मांझी के ये 10 फैसले नीतीश के लिए किसी चुनौती से कम नहीं

बिहार की राजनीति में पिछले दिनों हुए घमासान के बाद भले ही अब यहां की राजनीतिक परिस्थितियां बदल गई है। लेकिन पूर्व मुख्‍यमंत्री जीतनराम मांझी द्वारा अपने कार्यकाल के अंतिम समय में लिए कई फैसलों को बदलना मौजूदा सीएम नीतीश कुमार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।

By Test2 test2Edited By: Publish:Tue, 24 Feb 2015 12:11 PM (IST) Updated:Tue, 24 Feb 2015 03:00 PM (IST)
मांझी के ये 10 फैसले नीतीश के लिए किसी चुनौती से कम नहीं

पटना। बिहार की राजनीति में पिछले दिनों हुए घमासान के बाद भले ही अब यहां की राजनीतिक परिस्थितियां बदल गई है। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी द्वारा अपने कार्यकाल के अंतिम समय में लिए कई फैसलों को बदलना मौजूदा सीएम नीतीश कुमार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। दरअसल, अपनी कुर्सी जाती देख मांझी ने कार्यकाल के अंतिम दिनों में कई बड़े फैसले लिए थे इनमें दलितों को जमीन देना, महादलितों को सुविधाएं बढ़ाना, पुलिसकर्मियों के वेतन संबंधित जैसे कई फैसले शामिल थे।

दलितों को अधिक जमीन -

2008 में नीतीश कुमार ने ढाई लाख महादलित परिवारों को तीन डेसीमल [1306 वर्ग फीट] भूमि दी जाएगी, जिनमें से 50 हजार को लाभ मिल चुका है। मांझी ने इसे बढ़ाकर पांच डेसीमल कर दिया। राज्य सरकार इस जमीन को मार्केट रेट से सरकार खरीद कर महादलितों को देगी। संशोधित निर्णय के लिए अतिरिक्त बजट की आवश्यकता होगी।

पासवान जैसे महादलित -

कार्यकाल के अंतिम समय के दौरान मांझी ने महादलितों के दलितों के साथ अंतर को कम किया तथा सुविधाएं बढ़ाने को कोशिश की। इस वोट बैंक के लिए रामविलास पासवान की धमकी के बाद मांझी के लिए इस निर्णय को वापस लेना भी नीतिश के लिए मुश्किल होगा।

शुल्क छूट -

मांझी ने दो माह पहले फैसला लिया था कि एससी व एसटी से संबंधित छात्राओं से स्नातक की पढ़ाई के दौरान कोई फीस नहीं ली जाएगी। महिला मतदाताओं के लिए यह योजना जाति विशेष के लिए देखी जा रही थी। नीतीश कुमार इस फैसले को रद करते हैं तो यह फैसला महादलितों को उनके खिलाफ कर सकता है।

महिला कोटा -

मांझी ने नीतीश के पूर्व के कार्यकाल के दौरान सरकारी नौकरी में मिलने वाले कोटे को 35 फीसद बढ़ा दिया। अगर नीतीश इस फैसले को वापस लेते हैं तो मांझी इसका फायदा उठाने की कोशिश करेंगे।

छात्रवृत्ति बढ़ाई -

नीतीश कुमार ने प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होने वाली सभी जाति वर्ग की छात्राओं को दस हजार रुपये की छात्रवृत्ति देने की घोषणा की थी। मांझी ने इस छात्रवृत्ति योजना में द्वितीय श्रेणी में पास होने वाली गरीब घरों की छात्राओं को भी शामिल कर लिया है।

काम पर 25 वर्ष -

टोला सेवक और विकास मित्र के रूप में नीतीश कुमार ने महादलित के लोगों को रखने का फैसला किया था इसमें मांझी ने इन्हें 25 वर्ष तक काम में रखने का फैसला लिया है।

किसानों के लिए निशुल्क बिजली -

जिन किसानों के पास पांच एकड़ जमीन है उन्हें निशुल्क बिजली उपलब्ध कराने का निर्णय भी मांझी ने लिया है। यह सीधे तौर पर किसानों से जुड़ा है, लिहाजा इसको बदलना नीतीश के लिए अासान नहीं होगा।

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मदरसों का आधुनिकीकरण -

मांझी ने मुस्लिमों के लिए हज भवनों तथा मदरसों की दशा सुधारने तथा उनके आधुनीकीकरण की घोषणा की। इस फैसले को भी नीतीश रद नहीं कर सकते हैं। हालांकि उनके पास समय ज्यादा नहीं है तो वह इन फैसलों को अमलीजामा पहना सकते हैं।

एससी-एसटी पुलिस अधिकारियों के लिए -

नीतीश ने प्रत्येक जिले में अनुसूचित जाति के पुलिस स्टेशन खोलने का निर्णय लिया था लेकिन उसमें मांझी ने सभी 850 पुलिस थानों में एक अधिकारी एससी-एसटी से संबंधित रखने का फैसला लिया।

पुलिस कर्मियों का वेतन-

मांझी ने पुलिस में तैनात कांस्टेबल से लेकर इंस्पेक्टर तक सभी कर्मियों को हर वर्ष 13 माह का वेतन देने का निर्णय लिया है। इस फैसले को भी नीतिश कुमार के लिए बदलना टेढ़ी खीर साबित होगा।

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