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    टीनएज बच्चों के साथ बेहतर बातचीत के लिए अपनाएं ये 5 तरीके, बिना झिझक बताएंगे दिल की बात

    Updated: Tue, 02 Sep 2025 04:08 PM (IST)

    टीनएज शुरू होते ही बच्चे माता-पिता से दूर होने लगते हैं। ऐसा अक्सर इसलिए होता है क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके पेरेंट्स उनकी बात ध्यान से नहीं सुनते। साथ ही एक डर यह भी होता है कि पेरेंट्स उन्हें डांटेंगे। इसलिए वे खुलकर बात नहीं करते और माता-पिता से इमोशनली दूर होने लगते हैं। लेकिन कुछ तरीकों (Parenting Tips) से इस समस्या को दूर किया जा सकता है।

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    क्यों पेरेंट्स से बात करना कम कर देते हैं टीनएजर्स? (Picture Courtesy: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। आज स्कूल कैसा रहा? ठीक था। दोस्तों के साथ आउटिंग कैसी रही? बस ठीक थी। अगर आपके टीनएज बच्चे के साथ आपकी बातचीत भी इन्हीं एक-दो शब्दों में सिमटकर रह जाती है, तो आप अकेले नहीं हैं। यह (Talking with Teenagers) हर पैरेंट की सबसे बड़ी चुनौती बन गई है।

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    लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जो बच्चा कभी आपसे हर छोटी-बड़ी बात शेयर करता था, आज वही आपसे इतना दूर क्यों हो गया है? यह समस्या हर मां-बाप को झेलनी पड़ती है कि उनका बच्चा उनसे खुलकर बात नहीं करता। इसके कारण उनके बीच दूरियां भी महसूस होने लगती है। लेकिन इसकी असल वजह जानकर आप इस समस्या से आसानी से निपट सकते हैं (Parenting Tips)। आइए जानें कैसे।

    क्यों टीनेएजर नहीं करते खुलकर बात?

    दरअसल, टीनेएज के दौरान यानी 13-19 साल, बच्चे 'पहचान बनाम भूमिका भ्रम' से गुजरते हैं। वे अपनी एक अलग पहचान बनाना चाहते हैं, लेकिन वे अपनी भूमिका भी खोज रहे होते हैं। उनकी यह दूरी एक स्वाभाविक मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया का हिस्सा है, लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं कि आप उनसे जुड़ाव महसूस नहीं कर सकते।

    सबसे बड़ी शिकायत: "हमें सुना नहीं जाता"

    टीनएजर्स की सबसे बड़ी शिकायत यही होती है कि उनकी बात को गंभीरता से नहीं सुना जाता। उन्हें डर लगता है कि अगर उन्होंने अपनी कोई गलती या परेशानी बताई, तो उन्हें सलाह के बजाय डांट पड़ेगी, उन्हें जज किया जाएगा या फिर पुरानी बातें दोहराकर उनका मनोबल गिराया जाएगा। यही डर उन्हें चुप्पी साधने पर मजबूर कर देता है। हालांकि, अच्छी खबर यह है कि कुछ छोटे और स्मार्ट बदलावों से आप इस दूरी को कम कर सकते हैं और एक ऐसा रिश्ता बना सकते हैं जहां आपका बच्चा आपसे खुलकर बात कर सके।

    टीनएजर से बेहतर तालमेल बिठाने के 5 कारगर तरीके

    'कार-टॉक' से मदद मिलेगी

    आमने-सामने बैठकर की जाने वाली गंभीर बातचीत का दबाव टीनएजर्स को अच्छा नहीं लगता। इसके बजाय, कार में सफर के दौरान बातचीत शुरू करें। आंख मिलाकर बात न होने से वे ज्यादा कम्फर्टेबल और ओपन महसूस करते हैं। ध्यान रखें कि सवाल भी 'हां-ना' में जवाब देने वाले न हों। "आज स्कूल का सबसे मजेदार चीज क्या हुई?" जैसे सवाल पूछें, ताकि वे बात कर सकें।

    सलाह देने से पहले पूछें: "तुम क्या चाहते हो?"

    जब भी आपका बच्चा कोई परेशानी लेकर आए, तो सबसे पहले उससे यह जरूर पूछें – क्या तुम मेरी सलाह चाहते हो या बस मुझे बस तुम्हारी बात सुननी है? इससे बच्चे को लगता है कि आप उसके इमोशन्स और फैसले लेने की क्षमता का सम्मान कर रहे हैं।

    बातचीत को फॉर्मल न बनाएं

    बड़े-बड़े मुद्दों पर बात करने के लिए उन्हें सोफे पर बैठाकर एक फॉर्मल मीटिंग जैसा माहौल बनाने की जरूरत नहीं है। बेहतर है कि बातचीत को नॉर्मल रखें। खाना बनाते हुए, टीवी देखते हुए, या कोई काम करते हुए हल्के-फुल्के अंदाज में बात शुरू कर दें।

    अपने रिएक्शन पर कंट्रोल रखें

    अगर आपका बच्चा आपको कोई ऐसी बात बताए जो सुनकर आपको झटका लगे या गुस्सा आए, तो अपने रिएक्शन पर काबू रखें। चेहरे पर हैरानी, निराशा या गुस्सा दिखाने से वह तुरंत बात बंद कर देगा। इसके बजाय, गहरी सांस लेकर शांत रहें। ऐसा करने से उनके मन से डर खत्म होगा कि आप उन्हें डांटेंगे।

    जज न करें

    हमेशा अपनी बात एक जज की तरह न रखें, बल्कि एक दोस्त की तरह एक्साइटमेंट दिखाएं। "तुमने ऐसा क्यों किया?" की जगह "मैं समझना चाहता/चाहती हूं कि तुम्हारे लिए यह फैसला लेना क्यों जरूरी था?" जैसे सवाल पूछें। इससे बच्चा डरेगा नहीं, बल्कि अपनी सोच आपके सामने रखेगा।

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