जब God's Own Country में खुद धरती पर उतर आते हैं भगवान, बेहद खास है केरल की Theyyam परंपरा
केरल जिसे Gods Own Country कहा जाता है अपनी सुंदरता और अनूठी परंपराओं के लिए जाना जाता है। थेय्यम यहां की एक ऐसी ही परंपरा है जिसमें कलाकार भगवान का रूप धारण करते हैं। यह कासरगोड जिले की प्राचीन परंपरा है जिसमें खास मेकअप और वेशभूषा से सजे कलाकार नृत्य करते हैं।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। भारत को विविधता का देश कहा जाता है। यहां पर आपको कई तरह की परंपराएं देखने को मिलेंगी। यहां हर राज्य अपने आप में एक कहानी समेटे हुए है जहां कुछ न कुछ अनोखा देखने को मिलता है। केरल भी उन्हीं में से एक है।
केरल को 'God's Own Country' कहा जाता है। ये राज्य जहां खूबसूरती की मिसाल पेश करता है, वहीं यहां की परंपराएं भी अनोखी हाेती हैं। उन्हीं में से एक है थेय्यम (Theyyam)। ये एक ऐसी परंपरा है जो देखने वालों को हैरानी और भक्ति से भर देती है। दरअसल, ये एक तरह का नृत्य होता है। इस दौरान आम इंसान भगवान का रूप धारण करता है।
क्या है थेय्यम?
थेय्यम केरल के कासरगोड जिले की एक अनोखी और प्राचीन परंपरा है। इसे देखने के लिए भारी संख्या में लोगों की भीड़ जुटती है। इसे देखने पर ऐसा लगता है मानो स्वयं भगवान ही धरती पर उतर आए हैं। इस परंपरा में एक कलाकार खास तरह के मेकअप, कपड़े और आभूषण पहनकर किसी देवता, वीर योद्धा या पौराणिक पात्र का रूप धारण करता है।
थेय्यम को माना जाता है धार्मिक अनुष्ठान
इसके बाद वह नृत्य करता है। मंत्र बोलता है और लोगों को आशीर्वाद देता है। आपको बता दें कि ये सिर्फ नृत्य नहीं बल्कि एक धार्मिक अनुष्ठान माना जाता है। इसकी खासियत ये है कि इस नृत्य को देखने के लिए समाज के हर वर्ग के लोग शामिल होते हैं। इससे समानता और एकता का संदेश मिलता है।
द्रविड़ संस्कृति से जुड़ी हुई है परंपरा
वे देवता रूपी कलाकार से आशीर्वाद लेते हैं। मन्नत मांगते हैं और साथ ही अपनी परेशानी भी साझा करते हैं। ये परंपरा द्रविड़ संस्कृति से जुड़ी हुई मानी जाती है और आज भी पूरे सम्मान और श्रद्धा के साथ निभाई जाती है। यह परंपरा न सिर्फ धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि केरल की सांस्कृतिक पहचान का भी अहम हिस्सा है।
Image Credit- Instagram/dheerajpaul_india
कन्नूर और कासरगोड जिलों में होता है आयोजन
थेय्यम एक पारंपरिक नृत्य और पूजा का तरीका है जो खासतौर पर कन्नूर और कासरगोड जिलों में किया जाता है। इसमें कलाकार खास तरह का मेकअप करता है। थेय्यम करने वाले कलाकार काे इस अनुष्ठान के लिए खास तैयारी करनी होती है।
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ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं कलाकार
ऐसा कहा जाता है कि कलाकार को कुछ दिनों तक ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है। सादा भोजन करने के साथ-साथ पूजा पाठ करना भी जरूरी माना जाता है। नृत्य से पहले उसका चेहरा और शरीर कई रंगों से सजाया जाता है। वह भारी पोशाक, बड़ा मुकुट और रंग-बिरंगे कपड़े पहनता है। इन सबकी मदद से वह किसी देवता की तरह दिखता है।
रात में होता है आयोजन
थेय्यम का आयोजन आमतौर पर रात में खुले मैदान या मंदिर के आंगन में किया जाता है। थेय्यम के लगभग 400 से भी ज्यादा रूप होते हैं। हर एक थेय्यम की अपनी अलग कहानी, रूप और अंदाज होता है। कुछ थेय्यम डरावने लग सकते हैं। वहीं कुछ बेहद शांत और सुंदर होते हैं। इस कार्यक्रम का आयोजन अक्टूबर से मई के महीने तक किया जाता है।
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Source-
- https://kasargod.nic.in/en/theyyam/
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