BHU में पीएचडी प्रवेश पर UGC ने बंद कमरे में पूछा - "करणी सेना की दखलअंदाजी कैसे हो गई?"
वाराणसी स्थित बीएचयू में पीएचडी प्रवेश परीक्षा में हुई गड़बड़ी की जांच के लिए यूजीसी की टीम पहुंची। टीम ने डीन विभागाध्यक्ष और छात्रों से पूछताछ की। सत्र 2024 की प्रवेश प्रक्रिया में अनियमितता के आरोप लगे थे जिसके बाद यूजीसी ने जांच शुरू की। शिकायतकर्ताओं से राजनीतिक हस्तक्षेप और आरोपों के प्रमाण मांगे गए।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। आखिरकार लंबे समय बाद ही सही लेकिन बीएचयू में पीएचडी प्रवेश परीक्षा को लेकर गड़बड़ी के मामले की जांच करने पहुंची यूजीसी की चार सदस्यीय टीम ने अपना प्रश्नपत्र खोला तो कई के माथे पर चिंता की लकीरें खिंंच गईं। शिक्षा संकाय के डीन और हिंदी विभागाध्यक्ष समेत नौ छात्रों से बंद कमरे में हुई लंबी पूछताछ के बाद टीम ने सवालों के जवाबों को दस्तावेज में दर्ज किया।
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बीएचयू में सत्र 2024 की पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया में अनियमितता के गंभीर आरोप लगे तो बीते 28 अप्रैल 2024 को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को प्रवेश प्रक्रिया रोकनी पड़ी। चार सदस्यीय जांच कमेटी गठित हुई लेकिन करीब चार माह के लंबे इंतजार के बाद सोमवार को कमेटी पहली बार कैंपस आई। शिक्षा संकाय के डीन प्राे. अंजलि बाजपेेई और हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. वशिष्ठ अनूप समेत नाै छात्रों से लंबी पूछताछ की गई।
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शिकायत करने वाले विद्यार्थियों से काफी तीखे सवाल किए गए हैं। राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आनंद भालेराव की अगुवाई में चार सदस्यीय टीम ने छात्रों को भी सवालों के कठघरे में खड़ा कर दिया। 17 दिनों तक धरने पर बैठे शिकायतकर्ता विक्रमादित्य त्रिपाठी से केंद्रीय कार्यालय के समिति कक्ष में करीब डेढ़ घंटे तक बातचीत हुई। विक्रमादित्य से प्रकरण में विरोध का उचित कारण पूछा गया।
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यूजीसी टीम ने कहा कि प्रवेश प्रक्रिया में कहां अन्याय हुआ। आरोप से जुड़ा प्रमाण दीजिए। इस पर आरटीआइ से मिली सूचनाएं प्रस्तुत की गईं तो टीम ने पूछा कि मामले में राजनीतिक एंगल कैसे आ गया। करणी सेना की दखलअंदाजी कैसे हो गई। वह क्यों मामले में हस्तक्षेप किए। कुलगुुरु प्रो. संजय कुमार पर लगाए गए द्वेषपूर्ण कार्रवाई के आरोप को सिद्ध करिए। जातिवादी एंगल कैसे शामिल हुआ। टीम ने पहले से ही सवाल तैयार किए हुए थे। मामले में उनका काफी अध्ययन था।
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बता दें कि विवि मेें पीएचडी कक्षाओं में नियम विरुद्ध प्रवेश करने का आरोप लगाया गया था। प्रकरण में पूर्व कार्यवाहक कुलपति और कुलगुरु को यूजीसी के समक्ष तलब होना पड़ा था। हालांकि, बाद में प्रवेश प्रक्रिया रोक दी गई, तब से अब तक नया सत्र भी शुरू नहीं हो सका। लंबे समय से विद्यार्थी पीएचडी बुलेटिन का इंतजार करने को विवश हैं।
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