Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दुनिया को अलविदा कह गए बाघों के दोस्त Valmik Thapar, कुछ ऐसा था इंडिया के 'टाइगर मैन' बनने का सफर

    Updated: Sat, 31 May 2025 05:15 PM (IST)

    भारत के टाइगर मैन वाल्मीक थापर (Valmik Thapar) का 73 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वन्यजीवों के प्रति उनके प्रेम और बाघों के संरक्षण के प्रयासों के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। वाल्मीक थापर का रणथंभौर से गहरा नाता था। आइए जानें कैले वाल्मीक थापर कहलाए इंडिया के टाइगर मैन।

    Hero Image
    भारत के 'टाइगर मैन' Valmik Thapar का 73 साल की उम्र में निधन (Picture Courtesy: Instagram)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Valmik Thapar:  भारत के ‘टाइगर मैन’ कहलाने वाले वाल्मीक थापर (Valmik Thapar) ने 73 साल की उम्र में 31 मई 2025 की सुबह दुनिया को अलविदा कह दिया (Valmik Thapar Passed Away)। बाघों के दोस्त, जो अपने बेबाक अंदाज और जिंदादिली के लिए जाने जाते थे, कैंसर से जिंदगी की जंग हार गए। थापर वन्यजीवों, खासकर बाघों के संरक्षण के लिए सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में जाने जाते हैं। ऐसे में उनके निधन से हर प्रकृति प्रेमी शोक में डूबा हुआ है। इनका यूं चले जाने से यकीनन प्रकृति भी मायूस हुई होगी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    वाल्मीक थापर सिर्फ वन्यजीव संरक्षक ही नहीं थे। वे एक लेखक, फोटोग्राफर और टेलीविजन प्रेजेंटेटर भी थे। इन्होंने लगभग 40 किताबें लिखी हैं, कई डॉक्यूमेंटरीज बनाई और दुनियाभर में वन्यजीवों के बारे में कई यूनिवर्सिटीज में लेक्चर भी दिए हैं। वे खासतौर से बाघों के संरक्षण और उनसे जुड़े अलग-अलग रिसर्च के लिए दुनियाभर में मशहूर हैं। उन्होंने भारत में बाघों के संरक्षण को लेकर जो काम किया है, वह हर किसी के लिए हमेशा प्रेरणा का स्रोत रहेगा।

    यह भी पढ़ें: क्या आप जानते हैं! खुद बाघों के शिकारी थे Jim Corbett, जिन पर रखा गया भारत के पहले टाइगर रिजर्व का नाम

    ऐसी थी पर्सनल लाइफ

    वाल्मीक थापर का जन्म 1952 में एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। उनके पिता, रोमेश थापर, एक मशहूर पत्रकार और विचारक थे और उनकी बुआ रोमिला थापर मशहूर इतिहासकार हैं। इन्होंने अपनी शिक्षा दिल्ली यूनिवर्सिटी से पूरी की और बॉलिवुड के मशहूर एक्टर शशि कपूर की बेटी संजना कपूर से शादी की। अपने परिवार के साथ थापर दिल्ली में रहते थे।

    बाघों से प्रेम यूं जुड़ा नाता

    वाल्मीक थापर की बाघों के लिए उनकी दीवानगी 1976 में शुरू हुई, जब उन्होंने पहली बार रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान का दौरा किया। यहां की प्राकृतिक सुंदरता और बाघ से हुई पहली मुलाकात ने उनके जीवन की दिशा ही बदल दी। इसके बाद उन्होंने अपनी जिंदगी को बाघों की रक्षा, रिसर्च और संरक्षण के लिए समर्पित कर दिया। यहीं वे फतेह सिंह राठौर से भी मिले, जिनका थापर को टाइगर मैन बनाने में अहम योगदार रहा।

    रणथंभौर से खास रिश्ता

    रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान से वाल्मीक थापर का गहरा नाता रहा है। वे यहां करीब 40 सालों तक बाघों की एक्टिविटीज का निरीक्षण करते रहे। उन्होंने यहां की मशहूर बाघिन ‘मछली’ को भी नजदीक से देखा और उसके जीवन को डॉक्यूमेंट किया। बता दें कि मछली को दुनिया की सबसे ज्यादा फोटो खींची गई बाघिन कहा जाता है।

    बाघों के नाम की पूरी जिंदगी

    वाल्मीक थापर ने भारत में बाघों की घटती संख्या को लेकर कई बार सरकार और आम जनता का ध्यान आकर्षित किया और उनके संरक्षण के लिए जी-जान लगाकर काम किया। उन्होंने बाघों के हैबिटेट की सुरक्षा, अवैध शिकार के खिलाफ सख्त कार्रवाई और इको-टूरिज्म के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए भी खूब काम किया।

    लेखक और फिल्मकार

    थापर ने अब तक 40 से ज्यादा किताबें लिखी हैं, जिनमें 'Land of the Tiger', 'Tiger Fire' और 'The Secret Life of Tigers' जैसी किताबें सबसे मशहूर हैं। इसके अलावा, उन्होंने बीबीसी और अन्य अंतरराष्ट्रीय चैनलों के लिए कई डॉक्यूमेंट्रीज बनाई हैं, जिनमें उन्होंने बाघों के जीवन के हर पहलू और अस्तित्व की लड़ाई को बड़ी संवेदनशीलता से दर्शाया है।

    वाल्मीक थापर न केवल एक टाइगर लवर थे, बल्कि एक योद्धा थे, जिन्होंने भारत के राष्ट्रीय जानवर को बचाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनकी लगन, समर्पण और ज्ञान ने उन्हें “इंडिया के टाइगर मैन” की उपाधि दिलाई। वे आज भले ही हमारे बीच नहीं रहे हैं, लेकिन बाघों के दोस्त और वन्यजीव संरक्षक के रूप में उन्हें हमेशा याद किया जाएगा।

    यह भी पढ़ें: नजदीक से बाघ देखने के लिए बेस्ट हैं भारत की ये 5 जगहें, बड़ा ही रोमांचक होता है यह अनुभव