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    मतदाता सूची से 65 लाख लोगों के नाम क्यों काटे? SIR पर चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दिया जवाब

    Updated: Sun, 10 Aug 2025 10:53 AM (IST)

    बिहार में चुनाव आयोग की स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) प्रक्रिया पर विवाद है विपक्ष का आरोप है कि कई मतदाताओं को सूची से बाहर किया जा रहा है। चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दिया है कि किसी भी मतदाता का अधिकार नहीं छीना गया है और बिना नोटिस के किसी को वोटर लिस्ट से बाहर नहीं किया जाएगा।

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    बिहार में SIR पर चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दिया जवाब। फाइल फोटो

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बिहार में चुनाव आयोग की स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) प्रक्रिया लगातार विवादों में है। विपक्ष इसपर सवाल खड़े कर रहा है कि इस प्रक्रिया के तहत चुनाव आयोग कई मतदाताओं को सूची से बाहर कर रहा है। वहीं, अब चुनाव आयोग ने इसपर सुप्रीम कोर्ट में जवाब दिया है।

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    चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि बिहार में किसी भी मतदाता से उसका अधिकार नहीं छीना गया है। नोटिस दिए बिना किसी भी मतदाता को वोटर लिस्ट से बाहर नहीं किया जाएगा।

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    चुनाव आयोग ने क्या कहा?

    एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, चुनाव आयोग ने कहा कि SIR प्रक्रिया के तहत हर मुमकिन प्रयास किए जा रहे हैं कि सभी पात्र मतदाताओं का नाम फाइनल लिस्ट में शामिल रहे। चुनाव आयोग ने सख्त दिशानिर्देश दिए हैं कि किसी भी मतदाता का नाम गलत तरीके से सूची से बाहर न किया जाए।

    65 लाख नाम काटने का आरोप

    चुनाव आयोग ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट दायर करते हुए कहा कि किसी भी SIR प्रक्रिया के दौरान नाम शामिल करने और हटाने में कोई लापरवाही नहीं बरती जाएगी। चुनाव आयोग का यह बयान ऐसे समय आया है, जब आयोग पर 65 लाख लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाने का आरोप लगा है।

    चुनाव आयोग के अनुसार,

    सभी मतदाताओं को दस्तावेज जमा करने के लिए भरपूर मौके दिए जा रहे हैं। अधिकारी बूथ स्तर पर जाकर राजनीतिक पार्टियों को हिस्सा लेने और लोगों के बीच जागरूकता अभियान चलाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इसके लिए 38 जिला निर्वाचन अधिकारी, 243 निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी, 2,976 सहायक निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी, 77,895 बूथ स्तरीय अधिकारी, 2,45,716 स्वयंसेवक और 1,60,813 बूथ स्तरीय एजेंट नियुक्त किए गए हैं।

    7.24 करोड़ लोगों ने दिए दस्तावेज

    चुनाव आयोग का कहना है कि 1 अगस्त को जारी की गई ड्राफ्ट लिस्ट में 7.89 करोड़ मतदाताओं में से सिर्फ 7.24 करोड़ लोगों ने ही अपने दस्तावेज जमा किए हैं। जिन भी मतदाताओं के दस्तावेज नहीं मिले हैं, उनके नाम सभी राजनीतिक दलों को समय-समय पर दिए जा रहे हैं। बिहार से बाहर रहने वाले मतदाताओं के लिए भी अखबारों में 246 विज्ञापन दिए गए हैं।

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