Hingot Festival: इंदौर में हिंगोट युद्ध के दौरान चले 'देसी बम', 35 योद्धा झुलसे
इंदौर में हिंगोट युद्ध के दौरान सोमवार शाम को 35 लोग घायल हो गए। विकासखंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. अभिलाष शिवरिया ने बताया कि जिले से करीब 55 किलोमीटर दूर गौतमपुरा में हिंगोट युद्ध के दौरान 35 योद्धा झुलस गए। उन्होंने बताया कि युद्ध के दौरान एक व्यक्ति गंभीर रूप से झुलस गया जिसके बाद उसको प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भेज दिया गया जहां उसकी इलाज की जा रही है।

पीटीआई, इंदौर। Hingot Festival: इंदौर में हिंगोट युद्ध के दौरान सोमवार शाम को 35 लोग घायल हो गए। विकासखंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. अभिलाष शिवरिया ने बताया कि जिले से करीब 55 किलोमीटर दूर गौतमपुरा में हिंगोट युद्ध के दौरान 35 योद्धा झुलस गए।
उन्होंने बताया कि युद्ध के दौरान एक व्यक्ति गंभीर रूप से झुलस गया, जिसके बाद उसको प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भेज दिया गया जहां उसकी इलाज की जा रही है। फिलहाल उसकी हालत स्थिर है। अभिलाष शिवरिया के मुताबिक, युद्ध के दौरान अन्य 34 लोगों को मामूली चोट आई है।
सैकड़ों वर्ष पुरानी है युद्ध की परंपरा
मालूम हो कि हिंगोट युद्ध की परंपरा सैकड़ों वर्ष पुरानी बताई जाती है। इसमें युद्ध लड़ने वालों का मकसद एक दूसरे को नुकसान पहुंचाना नहीं बल्कि खेल की भावना होती हैं। इस बात का कोई भी प्रमाण अभी तक नहीं मिला है कि हिंगोट युद्ध कब से शुरू हुआ। मान्यता है कि मुगलों के हमले के जवाब में मराठा सेना इसी तरह से युद्ध करती थी।
योद्धा एक दूसरे पर फेंकते हैं जलते हिंगोट
हिंगोट आंवले के आकार वाला एक जंगली फल होता है। इसका गूदा निकालकर इस फल को खोखला कर लिया जाता है, जिसके बाद इसे सुखाकर इसमें खास तरीके से बारूद भरी जाती है। बारूद में आग लगाते ही यह रॉकेट जैसे पटाखे की तरह बेहद तेज गति से छूटता है और लम्बी दूरी तय करता है। हिंगोट युद्ध के दौरान गौतमपुरा के योद्धाओं के दल को तुर्रा नाम दिया जाता है, जबकि रुणजी गांव के लड़ाके कलंगी दल की अगुवाई करते हैं। दोनों दलों के योद्धा रिवायती जंग के दौरान एक-दूसरे पर जलते हिंगोट दागते हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।