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    MP में आदिवासी अंचल का ये हाल... झोपड़ी में पढ़ने को मजबूर बच्चों ने हाथ जोड़ लगाई गुहार, स्कूल भवन बनवा दो सरकार

    Updated: Fri, 26 Dec 2025 07:40 PM (IST)

    मध्यप्रदेश के डिंडौरी जिले में एक सरकारी प्राइमरी स्कूल डेढ़ साल से घास-फूस की झोपड़ी में चल रहा है। अगस्त 2024 में जर्जर भवन गिराने के बाद भी नया निर ...और पढ़ें

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    डिजिटल डेस्क, जबलपुर। मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल डिंडौरी जिले से शिक्षा व्यवस्था की एक मार्मिक तस्वीर सामने आई है। मेहंदवानी जनपद के ग्राम भोडासाज के नेटीटोला में सरकारी प्राइमरी स्कूल आज भी घास-फूस की झोपड़ी में संचालित हो रहा है। हालात ऐसे हैं कि नन्हे बच्चे हाथ जोड़कर सरकार से स्कूल भवन बनवाने की गुहार लगा रहे हैं।

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    यहां कक्षा पहली से पांचवीं तक के 37 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं, जिनके लिए एक नियमित और एक अतिथि शिक्षक तैनात है। लेकिन पक्के भवन के अभाव में न तो बच्चों को पढ़ने का सुरक्षित माहौल मिल पा रहा है और न ही शिक्षकों के लिए बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हैं। ग्रामीणों का कहना है कि भवन न होने की वजह से कई अभिभावकों ने इस वर्ष अपने बच्चों का दाखिला तक नहीं कराया।

    अगस्त 2024 में गिराया गया था जर्जर भवन

    ग्रामीणों के अनुसार, अगस्त 2024 में शहपुरा एसडीएम के आदेश पर स्कूल का पुराना भवन जर्जर घोषित कर तोड़ दिया गया था। तब से लेकर अब तक करीब डेढ़ साल बीत चुका है, लेकिन नए भवन की व्यवस्था नहीं हो पाई। इस दौरान बच्चों की पढ़ाई अस्थायी इंतजामों के भरोसे चल रही है।

    ग्रामीणों ने 1 जुलाई 2025 को जनसुनवाई में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसे तत्कालीन डीपीसी को अग्रिम कार्रवाई के लिए भेजा गया। इसके बाद 20 अगस्त 2025 को सहायक आयुक्त, जनजाति कार्य विभाग को भी शिकायत दी गई, लेकिन अब तक कोई ठोस पहल नहीं हो सकी।

    15 साल तक जोखिम में पढ़ते रहे बच्चे

    ग्रामीणों ने बताया कि नेटीटोला का स्कूल भवन वर्ष 1999 में बनाया गया था। निर्माण में खामियों के चलते 2009 में ही भवन जर्जर हो गया था। इसके बावजूद 2009 से 2024 तक उसी भवन में कक्षाएं चलती रहीं। बारिश के मौसम में छत से पानी टपकना और प्लास्टर गिरना आम बात थी, लेकिन मजबूरी में बच्चे जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करते रहे।

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    2024 की भारी बारिश के दौरान प्रशासन ने भवन गिरवा दिया। कुछ समय के लिए वैकल्पिक सरकारी भवन में कक्षाएं लगीं, लेकिन बाद में घास-फूस की झोपड़ी ही स्कूल का ठिकाना बन गई।

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    ग्रामीणों की थक चुकी आवाज

    झोपड़ी में न तो पर्याप्त जगह है और न ही शिक्षकों के लिए टेबल-कुर्सी रखने की व्यवस्था। ग्रामीणों का कहना है कि वे बार-बार शिकायत कर थक चुके हैं, लेकिन जिम्मेदार विभागों की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से जल्द से जल्द स्कूल भवन निर्माण की मांग की है, ताकि बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो सके।

    मैं स्कूल भवन के लिए शिकायत कर करके थक चुका हूं। अगस्त 2024 में बारिश के दौरान भवन जर्जर होने के चलते उसे गिरा दिया गया था। उसके बाद से लगभग डेढ वर्ष बीत गए, नए भवन की व्यवस्था नहीं हो पाई। ग्रामीणों के सहयोग से ही जो घासफूस की झोपडी पन्नी तानकर बनाई गई है, वहीं पर स्कूल संचालन करने की मजबूरी है। बीईओ, बीआरसी सहित जिला अधिकारियों को भी इस समस्या की जानकारी है। स्कूल भवन न होने से कई बच्चे तो इस वर्ष दाखिला भी नहीं लिए हैं।
    - प्रकाश राज, प्रधानाध्यापक, प्राथमिक स्कूल नेटीटोला मेहंदवानी