Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बच्चों को सिखाना चाहते हैं सेविंग और इंवेस्टमेंट की अहमियत, तो पेरेंटिंग कोच से लें कुछ टिप्स

    Updated: Sun, 12 Jan 2025 02:49 PM (IST)

    बच्चों को भविष्य के लिए तैयार करने के लिए माता-पिता अपनी पूरी कोशिश करते हैं। इसमें एक जरूरी सबक बच्चों को आर्थिक शिक्षा देना भी है। बच्चों को बचपन से ही सेविंग और इंवेस्टमेंट के बारे में सिखाकर उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत और समझदार बनाने में माता-पिता उनकी मदद कर सकते हैं। आइए पैरेंटिंग कोच मीनाक्षी अग्रवाल से जानें कैसे।

    Hero Image
    बच्चों में ऐसे डालें बचत करने की आदत (Picture Courtesy: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। अक्सर माता-पिता परेशान होते हैं कि उनके टीनेजर बच्चे पैसों की अहमियत नहीं समझते। इसकी एक वजह है कि समय रहते उन्हें बचत और निवेश के गुर नहीं सिखाए जाते। पैरेंटिंग कोच मीनाक्षी अग्रवाल बता रही हैं बच्चों को समय रहते ही सिखाएं बचत का महत्व और तरीका, ताकि भविष्य में वे सहजता से समझ सकें बाजार का सलीका।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बच्चों का भविष्य सुरक्षित करने के लिहाज से माता-पिता भरसक प्रयास करते हैं। संतान को आर्थिक तौर पर मजबूत बनाने के लिए यह अत्यधिक आवश्यक है कि आप उन्हें आज वित्तीय तौर पर साक्षर करें। संतान की आयु के अनुसार उन्हें इस क्षेत्र के प्रति जागरूक करें। जिस प्रकार आप उन्हें सही सामाजिक व्यवहार के बारे में प्रशिक्षित करते हैं, ठीक वैसे ही वित्तीय साक्षरता के बारे में भी समय के साथ जागरूक करना आवश्यक है। समय के साथ तेजी से बढ़ते वित्तीय विकल्प, महंगाई और हानि के बारे में बताकर आप उनके लिए तैयार कर सकते हैं मजबूत नींव।

    अपनी कमाई का लेने दें सुख

    माता-पिता की खर्च करने की आदतों को देखकर और पैसे के बारे में बातचीत सुनकर भी बच्चे पैसे के प्रबंधन के बारे में सीखते हैं। बच्चों को बचत और पैसे की कीमत के बारे में सिखाना एक मजेदार और इंटरैक्टिव अनुभव हो सकता है। उन्हें उम्र के अनुसार वास्तविक जीवन की स्थितियों, खेलों, कहानियों और पिग्गी बैंक आदि के माध्यम से सिखाया जा सकता है।

    बचत की कल्पना करने में उनकी मदद करने के लिए रंगीन पिग्गी बैंक या जार का उपयोग करें। पैसे का उपयोग कैसे किया जाता है, उन्हें यह दिखाने के लिए एक छोटी सी दुकान चलाने जैसे नाटक करने के लिए कहें। इसी तरह उन्हें अपने खिलौने समेटने या घर के छोटे-मोटे काम करने के बदले कुछ सिक्के दें।

    इससे वे कमाई का सबक सीखेंगे। उनकी बचत से मिलान करके उन्हें और प्रेरित कर सकते हैं जैसे- ‘वे यदि 100 रुपये बचाएंगे तो उसमें आप 20 रुपये और जोड़ेंगे’। इसके बाद उन्हें अपनी जरूरत का सामान खरीदने के लिए पर्याप्त बचत करने को प्रेरित करें।

    जब वे अपनी बचत के पैसे से कोई सामान खरीदें तो इसके लिए प्रशंसा करके उनका आत्मविश्वास बढ़ाएं। वित्त-अर्थ से जुड़े कई खेल हैं, जैसे मोनोपोली वित्तीय कौशल सिखाने का सबसे पुराना व सबसे पसंद किया जाने वाला खेल है। यह नुकसान और लाभ को संभालने की क्षमता भी सिखाता है।

    वित्तीय साक्षरता के लिए तैयार किए गए एप और गेम इस साक्षरता को इंटरैक्टिव बना सकते हैं। आजकल बच्चों के लिए वित्तीय गाइड और वर्कबुक आदि भी उपलब्ध हैं, जिन्हें आनलाइन खरीदा जा सकता है। इस विषय पर कई पाडकास्ट भी मौजूद हैं, जो डिजिटल जेनरेशन को भी आकर्षक लगेंगे।

    यह भी पढ़ें: कितनी भी हो सैलरी, ऐसे बनाएं बजट- कभी कम नहीं पड़ेंगे पैसे

    उठाएं कुछ महत्वपूर्ण कदम

    जब बच्चे इस उम्र में पहुंच जाएं कि उनको बचत और खर्च के बीच का महत्व व अंतर समझ आने लगे तो उन्हें हर महीने किराना आदि की नियमित खरीदारी के लिए भी ले जाएं। छुट्टियों की योजना बनाने, मासिक बजट बनाने व माह के अंत में खर्च जोड़ने आदि के दौरान उन्हें भी साथ बैठाएं।

    जितना अधिक उन्हें वास्तविक जीवन की स्थितियों से अवगत कराएंगे, उनकी समझ उतनी ही बेहतर होगी। किशोरों को आपातकाल/समेकित निधि के बारे में सिखाएं। इसके साथ ही उन्हें खरीदारी करने के धैर्यपूर्ण तरीके बताएं, खास तौर पर आनलाइन खरीदारी के दौरान।

    खरीदारी करने से पहले रुककर यह आकलन करने के लिए प्रोत्साहित करें कि ‘क्या उन्हें वाकई इसकी आवश्यकता है?’ उनके नाम पर बचत खाता खोलें और बैंक कार्यप्रणाली भी समझाएं। इसके साथ ही उन्हें अपनी बचत का एक छोटा हिस्सा दान करने के लिए भी प्रोत्साहित करें। इससे उनमें सहानुभूति और यह विचार विकसित होता है कि पैसे का इस्तेमाल दूसरों की मदद के लिए किया जाना चाहिए।

    छोटी उम्र में मिलें बड़े सबक

    बच्चों को धनराशि के महत्व के बारे में सिखाना एक महत्वपूर्ण कौशल है जो उन्हें वित्तीय स्थिरता और आर्थिक स्वतंत्रता के लिए तैयार करता है। उन्हें कमाई, बचत, खर्च और बजट जैसी बुनियादी अवधारणाओं से परिचित कराकर आप उन्हें पैसे के साथ बेहतर सामंजस्य विकसित करने में मदद करते हैं जो उन्हें एक ठोस वित्तीय आधार बनाने में सक्षम बनाता है।

    बच्चों को वित्तीय साक्षरता के महत्व को समझाने और सिखाने से पहले सबसे बड़ा सवाल है - ‘चाह’ और ‘जरूरत’ के बीच अंतर करने की चेतना और क्षमता। हमें चीजें खरीदने के लिए पैसे की जरूरत होती है, लेकिन इच्छाओं और जरूरतों के बारे में जागरूकता से सूचित विकल्प बनाने में मदद मिलती है। जीवन के हर चरण में इच्छाएं और जरूरतें अलग-अलग होती हैं और माता-पिता के तौर पर यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम पढ़ने और लिखने की साक्षरता के साथ-साथ वित्तीय साक्षरता भी शुरू करें।

    अधिकांश बच्चे और किशोर कभी बैंक नहीं गए होते। कई बच्चे एटीएम को ही बैंक मान लेते हैं। कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन के अनुसार, सात साल की उम्र तक वित्तीय आदतें बन जाती हैं और इसी दौरान विकसित हुई आदतें भविष्य में उनके द्वारा लिए जाने वाले अधिकांश वित्तीय निर्णयों को प्रभावित करती हैं।

    यह भी पढ़ें: फिजूलखर्ची में पैसा उड़ा देते हैं बच्चे, तो ऐसे डालें उनमें सेविंग की आदत