क्या आप भी हैं स्क्रीन टाइम के गुलाम? फोकस बढ़ाने और तनाव घटाने के लिए करें ये बदलाव
आजकल हमारा ज्यादातर समय स्क्रीन के सामने ही बीतता है। काम हो या सिर्फ बोरियत मिटानी हो, हमारा हाथ सबसे पहले हमारे फोन की ओर ही बढ़ता है। लेकिन डिजिटल ...और पढ़ें

डिजिटल ओवरलोड' से बचने के स्मार्ट तरीके (Picture Courtesy: Freepik)
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लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। आज के डिजिटल युग में हम स्मार्टफोन, लैपटॉप, सोशल मीडिया और ईमेल्स से घिरे हैं। डिजिटल गैजेट्स से घिरे रहना अक्सर ‘डिजिटल ओवरलोड’ का कारण बनता है, जिससे मानसिक थकान, फोकस में कमी और तनाव हो सकता है।
ऐसे में डिजिटल ओवरलोड नाम की इस समस्या से निपटने के लिए आप कुछ आसान तरीकों की मदद ले सकते हैं। आइए जानें कैसे कर सकते हैं डिजिटल ओवरलोड से अपना बचाव।
डिजिटल डिटॉक्स की प्रैक्टिस करें
नियमित रूप से डिजिटल गैजेट्स से ब्रेक लेना जरूरी है।हर दिन एक फिक्स समय (जैसे खाने के समय या सोने से एक घंटा पहले) स्क्रीन से दूर रहें। हफ्ते में एक बार ‘डिजिटल डिटॉक्स डे’ रखें, जहां आप सोशल मीडिया और गैर-जरूरी ऐप्स से पूरी तरह दूरी बना लें। इससे दिमाग को आराम मिलता है और असल दुनिया से जुड़ने का मौका मिलता है।
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(Picture Courtesy: Freepik)
नोटिफिकेशन्स मैनेज करें
बिना जरूरत के नोटिफिकेशन्स ध्यान भटकाने और तनाव बढ़ाने का मुख्य कारण हैं। अपने फोन और कंप्यूटर पर नोटिफिकेशन्स को चेक करें और केवल जरूरी ऐप्स के नोटिफिकेशन्स को चालू रखें। फोन के ‘डू नॉट डिस्टर्ब’ मोड का उपयोग करें, खासकर काम के समय और आराम के दौरान।
डिजिटल सीमाएं तय करें
अपने डिजिटल गैजेट्स के इस्तेमाल के लिए समय सीमा तय करें। उदाहरण के लिए, सोशल मीडिया के लिए हर दिन 30 मिनट या ईमेल चेक करने के लिए दिन में तीन बार फिक्स समय तय करें। कई उपकरणों पर ‘स्क्रीन टाइम’ या ‘डिजिटल वेलबीइंग’ टूल्स उपलब्ध हैं जो आपको इन सीमाओं का पालन करने में मदद कर सकते हैं।
एक समय में एक काम पर ध्यान दें
मल्टीटास्किंग का भ्रम हमें ज्यादा प्रोडक्टिव नहीं बनाता, बल्कि डिजिटल ओवरलोड को बढ़ाता है। इसके बजाय ‘मोनोटास्किंग’ यानी एक समय में एक ही काम पर ध्यान फोकस करने की प्रैक्टिस करें। जब ईमेल चेक कर रहे हों तो सोशल मीडिया बंद कर दें, या जब कोई रिपोर्ट लिख रहे हों तो फोन को साइलेंट मोड में रखें। इससे काम की क्वालिटी और मानसिक शांति दोनों बढ़ती है।
ऑफलाइन एक्टिविटीज करें
अपने रूटीन में ऑफलाइन गतिविधियों को शामिल करें। नियमित एक्सरसाइज, किताब पढ़ना, प्रकृति में समय बिताना, मेडिटेशन या परिवार और दोस्तों के साथ बिना डिजिटल गैजेट्स के क्वालिटी टाइम बिताएं। ये गतिविधियां न केवल डिजिटल ओवरलोड को कम करती हैं, बल्कि क्रिएटिविटी को भी बढ़ावा देती हैं।

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