्यू शुरू कराया। इसके बाद करीब 4-5 घंटे तक रेस्क्यू के बाद मूक-बधिर बच्चे को सुरक्षित निकाल लिया गया था बोरवेल करीब 60 फीट गहरा है।
बोरवेल में गिरा था 7 साल का प्रिंस (साल 2022)
मध्य प्रदेश के दमोह जिले में एक 7 साल का मासूम बच्चा प्रिंस (prince fell in borewell damoh MP) 27 फरवरी साल 2022 में बोरवेल में गिर गया था। घटना के बाद 6 घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद बच्चे को बाहर निकाल लिया गया था। इसके बाद बच्चे को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था।
बता दें कि ये बच्चा 300 फीट गहरे बोरवेल में 20 फीट नीचे फंसा हुआ था। घटना की सूचना मिलते ही प्रशासन की टीम रेस्क्यू के लिए पहुंच गई थी। परिजनों ने बताया कि प्रिंस खेलते-खेलते बोरवेल में गिर गया था।
बोरवेल में गिरी ढाई साल की सृष्टि
मध्य प्रदेश के सिहोर के मुगावली गांव में मंगलवार को दोपहर 1:15 बजे ढाई साल की सृष्टि खेलते समय करीब 300 फीट गहरे बोरवेल के गड्ढे में गिर गई थी। बच्ची अब 110 फीट नीचे चली गई थी। वहीं अब बच्ची को बोरवेल से लगभग बाहर निकाल ही लिया गया था लेकिन वह फिर से नीचे गिर गई। फिलहाल रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या किया फैसला?
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court rules for borewell) ने नलकूप खनन के दौरान छोटे बच्चों को होने वाली गंभीर दुर्घटनाओं से बचाने के लिए 6 अगस्त 2010 में आदेश पारित किया था। फैसला तत्कालीन चीफ जस्टिस एसएच कपाड़िया, जस्टिस केएस राधाकृष्णन और जस्टिस स्वतंत्र कुमार की बेंच ने रिट पिटीशन पर सुनाया था। उसी समय से फैसला पूरे देश में लागू हो गया था, लेकिन इसका सही क्रियान्वन आज तक नहीं हुआ है।
क्या हैं सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन?
- नलकूप की खुदाई से पहले कलेक्टर/ग्राम पंचायत को लिखित सूचना देनी होगी।
- खुदाई करने वाली सरकारी, अर्ध-सरकारी संस्था या ठेकेदार का पंजीयन होना चाहिए।
- नलकूप की खुदाई वाले स्थान पर साइन बोर्ड लगाया जाना चाहिए।
- खुदाई के दौरान आस-पास कंटीले तारों की फेंसिंग की जाना चाहिए।
- केसिंग पाइप के चारों तरफ सीमेंट/कॉन्क्रीट का 0.30 मीटर ऊंचा प्लेटफार्म बनाना चाहिए।
- बोर के मुहाने को स्टील की प्लेट वेल्ड की जाएगी या नट-बोल्ट से अच्छी तरह कसना होगा।
- पम्प रिपेयर के समय नलकूप के मुंह को बंद रखा जाएगा।
- नलकूप की खुदाई पूरी होने के बाद खोदे गए गड्ढे और पानी वाले मार्ग को समतल किया जाएगा।
- खुदाई अधूरी छोड़ने पर मिट्टी, रेत, बजरी, बोल्डर से पूरी तरह जमीन की सतह तक भरी जानी चाहिए।
बोरवेल को लेकर क्या है समाधान?
बोरवेल (precaution for open borewell) को लेकर स्थानीय प्रशासन को ही सख्ती बरतनी होगी। हर बोरवेल, ट्यूबवेल की नियमित जांच होनी चाहिए। नियमों का पालन न करने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी होनी चाहिए।
बोरवेल, ट्यूबवेल करवाने पर सरकारी सब्सिडी मिलती है। जहां सब्सिडी दी जाती है, वहां नियमों का पालन भी होता है लेकिन बहुत से लोग प्राइवेट एजेंसी से ट्यूबवेल करवाते हैं, वे अक्सर नियमों को अनदेखा कर देते हैं।
कहां से मिलती है बोरवेल की अनुमति?
कानून के मुताबिक, कोई भी व्यक्ति बोरवेल/ट्यूबवेल करवा सकता है लेकिन उसे इसके लिए डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट, SDM, ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर, पंचायत ऑफिसर या निगम के एग्जीक्यूटिव ऑफिसर को कम से कम 15 दिन पहले लिखित में सूचना देनी होगी।
लिखित अनुमति मिलने के बाद जमीन मालिक बोरवेल का काम शुरू करवा सकता है। जो भी एजेंसी खुदाई करेगी, उसका रजिस्ट्रेशन जिलाधिकारी के पास होना चाहिए।
कौन होगा जिम्मेदारी?
बोरवेल खुदाई को लेकर अलग-अलग राज्यों का विभागों के साथ ही हाईकोर्टों के कई निर्देश हैं। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नियमों का पालन कराने की जिम्मेदारी कलेक्टर की होगी। वे सुनिश्चित करेंगे कि केंद्रीय या राज्य की एजेंसी द्वारा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी मार्गदर्शिका का सही तरीके से पालन हो।
क्यों खुले पड़े रहते हैं बोरवेल?
- लापरवाही और पैसा बचाने की लालच में बोरवेल, ट्यूबवेल को खुला छोड़ दिया जाता है।
- कई किसान इस कारण भी खुला छोड़ देते हैं कि अगले साल पानी आने पर उन्हें फिर से पानी आने की उम्मीद रहती है।
- किसानों को यह लगता है कि खेत में बच्चों का आना-जाना नहीं होता, इसलिए इसे ज्यादा गंभीरता से नहीं लेते हैं।
- वहीं कई संस्थागत बोरवेल ठेकेदारों द्वारा लापरवाही और पैसे बचाने के लिए खुले छोड़ दिए जाते हैं।
क्या कहती है NCRB की रिपोर्ट?
प्रिंस को बोरवेल (NCRB report for borewell) से निकले हुए कई साल बीत चुके हैं। वहीं, उसके पहले भी कई बच्चे और लोग बोरवेल में गिरे होंगे, लेकिन बोरवेल में फंसने की कहानी उसके बाद से लोगों की नजरों में आने लगी।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) 2006 से 2013 तक गड्ढ़ों और मेनहोल में गिरकर मरने वालों का रिकॉर्ड दर्ज करता था। 2014 से उसने इस सूची में बोरवेल में गिरकर मरने वालों को भी शामिल किया है। हालांकि, 2014 से 2015 तक बोरवेल में गिर कर मरने वालों की संख्या में कमी आई है।
प्रिंस के बोरवेल से निकलने के बाद से 2015 तक करीब 16,281 लोगों की जान बोरवेल, गड्ढ़ों और मेनहोल ने ली है। NCRB की मानें तो 2014 में 953 लोगों की मौत बोरवेल, गड्ढ़ों और मेनहोल में गिरने से हुई है। इनमें से 50 की जान बोरवेल में गई। इन 50 लोगों में 8 बच्चे थे, जिनकी उम्र 14 साल से कम है। वहीं, 2015 में बोरवेल, गड्ढ़ों और मेनहोल ने 902 लोगों की जान ली है। इनमें से 72 बोरवेल में गिरे थे। इन 72 में से 26 बच्चे थे, जो 14 साल से कम के थे।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
बोरवेल और ट्यूबवेल, बहुत समान हैं। दोनों मूल रूप से लंबवत ड्रिल किए गए कुएं हैं, जो विभिन्न उद्देश्यों के लिए पानी निकालने के लिए पृथ्वी की सतह में एक भूमि में खोदे जाते हैं। दोनों में अंतर उपयोग किए गए केसिंग के प्रकार, इस केसिंग की गहराई और उस मिट्टी के प्रकार में है जहां वे ड्रिल किए जाते हैं।
अधिक उपज प्राप्त करने के लिए मूल रूप से 80 से 150 मीटर या उससे अधिक गहरे बोरवेल प्रदान किए जाते हैं, हालांकि निस्संदेह गुणवत्ता में भी सुधार होता है।
पंप की विफलता का सबसे आम कारण वास्तव में मोटर की विफलता है। यह तब होता है जब मोटर खुद ही ज़्यादा गरम हो जाती है, आमतौर पर मोटर के बाहरी हिस्से से गुजरने वाले पानी से अपर्याप्त शीतलन के परिणामस्वरूप एक पंप आउटपुट डिलीवरी को संतुलित और टिकाऊ होने के लिए भूजल प्रवाह से मेल खाना चाहिए।
जब बोरवेल सूख जाता है और किसी काम का नहीं रह जाता है, तो कवर को हटा दिया जाता है और पीवीसी पाइप को बाहर निकाल दिया जाता है, जिससे जमीन में एक खाली छेद रह जाता है। यहीं पर बोरवेल खतरनाक और छोटे बच्चों के लिए खतरा बन जाते हैं।
बच्चे को बचाने का पारंपरिक तरीका बोरवेल के बगल में एक समानांतर गड्ढा खोदना है। फंसे हुए बच्चे को बचाने के लिए यह तरीका कठिन, लंबा और जोखिम भरा भी है। प्रस्तावित पद्धति में यांत्रिक प्रणाली बोरवेल चैनल के अंदर चलती है और उपयोगकर्ता द्वारा दिए गए आदेशों के अनुसार अपनी ग्रिपर आर्म को घुमाती है।
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