कम उम्र से ही बच्चों को बताएं फाइनेंस से जुड़ी बातें, नकली पैसों की मदद से दें उन्हें पैसों का सबक
7 साल की उम्र बच्चों को पैसों (Money Saving Tips) के बारे में जागरूक करने के लिए सबसे सही है। इस उम्र में बच्चे ज्यादा जिज्ञासु होते हैं और उनके मन में कई तरह के सवाल उठते हैं। इसलिए 7-8 साल की उम्र से ही बच्चों को पैसों से जुड़ी बातें बतानी शुरू कर देनी चाहिए।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Money Saving Tips: क्या आपने कभी 7-8 साल के बच्चों से पैसों के बारे में बात की है? शायद नहीं, क्योंकि ज्यादातर माता-पिता को लगता है कि यह उम्र पैसों की समझ विकसित करने के लिए बहुत छोटी है। लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि यही सही उम्र है बच्चों को पैसों के बारे में जागरूक करने की। जितनी जल्दी बच्चों को पैसों की समझ दी जाए, उतनी ही जल्दी वे फाइनेंशियल रूप से समझदार बनते हैं। आइए जानें बच्चों को फाइनेंशियली स्मार्ट बनाने के लिए आप क्या कर सकते हैं।
क्यों 7 साल की उम्र सही है पैसों की समझ शुरू करने के लिए?
एक्सपर्ट बताते हैं कि 7 साल की उम्र में बच्चे सबसे ज्यादा जिज्ञासु होते हैं। उनके मन में रोजमर्रा की चीजों को लेकर कई तरह के सवाल उठते रहते हैं। वे अपने माता-पिता को रोजमर्रा की जिंदगी में पैसे खर्च करते हुए देखते हैं, जिसे देखकर भी उनके मन में सवाल उठते हैं। लेकिन अक्सर माता-पिता उन्हें इस बारे में बात करने का मौका नहीं देते। वे उनसे पैसों को दूर ही रखना पसंद करते हैं। लेकिन जब बच्चों को पैसों के बारे में सवाल पूछने का अवसर मिलता है, तो वे खुलकर अपनी जिज्ञासाएं जाहिर करते हैं और इस बारे में और ज्यादा जागरूक बनते हैं।
जिन बच्चों के घरों में पैसों के बारे में खुलकर चर्चा होती है, वे इस बारे में ज्यादा जागरूक होते हैं। इसलिए, बच्चों को घर में ही पैसों की बुनियादी समझ देना जरूरी है। इससे वे भविष्य में बेहतर तरीके से पैसों को खर्च करने और सेव करने से जुड़े फैसले ले पाते हैं।
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टीनेजर्स में पैसों को लेकर डर
एक्सपर्ट के अनुसार, 16-17 साल के टीनेजर्स को अक्सर यह डर होता है कि अगर उन्हें पैसों की सही समझ नहीं हुई, तो भविष्य में वे फाइनेंशियल क्राइसेस में फंस सकते हैं। इसलिए भी जरूरी है कि बचपन से ही बच्चों को पैसों के बारे में बताया जाए। वरना बड़े होने के बाद भारी-भारी फाइनेंशियल टर्म्स सुनकर वे घबरा जाते हैं।
स्टूडेंट लोन और इंवेस्टमेंट को लेकर गलतफहमी
अक्सर ऐसा देखा जाता है कि छात्रों में स्टूडेंट लोन को लेकर सही जानकारी नहीं होती। उनका मानना होता है कि वे जितना बड़ा लोन लेंगे, उनकी लोन की किश्तें भी उतनी ही बड़ी होंगी। लेकिन ऐसा नहीं होता है, लोन की किश्त आपकी सैलेरी पर निर्भर करती है और उसी के मुताबिक बनाई जाती है। बच्चों को इस बारे में भी पता होना जरूरी है, जो बचपन से पैसों के बारे में बातचीत करने से ही आती है।
इसके अलावा, आजकल के युवा क्रिप्टोकरेंसी में खासी दिलचस्पी दिखाते हैं। वे यूट्यूब और सोशल मीडिया पर लोगों को क्रिप्टो में पैसा कमाते देखते हैं और सोचते हैं कि यह बिना किसी जोखिम के आसानी से पैसा कमाने का तरीका है। लेकिन इसके चलते वे धोखाधड़ी के स्कैम्स में भी फंस सकते हैं। इसलिए क्रिप्टो या किसी भी तरह की इंवेस्टिंग के बारे में उन्हें सही जानकारी देना जरूरी है।
नकली पैसों से सिखाएं पैसों का महत्व
बच्चों को पैसों के बारे में सही जानकारी देने के लिए नकली पैसों की मदद ली जा सकती है। बच्चों को नकली पैसों की मदद से खर्च और बचत से जुड़े फैसले लेने के लिए सबक दें। इससे बच्चों को असल जिंदगी में पैसों के महत्व का अंदाजा होता है। ऐसा करने से बच्चे धीरे-धीरे इंवेस्टमेंट, टैक्स आदि के बारे में भी सीखने लगेंगे।
इसलिए बच्चों को पैसों की समझ देने के लिए 7-8 साल की उम्र सबसे बेस्ट है। माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों को पैसों के बारे में खुलकर बताएं, उनके सवालों का जवाब दें और उन्हें जिम्मेदारी से पैसे खर्च करने की आदत डालें। इससे भविष्य में वे आर्थिक रूप से समझदार बन सकेंगे।
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