बच्चों से दूर रहने पर माता-पिता हो सकते हैं Empty Nest Syndrome का शिकार, इन संकेतों से करें पहचान
मां-बाप अपना पूरा जीवन अपने बच्चों की सही देखभाल में लगा देते हैं। लेकिन जिस तरह चिड़िया के चूजे घोंसला छोड़कर अपनी उड़ान भरते हैं वैसे ही इंसानों के बच्चे भी बड़े होने के बाद पेरेंट्स का छोड़ अपनी जिंदगी बनाने निकल जाते हैं। इसके कारण कई बार पेरेंट्स Empty Nest Syndrome का शिकार हो जाते हैं। आइए जानें इसके लक्षण और हैंडल करने के तरीके।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। पेरेंट्स के लिए अपने बच्चों से बढ़कर और कुछ नहीं होता। वे अपना पूरा जीवन उनकी देखभाल करने और उनकी सभी इच्छाओं को पूरा करने में लगा देते हैं। लेकिन जब बच्चे बड़े हो जाते हैं और माता-पिता का घर छोड़कर किसी भी वजह से अलग रहना शुरू कर देते हैं, तो माता-पिता के मन में एक खालीपन (Empty Nest Syndrome) अपना घर बनाने लगता है।
पेरेंट्स के मन में यह खालीपन या अकेलापन महसूस होना एम्प्टी नेस्ट सिंड्रोम (Empty Nest Syndrome) कहलाता है। यह कोई बीमारी नहीं है, बल्कि भावनाओं का कॉम्प्लिकेटेड उथल-पुथल है। आइए जानते हैं कि एम्प्टी नेस्ट सिंड्रोम होता क्या है (Empty Nest Syndrome Signs) और इससे कैसे डील किया जा सकता है।
एम्प्टी नेस्ट सिंड्रोम क्या है? (What is Empty Nest Syndrome)
एम्प्टी नेस्ट सिंड्रोम एक भावनात्मक स्थिति है, जो तब होती है जब बच्चे घर छोड़कर कॉलेज, नौकरी या शादी के लिए बाहर चले जाते हैं या अलग रहने लगते हैं। इस दौरान माता-पिता को लगता है कि उनकी पेरेंटिंग की जिम्मेदारी खत्म हो गई है, जिससे वे खालीपन और उदासी महसूस करते हैं। उन्हें ऐसा महसूस हो सकता है कि उनकी पेरेंट वाली पहचान उनसे कोई छीन रहा है। यह कोई मेडिकल डिसऑर्डर नहीं है, लेकिन लंबे समय तक इसका प्रभाव मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ सकता है।
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एम्प्टी नेस्ट सिंड्रोम के लक्षण (Empty Nest Syndrome Symptoms)
- अकेलापन और उदासी महसूस होना
- बच्चों की यादों में खो जाना
- नींद न आना या ज्यादा सोना
- भूख कम या ज्यादा हो जाना
- अपने जीवन का कोई उद्देश्य न समझना
- रोजमर्रा के कामों में मन न लगना
- स्ट्रेस, गिल्ट, नीरसता, खालीपन, चिड़चिड़ापन महसूस होना
एम्प्टी नेस्ट सिंड्रोम से कैसे निपटें? (How to Deal With Empty Nest Syndrome)
नए शौक और रुचियां विकसित करें
अपने खाली समय में नए शौक जैसे पेंटिंग, गार्डनिंग, योगा, डांस या कोई नया कोर्स करें। इससे आपका ध्यान पॉजिटिव चीजों पर लगेगा।
सोशल कॉन्टेक्ट बढ़ाएं
दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ समय बिताएं। सोशल ग्रुप्स या कम्युनिटी एक्टिविटीज में हिस्सा लें। इससे अकेलापन कम होगा।
अपने रिश्ते को मजबूत करें
अगर आप पार्टनर के साथ हैं, तो इस समय का इस्तेमाल अपने रिश्ते को नए सिरे से जोड़ने में करें। साथ में ट्रैवल करें या नई एक्टिविटीज ट्राई करें।
वॉलंटियर या मेंटर बनें
अपने अनुभवों का इस्तेमाल दूसरों की मदद करने में करें। किसी NGO के साथ जुड़ें या युवाओं को मेंटर करें।
सेल्फ-केयर पर ध्यान दें
अपनी सेहत का ख्याल रखें। नियमित एक्सरसाइज, हेल्दी डाइट और मेडिटेशन से तनाव कम करें।
बच्चों के साथ संपर्क बनाए रखें
टेक्नोलॉजी की मदद से बच्चों के साथ रेगुलर वीडियो कॉल या मैसेज के जरिए जुड़े रहें। लेकिन उनकी इंडिपेंडेंस को भी समझें।
प्रोफेशनल हेल्प लें (अगर जरूरत हो)
अगर उदासी और तनाव बहुत ज्यादा हो रहा है, तो काउंसलिंग या थेरेपी लेने में संकोच न करें।
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Source:
Cleveland Clinic: https://health.clevelandclinic.org/empty-nest-syndrome
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