कहीं आपका टीनएज बच्चा भी तो नहीं नींद की समस्या से परेशान, ऐसे करें पहचान और जानें इसकी वजह
अमेरिकन एकेडमी ऑफ स्लीप मेडिसिन के अनुसार टीनएजर्स या किशोर बच्चों को कम से कम 8-10 घंटे की नींद लेनी चाहिए। लेकिन सर्वे बताते हैं कि कई अफ्रीकी और एशियाई मूल के बच्चे हर रात आठ घंटे से भी कम की नींद लेते हैं। आइए जानते हैं इसकी वजह और कैसे करें बच्चों की अच्छी नींद लेने में मदद।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। अगर आप भी 14-18 साल के टीनएजर्स के पेरेंट हैं तो शायद आप भी इस परेशानी से गुजर रहे होंगे कि आपका बच्चा दिन में भी नींद की झपकी लेते रहता है। भले ही वो रोज स्कूल या कॉलेज जा रहा हो, लेकिन वीकेंड पर दोपहर तक अपनी नींद पूरी करता रहता है। ऐसे में वजहें जानकर आप भी उनके लिए बेहतर रूटीन बना सकते हैं।
टीनएजर्स का सार्केडियन रिदम होता है अलग
छोटे बच्चों को उनकी बॉडी 8 या 9 बजे तक यह सिग्नल दे देती है कि उन्हें सोना है, लेकिन जैसे ही बच्चे प्यूबर्टी की उम्र में आते हैं, उनके सिग्नल में भी थोड़ा बदलाव होता है। टीनएजर्स रात के 10 बजे या देर रात भी सोने को तैयार नहीं होते। दरअसल यह प्यूबर्टी के दौरान होने वाले हॉर्मोनल बदलावों की वजह से होता है। फिर यह साइकिल 25 की उम्र तक आते-आते सामान्य भी होने लगता है।
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काफी कुछ करना होता है
ज्यादातर टीनएजर्स काफी सारे एक्स्ट्राकरिकुलर एक्टविटीज, गेम्स से जुड़े होते हैं। साथ ही स्कूल या कॉलेज की पढ़ाई और होमवर्क का दबाव होता है। घर के कामों में भी वे हाथ बंटाते हैं और अपने दोस्तों के साथ भी कनेक्ट रहना चाहते हैं। इस उम्र में उनके लिए सबसे ज्यादा जरूरी होता है अपने दोस्तों का साथ और शाम में बिताया जाने वाला उनका वक्त। इतनी सारी चीजों के बीच वे कहीं न कहीं अपनी नींद से समझौता कर रहे होते हैं।
ये कहलाता है ‘कैच अप स्लीप’
क्या आपका टीनएज बच्चा पर्याप्त नींद ले रहा है? इसका जवाब आपको उसके सोने के पैटर्न से मिलेगा, अगर वह वीकेंड पर लंबे समय तक सो रहा है या दिन के समय या स्कूल के बाद उसे नैप की जरूरत पड़ रही है, तो उसकी नींद पूरी नहीं रही। वीकेंड पर नींद का यह कोटा पूरा करना ‘कैच अप स्लीप’ कहलाता है, जो टीनएजर्स में काफी आम होता जा रहा है।
इस तरह मिल सकती है मदद
- उनके सोने और जागने का एक तय नियम बनाएं। उन्हें इस नियम को मानने के लिए प्रेरित करें।
- अच्छी नींद के लिए उनका कमरा सुरक्षित, आरामदायक और बैलेंस टेम्पेरेचर वाला होना चाहिए।
- सामान्य दिनों की तुलना में वीकेंड या छुट्टी वाले दिन बच्चे को एक घंटे से ज्यादा एक्स्ट्रा न सोने दें।
- सोने से एक घंटे पहले ही सारे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बंद कर दें।
- उनके कमरे में फोन न छोड़ें।
- सुबह नेचुरल लाइट में जाने को कहें।
- रूटीन बनाने में उनकी भी सलाह लें ताकि वो अपने काम और नींद की अहमियत समझ पाएं।
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