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    Sheikh Hasina: 'शेख हसीना को वापस भेजो', बांग्लादेश ने लिखा पत्र; भारत ने दिया ये जवाब

    Updated: Mon, 23 Dec 2024 10:44 PM (IST)

    बांग्लादेश ने आधिकारिक तौर पर भारत से पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को वापस भेजने का अनुरोध किया है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद होसैन ने कहा कि यह अनुरोध भारत सरकार को नोट वर्बल के माध्यम से किया गया है। छात्रों के हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद शेख हसीना को 5 अगस्त को बांग्लादेश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था।

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    बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना। ( फाइल फोटो )

    जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने पूर्व पीएम शेख हसीना को वापस लाने के लिए भारत को एक राजनयिक नोट भेजा है। भारत ने इस नोट के मिलने की बात स्वीकार की है। इसके साथ ही पूर्व पीएम हसीना व उनके परिजनों पर भ्रष्टाचार के कई सारे नये मामलों की जांच भी शुरू कर दी गई है।

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    इसमें भारत और रूस की मदद से बन रहा रूपपुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र भी शामिल है। हसीना और उनके पुत्र सजीब अहमद वाजेद पर पांच अरब डॉलर की राशि के भ्रष्टाचार के आरोप की जांच भी की जा रही है।

    दोनों देशों के रिश्ते में आ सकता तनाव

    साफ है कि भारत ने अपने विदेश सचिव विक्रम मिसरी को ढाका भेजकर बांग्लादेश के साथ रिश्तों को सुधारने का जो संदेश दिया था, उसे प्रोफेसर मोहम्मद युनूस ने ताक पर रख दिया है। हसीना की वापसी युनूस सरकार की मांग दोनों देशों के रिश्तों को और तनावग्रस्त कर सकती है। वैसे इस बात की संभावना कम ही है कि भारत इस मांग को स्वीकार करेगा।

    सुरक्षित स्थान पर शेख हसीना ने ली शरण

    शेख हसीना की 16 वर्षों पुरानी लोकतांत्रिक सरकार को छात्र नेताओं व विपक्षी पार्टियों के एक विद्रोह के बाद सत्ता से हटा दिया गया था। हसीना अपने कुछ करीबी परिजनों के साथ 05 अगस्त, 2024 को बहुत ही कम समय की नोटिस के बाद भारत आ गई थी। माना जाता है कि उन्हें भारत में किसी सुरक्षित स्थान पर रखा गया है। हसीना के खिलाफ पहले दिन से ही बांग्लादेश की अंतरिम सरकार लगातार अभियान चला रही है।

    हसीना के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी

    अंतरिम सरकार के प्रमुख प्रोफेसर युनूस ने स्वयं हसीना की सरकार को दुनिया की सबसे बड़ी फासिस्ट सरकार करार दे चुके हैं। बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय क्राइम ट्रिब्यूनल ने हसीना व उनकी कैबिनेट के दूसरे कई सदस्यों के खिलाफ गिरफ्तारी के वारंट जारी कर चुकी है। पिछले दिनों भारत के विदेश सचिव मिसरी जब ढाका विदेश मंत्रालय स्तर की वार्ता के लिए गए थे तब उनके समक्ष भी हसीना को सौंपने का मुद्दा उठाया गया था।

    बांग्लादेश के विदेश मंत्री ने क्या कहा?

    विदेश मंत्री के तौर पर कार्यरत तौहीद होसैन ने सोमवार को कहा कि हमने भारत सरकार को नोट वर्बल (राजनयिक पत्र) भेजा है जिसमें हमने हसीना को कानूनी प्रक्रिया के लिए वापस लाने की बात कही है। बांग्लादेश के गृह सुरक्षा मामलों के सलाहकार जहांगीर आलम ने कहा कि, “हमने हसीना के प्रत्यर्पण के लिए भारत सरकार को एक पत्र भेजा है। भारत और बांग्लादेश के बीच पहले से ही एक प्रत्यर्पण संधि है और इसके जरिए हसीना को बांग्लादेश लाया जा सकता है।''

    भारत ने कहा- नोट वर्बल मिला है

    देर शाम भारत के विदेश मंत्रालय (एमईए) के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा कि, “हमें बांग्लादेश उच्चाोग से एक नोट वर्बल प्राप्त हुआ है जो प्रत्यर्पण से संबंधित है। इस बारे में हमारे पास साझा करने के लिए और कोई सूचना नहीं है।'' इसके पहले साप्ताहिक प्रेस वार्ताओं में जब विदेश मंत्रालय प्रवक्ता से पूर्व पीएम हसीना को बांग्लादेश भेजने से जुड़ा कोई सवाल पूछा जाता था तब वह इसे एक काल्पनिक सवाल करार देते हुए जवाब देने से इनकार कर देते थे।

    शेख हसीना के पास भारतीय कानून का सहारा लेने का अधिकार

    विदेश मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि प्रत्यर्पण से जुड़े आग्रह को स्वीकार करने या उसे अस्वीकार करने की एक पूरी प्रक्रिया है। इसमें प्राप्त आग्रह पत्र की पहले समीक्षा की जाती है और फिर उस पर केंद्र सरकार के दूसरे मंत्रालयों व विभागों की राय मांगी जाती है। जिस व्यक्ति को प्रत्यर्पित करने की मांग की गई है उसे भी अपना पक्ष रखने की छूट होती है। इसके बाद अगर सरकार के स्तर पर प्रत्यर्पण करने का फैसला किया जाता है तब भी आरोपित व्यक्ति को भारतीय कानून का सहारा लेने का अधिकार है।

    अंतरिम सरकार को कोई संवैधानिक अधिकार नहीं: चेलानी

    देश के प्रमुख रणनीतिक सलाहकार ब्रह्मा चेलानी ने इस पत्र को बांग्लादेश का तमाशा करार करते हुए कहा है कि, “मौजूदा सरकार के पास कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है। यह सरकार एक हिंसक भीड़ के दम पर सत्ता हासिल की है और इसने अपने पूर्व प्रधानमंत्री को भारत से प्रत्यर्पित करने की मांग करते हुए राजनयिक नोट भेजा है।''

    हिंदुओं पर हमले जारी

    यह भी माना जा रहा है कि युनूस सरकार की तरफ से इस तरह के कदम अंदरुनी समस्या से ध्यान भटकाने के लिए किया जा रहा है। साढ़े चार महीने बीतने के बावजूद अभी तक देश चलाने का कोई भी ठोस एजेंडा नहीं पेश किया जा सका है। दूसरी तरफ, भारत की तरफ से बार बार इस मुद्दे को उठाने के बावजूद देश में अल्पसंख्यक हिंदुओं के धार्मिक स्थलों पर हमला लगातार जारी है।

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